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24 May
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भिंडी में नेमाटोड कीट प्रबंधन (Nematode pest management in okra)


भिंडी में नेमाटोड कीट एक सूक्ष्म कृमि जैसे जीव हैं जो भिंडी में काफी नुकसान पहुंचाते हैं। जिससे पौधों की जड़ों फूल जाती हैं और पौधें का विकास रुक जाता है। जिसके कारण फसलों की पैदावार में कमी आती है। नेमाटोड कीट पौधों तक दूषित मिट्टी, पानी या फिर पौधों के माध्यम से फैलते हैं। यह मिट्टी में पाए जाते हैं और वर्षों तक जीवित रहते हैं, इस वजह से इनका नियंत्रण करना काफी मुश्किल होता है। नेमाटोड कीट भिंडी के अलावा, सब्जियों, फलों, अनाज और दालों सहित सभी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं।

भिंडी में नेमाटोड कीट के लक्षण और नियंत्रण के तरीके (Symptoms and control methods of nematode pest in okra.)

भिंडी में नेमाटोड कीट के लक्षण (Symptoms of nematode pest in okra) :

  • जड़ों में गांठें: नेमाटोड कीट भिंडी की जड़ों में छोटी-बड़ी गांठें बनाते हैं, जिससे जड़ों की संरचना बिगड़ जाती है।
  • पत्तियों का पीला पड़ना: नेमाटोड जड़ों से रस चूसते हैं, जिससे पौधे को पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिल पाते और पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं।
  • पौधे की वृद्धि में अवरोध: जड़ों की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाने से पौधों की वृद्धि रुक ​​जाती है। पौधे छोटे और कमजोर हो जाते हैं।
  • मुरझाना और सूखना: संक्रमित पौधों की पत्तियाँ मुरझा जाती हैं और सूखने लगती हैं। फल और फूल कम और छोटे हो जाते हैं।
  • मिट्टी की फफूंद का आक्रमण: जड़ों पर मिट्टी की फफूंद का आक्रमण हो जाता है, जिससे जड़ें सड़ जाती हैं और पौधे मर जाते हैं।
  • उपज में कमी: नेमाटोड कीट भिंडी के पौधों की जड़ों से रस चूसते हैं, जिससे पौधों की पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं। भिंडी के पौधे को मिट्टी से पोषक तत्व, पानी, और उर्वरक की पूरी मात्रा नहीं मिल पाती है। इसके परिणामस्वरूप पौधे की वृद्धि रुक जाती है और उपज में कमी आती है।

भिंडी में निमेटोड कीट के नियंत्रण के उपाय (Measures to control nematode pest in okra) :

  • फसल चक्रण: 2-3 साल तक सूत्रकृमि अवरोधक फसलें उगाएं जैसे गेहूं, जौ, सरसों, और अफ्रीकन गेंदा।
  • जैविक नियंत्रण: कुछ पौधों के अर्क, जैसे नीम का तेल और लहसुन, में नेमाटिसाइडल गुण पाए जाते हैं जिसका उपयोग फसलों से नेमाटोड कीटों को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है।
  • गहरी जुताई: गर्मियों में खेत की हल्की सिंचाई के बाद 2-3 गहरी जुताई करें। इससे सूत्रकृमि ऊपरी सतह पर आकर सूर्यतपन से मर जाएंगे।
  • नीम की खाद : इसका प्रयोग भिंडी की उपज में 40% तक की वृद्धि कर सकता है, फूलों के विकास में वृद्धि करता है, फलों की संख्या में वृद्धि करता है, और फलों को अधिक सुखद और चमकदार बनाता है, और साथ में फलों का आकार बड़ा होता है।
  • सूर्यतपन: गर्मियों में खेत की हल्की सिंचाई के बाद10-12 दिन के अन्तर पर  2-3 गहरी जुताई करें। इससे सूत्रकृमि मिटटी के ऊपर आजाता है और मई-जून में नर्सरी लगाने से पहले, क्यारी को पॉलीथिन चादर से 3-4 हफ्ते तक ढककर सूर्यतपन करें।
  • हरी खाद: सनई (क्रोटोलेरिया) को 1-2 महीने तक उगाने के बाद खेत में जुताई करके मिट्टी में मिला दें। इससे हरी खाद मिलेगी और सूत्रकृमि की रोकथाम होगी।
  • सूत्रकृमि रोधी किस्में: भिंडी की वर्षा, विजया, विशाल और ए.एन.के-41 किस्में मध्यम सूत्रकृमि अवरोधक हैं।
  • रासायनिक नियंत्रण: बुआई से पहले कार्बोफ्यूरान (33 किग्रा/हेक्टेयर) या फोरेट (10 किग्रा/हेक्टेयर) का उपयोग एक से दो बार (आवश्यकतानुसार) करें। या फिर रोपाई से पहले पौधों को होस्टाथियान (ट्राइजोफास) – 40 ई.सी., 250 पीपीएम (2.5 मिली/4 लीटर पानी) में मिलाएं और रोपाई से पहले पौध को 20-30 मिनट डुबोकर रखें फिर रोपाई करें।

