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20 Feb
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भिंडी: कीट, लक्षण, बचाव एवं उपचार | Okra: Pests, Symptoms, Prevention and Treatment

भिंडी: कीट, लक्षण, बचाव एवं उपचार | Okra: Pests, Symptoms, Prevention and Treatment

भारतीय कृषि का एक चौथाई भाग औद्योगिक फसलों के अंतर्गत आता है, जिसमें सब्जियों का एक अहम स्थान है। सब्जियों के उत्पादन में भिंडी को विश्व में दूसरा स्थान प्राप्त है। सब्जियों वाली फसलों में भिंडी एक प्रमुख फसल है, जिसकी खेती विभिन्न क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जाती है। उच्च पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण भिंडी का सेवन सभी आयुवर्ग के लोगों के लिए लाभदायक है। इसमें मैग्निशियम, पोटेशियम, विटामिन ए, विटामिन बी और कार्बोहाइड्रेट की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। अन्य फसलों की तरह भिंडी की फसल में भी कई तरह के कीटों का प्रकोप होता है जिससे पैदावार में भारी कमी आती है। भिंडी की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख कीटों में रस-चूसक कीट जैसे माहू, सफेद कीट, हरा तेला), दीमक, निमाटोड, लीफ माइनर, मीली बग, फल-छेदक इल्ली, आदि शामिल है।

भिंडी की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख कीट | Major pests affecting the Sugarcane Crop

रस-चूसक कीट से होने वाले नुकसान: रस चूसक कीटों में माहू, सफेद कीट, हरा तेला आदि शामिल हैं। यह कीट भिंडी के पत्तियों का रस चूसता है, एवं पौधे पीले होकर कमजोर हो जाते हैं। उनका वृद्धि-विकास रुक जाता है, एवं फूल-फल कम हो जाता है। जिससे पैदावार पर असर दिखता है।

रस-चूसक कीट पर नियंत्रण के तरीके:

  • इसके बचाव के लिए बीज को कीटनाशक से उपचारित करके लगाएं।
  • इसके नियंत्रण के लिए स्टिकी ट्रैप का 10 ट्रैप प्रति एकड़ प्रयोग करें।
  • थियामेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी (देहात एसिअर) का 100 ग्राम दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एल (धानुका मीडिया) का 120-150 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • इमिडाक्लोप्रिड 70% डब्ल्यूजी ( देहात कॉन्ट्रोपेस्ट) का 50-70 ग्राम दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • ऐसफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% एसपी (यूपीएल लांसर गोल्ड) का 350-400 ग्राम दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • पाइरिप्रोक्सीफेन 5% + डायफेंथियुरोन 25% एसई (यूपीएल सिमैक्स) का 300-400 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

दीमक से होने वाले नुकसान: यह कीट नीचे जमीन में होते हैं, सफेद रंग का बहुत छोटा कीट होता है, दीमक छोटे पौधे को जड़ को काटते हैं।

दीमक पर नियंत्रण के तरीके:

  • इसके प्रबंधन के लिए मिट्टी तैयारी करते समय कीटनाशक दवा का प्रयोग करना चाहिए।
  • फिप्रोनिल 0.6% जीआर (देहात स्लैमाइट अल्ट्रा) दवा का खाद के साथ 04 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
  • थियामेथोक्सम 75% एसजी (धानुका रिपल) दवा का 60-70 ग्राम खाद के साथ मिलाकर प्रयोग करें।
  • क्लोरोपाइरीफॉस 20% ईसी (टाटा तफ़ाबन) दवा का 500-600 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।

निमाटोड से होने वाले नुकसान: इसकी समस्या आने से पौधों के जड़ में गांठ बन जाती है, जिससे पौधे कुछ ले नहीं पाते हैं, और उनका वृद्धि-विकास रुक जाता है।

निमाटोड पर नियंत्रण के तरीके:

  • वर्टिसिलियम क्लैमाइडोस्पोरियम (आईपीएल नेमाटोफ्री प्लस) का 3-4 किलोग्राम दवा को बढ़िया से तैयार गोबर वाली खाद के साथ मिलाकर मिट्टी की तैयारी करते समय करें।
  • फ्लुएनसल्फोन 2% जीआर (अडामा निमित्ज़) का प्रति पौधा 1-2 ग्राम दवा का प्रयोग करें।
  • फ्लुओपाइरम 34.48% एससी (बायर वेलम प्राइम) का दवा का 400-500 मिलीलीटर 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से (ड्रेनचिंग) करें।

लीफ माइनर से होने वाले नुकसान: यह कीट पत्ते में सुरंग बनाती है और पत्ते को खराब करती है।

लीफ माइनर पर नियंत्रण के तरीके:

