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19 Sep
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टमाटर की फसल में पोषक तत्वों की कमी और उनका प्रबंधन (Nutrient deficiencies and their management in tomato crop)


टमाटर की खेती में सभी पोषक तत्वों का प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सीधे फसल की गुणवत्ता और उपज को प्रभावित करता है। यहां हम टमाटर की फसल में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर, मैंगनीज, मोलिब्डेनम, जिंक, बोरान, तांबा, और लौह की कमी के लक्षणों और उनके सुधार उपायों पर चर्चा करेंगे।

टमाटर में पोषक तत्वों के कमी के लक्षण (Symptoms of nutrient deficiency in tomatoes)

नाइट्रोजन (N) की कमी के लक्षण:

  • पुरानी पत्तियां धीरे-धीरे हरे से हल्के हरे रंग में बदल जाती हैं। अत्यधिक कमी पर पत्तियां पीले-सफेद रंग की हो जाती हैं।
  • पौधों की बढ़वार धीमी हो जाती है।
  • टमाटर के पौधे बौने रह जाते हैं, और जल्दी पकने लगते हैं।
  • पत्तियां पीली हो जाती हैं और शिराओं सहित पूरे पत्ते पर एक समान पीलापन होता है।

प्रबंधन:

  • मिट्टी परीक्षण के आधार पर यूरिया खाद की टॉप ड्रेसिंग करें। इसके प्रयोग से पौधे तेज और शानदार बढ़वार करेंगे।
  • गोबर की खाद या कम्पोस्ट का उपयोग मिट्टी में करें, जिससे नाइट्रोजन की कमी पूरी हो सके।
  • यूरिया (46% नाइट्रोजन) 1-2% घोल बनाकर पत्तियों पर छिड़काव करें।
  • डी.ए.पी. (डाय अमोनियम फॉस्फेट) मिट्टी में अनुशंसित मात्रा में मिलाएं।
  • NPK 19:19:19 का 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पत्तियों पर स्प्रे करें।

फास्फोरस (P) की कमी के लक्षण:

  • फास्फोरस की कमी से टमाटर की पुरानी पत्तियों पर छोटे-छोटे भूरे या काले धब्बे दिखाई देने लगते हैं।
  • इस कमी के कारण पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है और वे सामान्य से छोटे और कमजोर हो जाते हैं।
  • तने, डंठल और पत्तियों के निचले हिस्से पर गहरे बैंगनी रंग का विकास होता है, जो कमी का प्रमुख संकेत है।
  • अगर कमी गंभीर हो जाती है, तो पत्तियों में एक नीले-भूरे रंग की चमक दिखाई देती है।

प्रबंधन:

  • बुवाई या रोपण के समय फास्फोरस युक्त उर्वरक (जैसे सिंगल सुपर फॉस्फेट - SSP) को मिट्टी में मिलाएं।
  • डीएपी का इस्तेमाल भी फास्फोरस की कमी को दूर करने के लिए किया जा सकता है।
  • एम.ए.पी (मोनो अमोनियम फॉस्फेट) 12:61:00 दवा को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पत्तियों पर छिड़काव करें, इससे फूलों की वृद्धि और फल सेटिंग में सुधार होता है।
  • अच्छे से सड़ी हुई गोबर की खाद का उपयोग भी फास्फोरस की पूर्ति के लिए किया जा सकता है।
  • जैविक खेती के लिए फास्फो बैक्टीरिया युक्त जैव उर्वरक का प्रयोग करें, जो फास्फोरस की ‘उपलब्धता को बढ़ाता है।

पोटेशियम (K) की कमी के लक्षण:

