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25 Jan
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मल्टी लेयर फार्मिंग: लाभ, प्रक्रिया, फसलों का चयन | Multilayer farming: benefits, process, crop selection

कृषि हमारे देश के आर्थिक और सामाजिक संरचना का मूल हिस्सा है। कृषि में हर दिन नए आविष्कार किए जा रहे हैं। फसलों की बेहतर उपज एवं किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कुछ पुराने तरीकों को अपनाने में भी जोर दिया जा रहा है। इस क्रम में मल्टी लेयर फार्मिंग नामक एक अनोखी और प्रोग्रेसिव कृषि प्रणाली बन कर उभर रही है, जो विभिन्न फसलों को एक समय में एक ही क्षेत्र में उत्पन्न करने का एक उत्कृष्ट तरीका है। इस पोस्ट के द्वारा हम मल्टी लेयर फार्मिंग का महत्व, इसके लाभ, प्रक्रिया, फसलों का चयन और अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही जानेंगे मल्टी लेयर वेजिटेबल फार्मिंग, मल्टी लेयर फार्मिंग क्रॉप्स, मल्टी लेयर फार्मिंग मॉडल के बारे में।

क्या है मल्टी लेयर फार्मिंग? | What is multilayer farming?

मल्टी लेयर फार्मिंग की शुरुआत यूरोप में हुई थी। यह एक सुदृढ़ कृषि प्रणाली है जिसमें किसान एक ही खेत में विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती एक साथ कर सकता है। यह एक सुरक्षित और स्थायी तरीके से खेती का एक उत्कृष्ट प्रणाली है, जो कई तरह की फायदे प्रदान कर सकती है। इस तकनीक से किसान अधिक उत्पादकता और अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं।

मल्टी लेयर फार्मिंग के फायदे | Benefits of multilayer farming

  • अधिक उत्पादकता: मल्टी लेयर फार्मिंग से किसानों को एक समय में अधिक फसलें प्राप्त होती हैं, जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है और उन्हें अधिक आय प्राप्त होती है।
  • पोषण की विविधता: एक समय में कई प्रकार की फसलों की खेती से खाद्य की विविधता बढ़ती है। जिससे आवश्यक पोषण मिलता है और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • प्रदूषण में कमी: मल्टी लेयर फार्मिंग से जल, ऊर्जा, कीटनाशकों एवं फफूंदनाशकों का उपयोग कम होता है। जिससे प्रदूषण में कमी आती है और प्राकृतिक संतुलन सुरक्षित रहता है।
  • पानी की बचत: इस प्रणाली में एक ही खेत में एक साथ कई तरह के फसलों की बुवाई की जाती है। जिससे सिंचाई के समय पानी की बचत होती है और पानी का सही तरीके से उपयोग होता है।
  • खरपतवारों में कमी: खेत में एक साथ कई फसलों को उगाने के कारण खाली जगह कम होता है। इस कारण खरपतवारों को पनपने का जगह नहीं मिलता है और खरपतवारों की समस्या में कमी आती है।
  • आर्थिक स्थिति में सुधार: एक ही क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की फसलों की उपज से किसान आर्थिक रूप से सुरक्षित रहते हैं। एक फसल से कम उत्पादन होने पर भी दूसरी फसल से उन्हें मुनाफा होता है।
  • नई तकनीकों की जानकारी: मल्टी लेयर फार्मिंग के प्रयोग से किसानों को नई तकनीकियों और फसल प्रबंधन की जानकारी होती है, जिससे वे पहले से बेहतर कृषि करते हुए अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

मल्टी लेयर फार्मिंग कैसे करें? | How to do multi-layer farming?