  • नीम का तेल 300-350 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • स्पिनेटोरम 11.7% एस सी (कॉर्टेवा डॉव डेलीगेट) का 150 मिलीलीटर दवा का 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • सायनट्रानिलिप्रोल 10.26% w/w ओ डी (एफएमसी बेनेविया) का 300 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • डाइमेथोएट 30% ईसी (टाटा टैफगोर) का 300 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

मिली बग कीट से होने वाले नुकसान:

यह पत्ते, शाखाओं और तने का रस चूसकर फसल को नुकसान पहुंचाता है। इसका हमला आमतौर पर जनवरी से अप्रैल के महीने में देखा जाता है। प्रभावित हिस्से सूखे और सफेद चूर्ण जैसे दिखते हैं।

मिली बग पर नियंत्रण के तरीके:

  • बुप्रोफेज़िन 70% डी एफ (टाटा रैलिस ज़ीनी) का 100-120 ग्राम दवा को प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
  • बुप्रोफेज़िन 25% एससी (बायर फ्लोटिस) का 300-400 मिलीलीटर दवा का 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • मोनोक्रोटोफॉस 36% एसएल (आईआईएल मोनोसिल) का 200-300 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • डेल्टामेथ्रिन 2.8% ईसी (बायर डेसीस 2.8) का 150 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

फल छेदक इल्ली से होने वाले नुकसान: यह इल्ली भिंडी के फसल में भारी नुकसान करता है, एवं फल खराब करता है, यह भिंडी के फलों को छेद करके खाता है, जिससे फल में गोलाकार छिद्र हो जाते हैं और भारी मात्रा में भिंडी को खराब करता है।

फल छेदक इल्ली पर नियंत्रण के तरीके:

  • थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेड सी (देहात एंटोकिल) का 80-100 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें ।
  • क्लोपाइरीफोस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% ईसी (देहात सी-स्क्वायर ) का 300 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
  • इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस जी (देहात इल्लीगो) का 100 ग्राम दवा को 150-200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
  • डेल्टामेथ्रिन 2.8% ई सी (बायर डेसीस 2.8) का 150 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% w/w एस सी (एफएमसी कोराजन) का 80-100 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • नोवलूरॉन 5.25% + इंडोक्साकार्ब 4.5% w/w एस सी (अडामा प्लेथोरा) का 300 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

मकड़ी से होने वाले नुकसान:

यह मकड़ी पौधों की पत्तियों की निचली सतह पर भारी संख्या में रहते हैं। इसके शिशु व प्रौढ़ पत्तों की निचली सतह से रस चूसते हैं। ग्रसित हुए पत्तों पर छोटे-छोटे सफेद रंग के धब्बे बन जाते हैं। यह मकड़ी पत्तियों पर जाला बना देती है। अधिक प्रकोप होने पर पौधा सूख कर खराब होने लगता है।

मकड़ी पर नियंत्रण के तरीके:

  • सायनोपाइराफेन 30% एससी (आईआईएल कुनोइची) का 100-120 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • स्पाइरोमेसिफेन 22.9% एससी (बायर ओबेरॉन ) का 100-120 मिलीलीटर दवा का 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • प्रोपरगाइट 57% ईसी (धानुका ओमाइट) का 300-400 मिलीलीटर दवा का 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

आपकी भिंडी की फसल में किस कीट का प्रकोप अधिक होता है और इन पर नियंत्रण के लिए आप किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के द्वारा बताएं। कृषि संबंधी जानकारियों के लिए देहात के टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर सम्पर्क करके विशेषज्ञों से परामर्श भी कर सकते हैं। इसके अलावा, 'किसान डॉक्टर' चैनल को फॉलो करके आप फसलों के सही देखभाल और सुरक्षा के लिए और भी अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं शेयर करके आप इस जानकारी को अन्य किसानों तक पहुंचा सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: भिंडी के लिए सबसे अच्छा कीटनाशक कौन सा है?

A: भिंडी की फसल में कई तरह के कीटों का प्रकोप होता है। इनमें कुछ कीट पौधों एवं पत्तियों का रस चूसते हैं, वहीं कई ऐसे कीट भी हैं जो पौधों के तने को काट कर नष्ट कर देते हैं। सभी कीटों के लिए बाजार में अलग-अलग कीटनाशक दवाएं उपलब्ध हैं। दवाओं का प्रयोग कीटों के अनुसार ही करें।

Q: भिंडी की अच्छी किस्म कौन सी है?

A: भिंडी की उन्नत एवं अधिक पैदावार के लिए देहात DHS-1195 , DHS-1197, DS हरिका सुपर , अडवान्टा कुमकुम (गोल्डेन) बीज लगा सकते हैं।

Q: भिंडी की बुवाई एक एकड़ क्षेत्र के लिए कितना बीज लगता है?

A: भिंडी की बुवाई के लिए 2.5 -03 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज दर लगता है।

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