  • पत्तियों के किनारे जलने या सूखने लगते हैं, जिससे भूरे या जलन जैसे धब्बे दिखाई देते हैं।
  • पत्तियों की शिराओं के बीच का हिस्सा पीला हो जाता है, जबकि शिराएँ हरी रहती हैं।
  • पत्तियां मुड़ने, सिकुड़ने और समय से पहले गिरने लगती हैं।
  • अधिक अम्लीय मिट्टी में पोटेशियम का अवशोषण कम हो जाता है, जिससे पौधों की वृद्धि प्रभावित होती है।
  • पौधे कमजोर होकर रोगों और संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
  • सूखे या अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पोटेशियम की कमी अधिक दिखती है।
  • अगर मिट्टी में मैग्नीशियम की मात्रा अधिक हो, तो पोटेशियम की कमी हो सकती है।
  • फल और बीज का उत्पादन खराब हो जाता है, और पौधे आसानी से गिर सकते हैं।

प्रबंधन:

  • पोटेशियम की कमी को सही तरीके से पहचानने के लिए मिट्टी का परीक्षण करें और आवश्यकतानुसार उर्वरक का उपयोग करें।
  • घरेलू उपाय के रूप में, फसल में लकड़ी की राख डालने से पोटेशियम की कमी को दूर किया जा सकता है।
  • रसोई के कचरे से बनी खाद पोटेशियम का एक अच्छा स्रोत हो सकती है।
  • KNO3 (Potassium Nitrate) - 13:00:45 दवा को उर्वरक का 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फूल और फल आने के समय पर छिड़काव करें।
  • SOP (Potassium Sulphate)-00:00:50 +17.5% S उर्वरक को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फल आने के समय पर छिड़काव करना लाभकारी होता है।

मैग्नीशियम (Magnesium):

  • टमाटर की फसल में मैग्नीशियम एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, जिसकी कमी से टमाटर के पौधों की वृद्धि और फल उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है।
  • टमाटर के पौधों में सबसे पहले पुराने पत्तों में मैग्नीशियम की कमी दिखाई देती है। पत्तियां पीली पड़ने लगती है, खासकर किनारों और सिरों पर।
  • पत्तियों की नसें हरी रहती हैं, जबकि बाकी का हिस्सा पीला हो जाता है, जिसे क्लोरोसिस कहा जाता है।
  • मैग्नीशियम की कमी से पत्तियां ऊपर की ओर या अंदर की ओर मुड़ने लगती है। यह पौधे के सामान्य विकास में रुकावट पैदा करता है।
  • मैग्नीशियम की कमी के कारण टमाटर के पौधे की वृद्धि धीमी हो जाती है। पौधे में नए पत्ते कम और छोटे आकार के हो सकते हैं।
  • अगर मैग्नीशियम की कमी को समय पर पूरा नहीं किया गया, तो पौधे की पत्तियां गिर सकती हैं, जिससे पौधे की सेहत पर और भी बुरा असर पड़ता है।

नियंत्रण:

  • मैग्नीशियम सल्फेट का खेत में छिड़काव करें: मैग्नीशियम की कमी को पूरा करने के लिए 25 किलोग्राम मैग्नीशियम सल्फेट प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। हर 15 दिनों के अंतराल पर मैग्नीशियम सल्फेट का छिड़काव करें ताकि पौधों में मैग्नीशियम की कमी न होने पाए। as basal dose or soil application

लौह (Iron):

  • टमाटर के पौधों में आयरन की कमी होने पर पत्तियां हल्की हरी से सफेद हो जाती हैं।
  • पत्तियों की नसें भी हरित हीन हो जाती हैं। यह कमी नई पत्तियों में अधिक दिखती है।
  • पत्तियों के बीच के हिस्से में पीले धब्बे (क्लोरोसिस) बनते हैं, जो बाद में पीले-नारंगी रंग में बदल सकते हैं।
  • गंभीर स्थिति में, पूरे पौधे का रंग हल्का हरा हो सकता है।

नियंत्रण:

  • फेरस सल्फेट (Ferrous Sulphate 0.1%) के घोल का 15 दिन के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करें, इसके लिए 3 से 5 ग्राम फेरस सल्फेट को 1 लीटर पानी में घोलकर टमाटर की पत्तियों पर छिड़काव करें।