  • खेत का चयन एवं तैयारी: सबसे पहले खेत का चयन करें। इसके बाद इसकी जुताई करें और इसमें गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद मिलाएं। मिट्टी जांच के अनुसार एवं चयनित फसलों के आधार पर नाइट्रोजन, पोटाश एवं फॉस्फोरस का प्रयोग करें।
  • बीज चयन एवं उपचार: आप जिन फसलों की खेती करने वाले हैं उनके बीज का चयन करें एवं बीज उपचार करें। बीज उपचारित करने से फसलों को बीज जनित या मिट्टी के द्वारा होने वाले रोगों से बचाया जा सकता है।
  • बुवाई/रोपाई: विभिन्न लेयर के अनुसार बीज की रोपाई या पौधों की बुवाई करें। बेल वाली फसलों को सहारा दें।
  • सिंचाई प्रबंधन: फसलों के बढ़वार के लिए सही समय पर सिंचाई करना बहुत जरूरी है। मल्टी लेयर फार्मिंग में सिंचाई विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस विधि से खेती करने पर सभी फसलों की सिंचाई एक साथ हो जाती है। इसलिए खेत में बहुत अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
  • खरपतवार नियंत्रण: खरपतवार मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को ग्रहण कर लेते हैं। जिससे पौधों का उचित विकास नहीं हो पाता है। इसलिए खरपतवारों पर नियंत्रण करें।
  • रोग एवं कीटों पर नियंत्रण: फसलों की बेहतर उपज के लिए रोग एवं कीटों पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है।
  • फसलों की कटाई: फसलों के पकने या तैयार होने पर कटाई करें। ध्यान रखें कि सभी लेयर की फसलें एक साथ तैयार नहीं होती हैं। इसलिए जिस लेयर की फसल तैयार हुई है पहले उसकी कटाई या तुड़ाई करें।

मल्टी लेयर फार्मिंग के लिए फसलों का चयन | Crop Selection for Multi-Layer Farming

  • मल्टीलेयर फार्मिंग में सबसे जरूरी है फसलों का चयन।
  • पहली लेयर में अगर बड़े पौधे लगा दिए तो अन्य लेयर बेकार हो जाएंगी।
  • कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मल्टी लेयर वेजिटेबल फार्मिंग की पहली परत में भूमि के अंदर होने वाली फसलों का चयन करें। जैसे हल्दी, अदरक, मूंगफली, मूली, गाजर, आदि की खेती की जा सकती है।
  • दूसरी लेयर में कम गहराई और कम ऊंचाई वाली साग-सब्जियों की फसलों का चयन करें।
  • तीसरी लेयर में थोड़े ऊंचाई वाले पौधे/पेड़ लगा सकते हैं। जिसमें पपीता या अन्य फलदार पौधे लगा सकते हैं।
  • चौथी लेयर में करेला, खीरा, ककड़ी, लौकी, जैसी बेल वाली फसलों को लगाएं। ऐसी फसलें मिट्टी से पोषक तत्व ग्रहण करेंगे और लकड़ी या मचान के सहारे ये ऊपर की तरफ बढ़ती रहेंगी।

मल्टी लेयर फार्मिंग की ट्रेनिंग | Training in Multi-Layer Farming

  • मल्टीलेयर फार्मिंग के इच्छुक किसान अपने जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र के विशेषज्ञों से इस तकनीक की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों से इसकी बारीकियों को समझ कर आप इस तकनीक के द्वारा अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
  • इसके अलावा आप पहले से ही इस विधि के द्वारा खेती करने वाले अपने आस-पास के किसानों से भी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।
  • यूट्यूब पर भी इस विधि के बारे में कई वीडियो उपलध है। जहां से आपको इसकी जानकारी मिल सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked question)

Q1: बहु स्तरीय कृषि प्रणाली क्या है?

A1: बहुपरत खेती (मल्टीलेयर फार्मिंग) को एक एकीकृत कृषि प्रणाली के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसमें एक ही खेत में एक ही समय में एक से अधिक फसलों की सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है।

Q2: मल्टीलेयर फार्मिंग को शुरू करने में कितनी लागत आती है?

A2: मल्टीलेयर फार्मिंग की में होने वाली लागत क्षेत्र के आधार पर भिन्न हो सकती है। इसके अलावा फसलों के अनुसार भी लागत में उतार-चढ़ाव हो सकता है।

Q3: मल्टीलेयर फार्मिंग में किन फसलों की खेती की जा सकती है?

A3: मल्टीलेयर फार्मिंग में सामान्यतः सब्जियों, फल एवं फूलों की खेती की जाती है। इसके अलावा इस कृषि प्रणाली में हम दलहन, तिलहन एवं औषधीय फसलों की भी खेती कर सकते हैं।

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