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23 Feb
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भिंडी की खेती | Okra Farming

भिंडी की खेती भारतीय किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प है। इसकी उन्नत तकनीकों का उपयोग करके किसान अच्छी उपज का उत्पादन कर सकते हैं और इससे अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। स्वास्थ्य लाभ की बात करें तो भिंडी में विटामिन सी, विटामिन ए, और फाइबर की अच्छी मात्रा होती है। कई पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण हरी सब्जियों में भिंडी की मांग अधिक होती है। भिंडी की फसल में कुछ अन्य प्रमुख फसलों की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए जल संरक्षण की दृष्टि से भी भिंडी की खेती किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकती है। तो आइए हम भी इस पोस्ट के माध्यम से ओकरा फार्मिंग यानी भिंडी की खेती पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।

भिंडी की खेती कैसे करें? | How to cultivate okra?

  • भूमि का चयन: भिंडी की खेती कई तरह की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है। इसकी बेहतर पैदावार के लिए जैविक तत्वों से भरपूर रेतली से चिकनी मिट्टी उपयुक्त है। मिट्टी का पीएच स्तर 6.0 से 6.5 के बीच होना चाहिए।
  • बीज की मात्रा एवं बीज उपचार: बीज की मात्रा किस्मों पर निर्भर करती है। सामान्यतः प्रति एकड़ खेत के लिए 3 से 6 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम कार्बेंडाजिम या 5 ग्राम इमिडाक्लोप्रिड से उपचारित करें। बुवाई से पहले बीज को 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखें। इससे अंकुरण में आसानी होती है।
  • बीज का चयन: भिंडी की खेती के लिए सही बीज का चयन करना महत्वपूर्ण है। उच्च उत्पादन और भिंडी की अच्छी गुणवत्ता के लिए विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए हाइब्रिड बीजों का उपयोग करें।
  • किस्में: भिंडी की बेहतर पैदावार के लिए आप 'देहात' की कुछ बेहतरीन किस्मों का चयन कर सकते हैं। जिसमें ' देहात डीएचएस 1195 ', ' देहात डीएचएस 1197 ' एवं ' देहात डीएस हरिका सुपर ' किस्में शामिल हैं। इसके अलावा आप सिंजेंटा- ओएच 102, नामधारी- एनएस 862 भिंडी, शाइन- अदिति सुपर F1 हाइब्रिड, आइरिस- शिवानी F1 भिंडी, आदि किस्मों का भी चयन कर सकते हैं।
  • खेत की तैयारी: खेत को तैयार करने के लिए 3-4 बार जुताई करें। जुताई के बाद खेत में पाटा लगाकर खेत की मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बना लें। खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 100 क्विंटल गोबर की खाद मिलाएं। खेत की अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 80 किलोग्राम यूरिया मिलाएं। खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें। इसकी अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए खेत में खाद का प्रयोग करने से पहले मिट्टी की जांच अवश्य कराएं।
  • बुवाई की विधि: भिंडी की बुवाई कतारों में करें। सभी कतारों के बीच 18 इंच की दूरी रखें। पौधों से पौधों के बीच करीब 6-8 इंच की दूरी होनी चाहिए।
  • सिंचाई एवं खरपतवार प्रबंधन: भिंडी की फसल में मिट्टी में मौजूद नमी के आधार पर सिंचाई करें। बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। इसके बाद हर 6 से 8 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। खेत में खरपतवार की समस्या से निजात पाने के लिए आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करें। बुवाई के 20-25 दिनों बाद पहली एवं बुवाई के 40-45 दिनों बाद दूसरी बार निराई-गुड़ाई करें।
  • रोग एवं कीट प्रबंधन: भिंडी की फसल में चोपा, सफेद मक्खी, फल छेदक कीट, मोजैक वायरस रोग, जड़ गलन रोग, जैसे कीटों एवं रोगों का प्रकोप अधिक होता है। ये रोग एवं कीट भिंडी की उपज में कमी का बड़ा कारण बन सकते हैं। इसलिए इनके लक्षण नजर आने पर उचित दवाओं का प्रयोग करें।
  • फलों की तुड़ाई: भिंडी की बुवाई के करीब 50 से 60 दिनों बाद फलों की पहली तुड़ाई की जा सकती है। फलों की तुड़ाई में देर करने से उनमें रेशे बनने लगते हैं। जिससे स्वाद भी खराब होता है और बिक्री करने पर उचित मूल्य भी नहीं मिलता है। फलों की तुड़ाई सुबह या शाम के समय करें।

भिंडी के फलों का आकार कैसे बढ़ाएं? | How to increase the size of okra fruits?

  • फलों के आकार बढ़ाने के लिए भिंडी के पौधों में 5 ग्राम पोटैशियम नाइट्रेट 13:00:45 (देहात न्यूट्रीवन KNO3) प्रति लीटर पानी के साथ मिला कर प्रयोग करें।
  • फलों के आकार को बढ़ाने के लिए बायो-स्टीमुलेंट का प्रयोग करना एक बेहतर विकल्प है। इसके लिए पौधों में फूल-फल आने के समय अकिलिस जीए (जिब्रेलिक एसिड 0.001%एल) @ 25-30 मिलीलीटर प्रति 15 लीटर पानी की दर से प्रयोग करें।
  • बेहतर परिणाम के लिए प्रति एकड़ खेत में प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम ' देहात - कैल्शियम नाइट्रेट विथ बोरोन ' मिला कर प्रयोग करें।

भिंडी में खरपतवार प्रबंधन | Okra weed management

निराई-गुड़ाई

  • खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई एक बेहतर विकल्प है।
  • बुवाई के 20 से 25 दिनों बाद फसल में पहली निराई-गुड़ाई करें। इसके बाद आवश्यकता के अनुसार इस प्रक्रिया को दोहराएं।

रासायनिक दवाओं का प्रयोग

  • भिंडी की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए बुवाई से पहले प्रति एकड़ भूमि में 200 लीटर पानी में 400 मिलीलीटर पेंडीमेथिलीन 30% इसी मिला कर छिड़काव करें।
  • चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए बुवाई के बाद एवं बीज अंकुरित होने से पहले खेत में प्रति 200 लीटर पानी में पैराक्वाट डाइक्लोराइड 24% एसएल ( देहात- चौपऑफ ) 500-800 एकड़ की दर से छिड़कें।

भिंडी की खेती में आपको किस तरह की समस्याएं आती हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं कमेंट करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Question)

Q1: भारत में भिंडी की खेती किन राज्यों में की जाती है?

A1: भारत में बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, आसाम, महाराष्ट्र, में भिंडी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।

Q2: भिंडी की खेती किस मौसम में की जाती है?

A2: भिंडी की खेती रबी एवं खरीफ दोनों मौसम में सफलतापूर्वक की जाती है।

Q3: भिंडी कितने दिन में फल देता है?

A3: भिंडी की बुवाई के करीब 45 दिनों बाद फलों की पहली तुड़ाई की जा सकती है। इसके बाद हर 3-4 दिनों के अंतराल पर फलों की तुड़ाई कर सकते हैं।

Q4: भिंडी को कितनी दूरी पर लगाना चाहिए?

A4: भिंडी के पौधों के बीच की दूरी विभिन्न किस्मों के अनुसार भिन्न हो सकती है। सामान्य तौर पर इसकी बुवाई पक्तियों में की जाती है। सभी पक्तियों के बीच 18 इंच की दूरी होनी चाहिए और पौधों से पौधों के बीच करीब 6 से 8 इंच की दूरी होनी चाहिए।

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