सल्फर (Sulphur):

  • टमाटर के पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है।
  • कमी बढ़ने पर पूरे पौधे का सामान्य रूप से हल्का हरा रंग और पुरानी पत्तियां हल्के हरे से पीले रंग की हो जाती हैं।
  • पौधों में फूल और फल कम बनने लगते हैं।

नियंत्रण:

  • सल्फर की कमी को दूर करने के लिए सल्फर युक्त उर्वरकों का प्रयोग करें, जैसे सल्फर 90% WDG का उपयोग 3 से 6 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से करें।
  • इसके साथ ही, बेंटोनाइट सल्फर को 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बेसल डोज़ में इस्तेमाल करें।

बोरॉन (Boron):

  • टमाटर के पौधों में बोरॉन की कमी से पत्तियों के सिरों और किनारों पर पीलापन दिखाई देने लगता है।
  • पत्तियां ऊपर या अंदर की ओर मुड़ सकती हैं।
  • पौधे की वृद्धि धीमी हो जाती है, जिससे पौधे कमजोर हो सकते हैं।
  • फूल और फल कम बनते हैं, जिससे उपज और गुणवत्ता काफी कम हो जाती है।
  • फलों के अंदर भूरापन दिखाई दे सकता है, जिससे उनकी गुणवत्ता खराब होती है।

नियंत्रण:

    • बोरॉन की कमी को दूर करने के लिए बोरॉन युक्त उर्वरक का उपयोग करें।
    • कैल्शियम नाइट्रेट विद बोरॉन (N-14.5%, Ca 17%, Boron 0.3%) खाद को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव करें।

  • DOT (डायसोडियम ऑक्टा-बोरेट टेट्राहाइड्रेट) - B-20% को 150-200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें, जिससे पौधों में बोरॉन की कमी न हो और टमाटर की फसल स्वस्थ रहे।

जिंक (Zinc) :

  • नई पत्तियों की वृद्धि रुक सकती है।
  • पौधे के तने छोटे और भुरभुरे हो सकते हैं।
  • ऊपरी पत्तियों में अंतःशिरा हलके रंग के दिखाई देने लगते हैं और प्रभावित पत्तियों का रंग आखिर में सफेद हो जाता है। पत्तियां छोटी और विकृत हो सकती हैं।
  • फल छोटे और विकृत हो सकते हैं।

नियंत्रण:

  • जिंक की कमी को दूर करने के लिए जिंक युक्त उर्वरक जैसे जिंक सल्फेट का प्रयोग करें।
  • Zn 12% - EDTA का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर टमाटर के पौधों पर छिड़काव करें।

क्या आप भी टमाटर की फसल में पोषक तत्वों की कमी से परेशान हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: टमाटर के पौधों में पोटेशियम की कमी के लक्षण क्या हैं?

A: पोटेशियम की कमी से टमाटर की पत्तियों के किनारे भूरे और सूखे धब्बे बनने लगते हैं, पत्तियां मुड़ जाती हैं, और फल छोटे हो जाते हैं। पौधे कमजोर और अस्वस्थ नजर आते हैं।

Q: पौधों में जिंक की कमी का पता कैसे लगाएं?

A: जिंक की कमी से पत्तियों के बीच का हिस्सा पीला पड़ता है, पत्तियां छोटी और तंग हो जाती हैं, और पौधे की वृद्धि धीमी हो जाती है। पत्तियों पर भूरे धब्बे भी देखे जा सकते हैं।

Q: टमाटर के पौधे में नाइट्रोजन की कमी के लक्षण?

A: नाइट्रोजन की कमी से पुराने पत्तियां पीली हो जाती हैं, पौधे की वृद्धि धीमी हो जाती है, और फल कम होते हैं। पत्तियां जल्दी झड़ सकती हैं और पौधा कमजोर नजर आता है।

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