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17 Sep
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गन्ने में मोथा घास का प्रबंधन (Management of Motha Grass in Sugarcane)


गन्ने की फसल में मोथा घास (Cyperus rotundus) सबसे नुकसानदायक खरपतवारों में से एक है, जो फसल की बढ़वार और पैदावार को बुरी तरह प्रभावित करता है। इस खरपतवार के पौधे पतले और चमकदार हरे होते हैं, जिनके पत्ते तिकोने होते हैं। इसकी जड़ें कंद के रूप में होती हैं, जो जमीन के अंदर फैलकर नए पौधे बना लेती हैं, जिससे यह तेजी से फैलता है। मोथा घास फसल के लिए जरूरी पोषक तत्वों और पानी को खींच लेती है, जिससे गन्ने की बढ़वार रुक जाती है और उपज में भारी कमी आ जाती है। इस कारण गन्ने की फसल कमजोर हो जाती है और उसकी गुणवत्ता भी खराब हो जाती है। इसलिए मोथा घास का सही समय पर प्रबंधन करना बहुत जरूरी है।

गन्ने में मोथा खरपतवार से होने वाले नुकसान (Damage caused by motha weed in sugarcane)

  • गन्ने की फसल में खरपतवारों के प्रकोप से फसल की बढ़वार धीमी हो जाती है, जिससे उत्पादन में कमी हो सकती है।
  • खरपतवारों के कारण गन्ने की मिठास में कमी हो सकती है, जिससे गुड़ और शक्कर का उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
  • मोथा घास के कारण गन्ने की उपज में 40 प्रतिशत तक कमी हो सकती है।
  • खरपतवारों की उपस्थिति से गन्ने की फसल में विभिन्न प्रकार के रोग और कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है, जिससे फसल की सुरक्षा में कठिनाई हो सकती है।
  • उपज और गुणवत्ता में कमी के कारण किसानों को आर्थिक हानि हो सकती है।
  • खरपतवार नाशक और कीट-रोग नियंत्रण दवाओं के प्रयोग से कृषि लागत में वृद्धि होती है।

गन्ने में मोथा घास के नियंत्रण के उपाय (Measures to control motha grass in sugarcane)

  • निराई-गुड़ाई: निराई-गुड़ाई खरपतवार नियंत्रण की एक पुरानी और सरल विधि है। इसमें खेत में खरपतवारों को हाथ से उखाड़ा जाता है। इसे दो से तीन बार नियमित अंतराल पर किया जाना चाहिए ताकि खरपतवार के बीज अंकुरित होने से पहले ही नष्ट हो जाएं। यह विधि छोटे क्षेत्रों के लिए प्रभावी है लेकिन श्रमसाध्य और समय लेने वाली होती है।
  • जुताई: फसल बोने से पहले गहरी जुताई करना मोथा घास के नियंत्रण में सहायक होता है। ट्रैक्टर या बैल-चालित मशीनों के माध्यम से गहरी जुताई की जाती है, जिससे मोथा घास की जड़ों और कंदों को सतह पर लाया जाता है। सतह पर आकर ये सूख कर नष्ट हो जाते हैं। हालांकि, बार-बार जुताई से मिट्टी की संरचना पर प्रभाव पड़ सकता है और मिट्टी में लाभकारी जीवाणुओं की कमी हो सकती है।
  • यांत्रिक नियंत्रण: कल्टीवेटर, हैरो और वीडर जैसी मशीनों का उपयोग करके मोथा घास को हटाया जाता है। यह विधि हाथ से निराई की तुलना में तेज और अधिक प्रभावी होती है। मशीनों की मदद से कम समय में बड़े क्षेत्रों को कवर किया जा सकता है, जिससे बड़े खेतों में यह विधि अत्यधिक उपयुक्त होती है।
  • सोलराइजेशन: सोलराइजेशन खरपतवार नियंत्रण की एक प्रभावी और जैविक विधि है। इसमें खेत की मिट्टी को गर्मियों में पारदर्शी प्लास्टिक शीट से ढक दिया जाता है। प्लास्टिक शीट सूर्य की ऊर्जा को रोकती है और मिट्टी का तापमान बढ़ाती है, जिससे खरपतवार के बीज, कंद, रोगजनक और कीट नष्ट हो जाते हैं। यह विधि पर्यावरण के अनुकूल होती है, लेकिन इसे लागू करने के लिए गर्म मौसम की आवश्यकता होती है और प्रक्रिया में समय लगता है।
  • मेट्रिबुज़िन 70% डब्ल्यू जी खरपतवार नाशक दवा को 560 से 800 ग्राम प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करने से मोथा घास से नियंत्रण मिलता है।
  • मेट्रिबुज़िन 70% WP (अदामा मेट्रिआगन, टाटा मेट्री, बायर सेनकोर) एक अच्छा खरपतवार नाशक है जिसका उपयोग बुवाई के तुरंत बाद बीज अंकुरण के पहले 400 से 500 ग्राम प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
  • हेलोसल्फ्यूरॉन मिथाइल 75% डब्ल्यूजी (धानुका- सेम्परा) खरपतवार नाशक दवा को गन्ने की बुवाई के 25 दिनों बाद प्रति एकड़ खेत में 36 ग्राम की दर से इस्तेमाल करें।

