गर्मियों में मूंग की खेती | Moong Farming in Summer

गर्मियों में मूंग की खेती एक शानदार और लाभकारी विकल्प हो सकती है। यह फसल जल्दी तैयार हो जाती है और इसमें प्रोटीन, आयरन जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद है। मूंग की खेती से खेतों में उर्वरता भी बनी रहती है, क्योंकि यह मिट्टी की नाइट्रोजन की कमी को पूरा करती है। उच्च तापमान को सहन करने की क्षमता के कारण, यह गर्मी में भी आसानी से उगाई जा सकती है। सही किस्म का चयन और उर्वरकों का उचित उपयोग करने से अच्छी उपज मिलती है, जिससे किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा हो सकता है। मूंग की खेती स्थिर और लाभकारी फसल है।
गर्मियों में मूंग की खेती कैसे करें? | How to Cultivate Moong in Summer?
- मिट्टी (Soil): मूंग की खेती के लिए बलुई दोमट या मटियार दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है, जिसमें अच्छे जल निकासी और पोषक तत्वों की उपलब्धता होती है। जलभराव वाली और लवणीय मिट्टी से बचना चाहिए। खेत की तैयारी में 2-3 जुताई के बाद पाटा लगाना चाहिए।
- जलवायु (Climate): मूंग गर्मी के मौसम में उगती है और 25 से 40 डिग्री तापमान में अच्छे से बढ़ती है। 60-75 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा वाली जलवायु इसके लिए आदर्श है। यह फसल जायद, खरीफ और रबी में उगाई जा सकती है, लेकिन गर्मियों में इसकी खेती अधिक लाभकारी होती है।
- किस्में (Variety): जायद मौसम में मूंग की खेती के लिए कुछ बेहतरीन किस्में हैं, जैसे आर.एम.जी. 344, पंत मूंग 1, टाइप 44 और एम एच 318। इन किस्मों को सही समय पर बुवाई और सही देखभाल के साथ उगाकर किसान अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इन किस्मों का चयन मौसम और मिट्टी के अनुसार करना चाहिए ताकि फसल में अधिक लाभ हो सके।
- खेत की तैयारी (Field Preparation): मूंग की अच्छी उपज के लिए खेत की सही तैयारी जरूरी है। सबसे पहले, खेत में गहरी जुताई करें, जिससे मिट्टी में ऑक्सीजन की आपूर्ति बनी रहे और जल निकास सही हो। फिर, बुवाई के लिए क्यारियां बनाएं, ताकि बीज अच्छे से बोए जा सके और उनका विकास सही तरीके से हो।
- फसल चक्र अपनाना (Crop Rotation): मूंग की खेती में फसल चक्र अपनाना बेहद महत्वपूर्ण है। एक ही खेत में लगातार मूंग की खेती करने से मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो सकती है और रोगों का खतरा भी बढ़ सकता है। इसलिए मूंग के बाद दूसरी फसल उगाना चाहिए, जिससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बनी रहती है और फसल का विकास स्वस्थ रहता है।
- खरपतवार नियंत्रण (Weed Control): मूंग की फसल में खरपतवार का प्रकोप फसल की उपज को प्रभावित कर सकता है। बुवाई के तीसरे दिन खरपतवारनाशी का छिड़काव करें, जिससे खरपतवारों का नियंत्रण होगा और मूंग को बेहतर पोषक तत्व मिलेंगे।
- सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management): मूंग की फसल के लिए सिंचाई की आवश्यकता होती है, लेकिन अधिक जलभराव से बचना चाहिए। हल्की भूमि में 4-5 बार सिंचाई की जाती है, जबकि भारी भूमि में 2-3 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। शाखाओं के विकास और दाना भरने के समय जल की पर्याप्त आपूर्ति होनी चाहिए।
- उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management): मूंग की अच्छी उपज के लिए सही उर्वरक का उपयोग बहुत जरूरी है। खेत की तैयारी करते समय प्रति एकड़ 12 किलोग्राम यूरिया और 100 किलोग्राम सुपर फास्फेट का इस्तेमाल करें, जो मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं और फसल के बेहतर विकास में मदद करते हैं। इसके अलावा, बुवाई से पहले खेत में 100 किलोग्राम जिप्सम और बुवाई के समय 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट डालना चाहिए, ताकि फसल को आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें और उपज में वृद्धि हो।
- कीट और रोग (Insects and Diseases): मूंग की फसल पर कई प्रकार के कीट और रोग लग सकते हैं। प्रमुख कीटों में सफेद मक्खी, पिस्सू भृंग, और फली छेदक शामिल हैं। इसके अलावा, पीला मोजेक रोग भी एक गंभीर समस्या बन सकता है। इन कीटों और रोगों के नियंत्रण के लिए उचित उपाय अपनाना आवश्यक है, जैसे कि कीटनाशकों का छिड़काव और रोगरोधी प्रजातियों का चयन।
- कटाई (Harvesting): जब मूंग की लगभग 85% फलियाँ पककर हल्के भूरे रंग की हो जाएं, तो फसल की कटाई कर लेनी चाहिए। यदि कटाई में देरी हुई तो फलियाँ चटक सकती हैं और उपज कम हो सकती है। समय पर कटाई करने से अच्छी उपज मिलती है।
- उपज (Yield): मूंग की फसल से सही तरीके से खेती करने पर प्रति एकड़ 3-4 क्विंटल तक उपज प्राप्त हो सकती है। यदि सिंचाई और देखभाल अच्छी तरह से की जाए, तो उपज बढ़कर 5 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो सकती है।
- भंडारण (Storage): मूंग के बीजों को भंडारण से पहले अच्छी तरह सुखा लें, ताकि उनमें नमी 8-10% से ज्यादा न रहे। बीजों को सूखे और साफ बर्तनों या स्टोरेज बिन में रखें। इससे बीज लंबे समय तक खराब नहीं होंगे और अगले मौसम में उपयोग किए जा सकेंगे।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: गर्मी में मूंग की खेती कब की जाती है?
A: गर्मी की मूंग की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय 15 मार्च तक है। इस समय तापमान और मिट्टी की नमी मूंग की फसल के लिए अनुकूल रहती है। समय पर बुवाई करने से पौधों का विकास बेहतर होता है और उपज अधिक मिलती है।
Q: मूंग में लगने वाले रोग कौन से हैं?
A: मूंग में प्रमुख रूप से मोजेक रोग, पत्तियों का पीला पड़ना और सफेद मक्खी जैसे रोग और कीटों का प्रकोप होता है। मोजेक रोग से पत्तियां सिकुड़ जाती हैं और उपज में कमी आती है। इन रोगों से बचने के लिए रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करना और नियमित रूप से खेत का निरीक्षण करना चाहिए।
Q: गर्मी की मूंग में कितना पानी देना चाहिए?
A: गर्मी की मूंग की सिंचाई में विशेष ध्यान देना चाहिए। बुवाई के बाद अंकुरण के लिए पहली सिंचाई तुरंत करें। इसके बाद, फसल को हर 5-6 दिन में हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है। पानी भराव से बचें, क्योंकि यह जड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है।
Q: खरीफ मौसम में मूंग की बुवाई का समय क्या है?
A: खरीफ मौसम में मूंग की बुवाई जून के अंत से जुलाई की शुरुआत तक करनी चाहिए। इस समय मौसम में पर्याप्त नमी रहती है, जिससे फसल की बढ़वार और उत्पादन बेहतर होता है।
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