क्या आप भिंडी की फसल में निमेटोड कीट से परेशान हैं? अपना जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें। फसलों को कीट एवं रोगों से बचाने की अधिक जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: निमेटोड क्या है?

A: नेमाटोड एक प्रकार का राउंडवॉर्म है जो मिट्टी, पानी और पौधों सहित वातावरण में पाया जाता है। वे छोटे और पतले कीड़े हैं जो बेलनाकार शरीर के होते हैं। नेमाटोड अविश्वसनीय रूप से विविध हैं और पृथ्वी पर लगभग हर पारिस्थितिकी तंत्र में पाए जा सकते हैं। कुछ नेमाटोड फायदेमंद होते हैं, जैसे कि वे जो मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों को विघटित करने में मदद करते हैं, जबकि अन्य हानिकारक होते हैं और फसलों, जानवरों और मनुष्यों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। नेमाटोड परजीवी हो सकते हैं, पौधों की जड़ों या जानवरों के ऊतकों पर भोजन कर सकते हैं, या मुक्त रहने वाले, मिट्टी या पानी में रह सकते हैं और बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीवों पर भोजन कर सकते हैं।

Q: नेमाटोड पौधों को कैसे नुकसान पहुंचाते हैं?

A: नेमाटोड सूक्ष्म, कृमि जैसे जीव हैं जो पौधों को उनकी जड़ों, तनों और पत्तियों को खा कर नुकसान पहुंचा सकते हैं। वे विभिन्न प्रकार के लक्षण पैदा कर सकते हैं, जिनमें अवरुद्ध विकास, पत्तियों का पीला पड़ना, मुरझाना और कम उपज शामिल हैं।

Q: नेमाटोड को कैसे रोकें?

A: पौधों को नेमाटोड कीट से होने वाली हानि से रोकने के लिए सांस्कृतिक प्रथायें जैसे- फसल चक्र, मृदा  प्रबंधन, प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग, जैविक नियंत्रण में नीम तेल और रासायनिक नियंत्रण में नेमाटिसाइड्स का उपयोग करके नियंत्रित किया जा सकता है।

Q: भिंडी की सबसे गंभीर बीमारी कौन सी है?

A: भिंडी की सबसे गंभीर बीमारी येलो वेन मोज़ेक वायरस (YVMV) है। यह एक वायरल बीमारी है जो सफेद मक्खियों द्वारा फैलती है और भिंडी के पौधे की पत्तियों को प्रभावित करती है। वायरस पत्तियों के पीलेपन और मुड़ने का कारण बनता है, जिससे विकास रुक जाता है जिसके कारण भिंडी की उपज में कमी आती है। यह भिंडी की फसलों में 80% तक उपज का नुकसान कर सकता है। यह रोग बरसात के मौसम में अधिक प्रचलित होता है, जब सफेद मक्खियां अधिक सक्रिय होती हैं।

Q: भिंडी के कीट कौन-कौन से हैं?

A: भिंडी के पौधों को प्रभावित करने वाले कई कीट हैं। जैसे फल और शूट बोरर, एफिड्स, सफेद मक्खियाँ, जैसिड, मकड़ी और नेमाटोड भिंडी के पौधे को काफी नुकसान पहुंचाते हैं।

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