दवाओं के छिड़काव के समय रखें इन बातों का ध्यान (Things to keep in mind while applying weedicides)

  • गन्ने की फसल में एक ही शाकनाशी बार-बार न प्रयोग करें, इससे खरपतवार प्रतिरोधी हो सकते हैं।
  • गन्ने में एक बार ही रासायनिक खरपतवार नाशक का प्रयोग करें।
  • शाकनाशी के पैकेट पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और उनका पालन करें।
  • गन्ने में छिड़काव के समय, मिट्टी में नमी होनी चाहिए ताकि दवा सही तरीके से खरपतवार तक पहुंच सके।
  • दवा की सही मात्रा का छिड़काव करें ताकि गन्ने की फसल पर कोई नकारात्मक असर न हो।
  • गन्ने के खेत में खरपतवार नाशक के साथ कीटनाशक या फफूंदनाशक न मिलाएं।
  • अधिक खरपतवार नाशक का प्रयोग गन्ने की मिट्टी और पर्यावरण के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
  • गन्ने के खेत में सिलिकॉन आधारित स्टिकर (40 मिली प्रति एकड़) का प्रयोग करें ताकि दवा बेहतर तरीके से चिपके।

गन्ने में मोथा घास के नियंत्रण के लिए आप क्या तरीका अपनाते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। खरपतवारों पर नियंत्रण की अधिक जानकारी के लिए 'खरपतवार जुगाड़' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं अन्य किसानों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार कौन-कौन से हैं?

A: बथुआ, सेंजी, दूधी, हिरनखुरी, कंडाई, जंगली पालक, जंगली मटर, कृष्ण नील आदि प्रमुख चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार हैं। ये खरपतवार भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में पाए जाते हैं और फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं।

Q: मोथा घास के नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई कैसे करें?
A: मोथा घास के नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई सबसे पुरानी और प्रभावी विधि है। इसमें खुरपी, कुदाल या हैरो का उपयोग करके खरपतवारों को जड़ से उखाड़ा या सतह के पास से काटा जाता है। हालांकि, यह प्रक्रिया श्रम और समय अधिक लेती है, इसलिए यह छोटे खेतों के लिए अधिक उपयुक्त होती है।

Q: खरपतवार नाशक का छिड़काव कब करना चाहिए?

A: खरपतवार नाशक का छिड़काव सुबह या शाम के समय करना सबसे अच्छा होता है। इस समय हवा कम चलती है और दवा का असर बेहतर होता है। छिड़काव के समय मिट्टी में पर्याप्त नमी होनी चाहिए ताकि खरपतवारनाशक सही तरीके से काम कर सके।

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