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कृषि ज्ञान
16 Aug
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नाशपाती की खेती (pear farming)


नाशपाती एक महत्वपूर्ण फल है जो उच्च विटामिन और खनिज तत्वों से भरपूर होता है। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में सहायक होता है और आयरन से भरपूर होने के कारण हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है। नाशपाती की खेती पहाड़ी और तराई क्षेत्रों दोनों में की जा सकती है। यहाँ नाशपाती की खेती के विभिन्न पहलुओं की विस्तार से जानकारी दी जा रही है।

कैसे करें नाशपाती की खेती? (How to cultivate pear?

  • मिट्टी: नाशपाती के लिए गहरी, उपजाऊ, और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी उपयुक्त होती है। मिट्टी का pH 8.7 होना चाहिए। रेतीली दोमट से लेकर चिकनी दोमट तक की मिट्टी में नाशपाती की खेती की जा सकती है, बशर्ते मिट्टी 2 मीटर गहराई तक कठोर ना हो।
  • जलवायु: नाशपाती की खेती के लिए उपोष्ण और शीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है। आदर्श तापमान 10-25°C होता है, और इसे समुद्र तल से 1,700-2,400 मीटर की ऊँचाई पर उगाया जा सकता है। यह हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, और उप-उष्ण क्षेत्रों में भी उगाई जा सकती है।
  • बुवाई का उचित समय और तरीका: पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय जनवरी होता है, और इस समय एक साल पुराने पौधों का उपयोग किया जाता है। बीजों द्वारा नर्सरी तैयार कर के कलम विधि से पौधे तैयार किए जाते हैं। बीजों को दिसंबर में लकड़ी के बक्सों में रखकर 30 दिनों तक रखा जाता है और जनवरी में नर्सरी में बोया जाता है। पौधों के बीच 8x4 मीटर का फासला रखा जाता है। बुवाई के लिए वर्गाकार या आयताकार विधि अपनाई जाती है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में ढलान विधि का उपयोग किया जाता है। टी-बडिंग या टंग ग्राफ्टिंग का उपयोग किया जाता है; ग्राफ्टिंग दिसंबर-जनवरी में और टी-बडिंग मई-जून में की जाती है।
  • खाद और उर्वरक: 1-3 साल की फसल के लिए प्रति वृक्ष 10-20 किलोग्राम गोबर की खाद, 100-300 ग्राम यूरिया, 200-300 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट (SSP), और 200-450 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) का उपयोग करें। 4-6 साल की फसल के लिए प्रति वृक्ष 25-35 किलोग्राम गोबर की खाद, 400-600 ग्राम यूरिया, 800-1200 ग्राम SSP, और 600-900 ग्राम MOP डालें। 7-9 साल की फसल के लिए प्रति वृक्ष 40-60 किलोग्राम गोबर की खाद, 700-900 ग्राम यूरिया, 1400-1800 ग्राम SSP, और 1050-1350 ग्राम MOP की आवश्यकता होती है। 10 साल या अधिक पुरानी फसल के लिए प्रति वृक्ष 60 किलोग्राम गोबर की खाद, 1000 ग्राम यूरिया, 2000 ग्राम SSP, और 1500 ग्राम MOP डालें। यूरिया की आधी मात्रा फरवरी में और बाकी आधी अप्रैल में डालने से फसल को बेहतर पोषण मिलता है।
  • सिंचाई प्रबंधन: नाशपाती की सफल खेती के लिए उचित सिंचाई प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण है। रोपाई के बाद, गर्मी के मौसम में हर 5-7 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जाती है, जबकि सर्दियों में यह अंतराल बढ़ाकर 15 दिन कर दिया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि पौधों को पर्याप्त जल मिले और वे स्वस्थ रहें। अधिक जलभराव से पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे पौधों का विकास प्रभावित हो सकता है। इसलिए, ड्रिप सिंचाई का प्रयोग करना एक अच्छा विकल्प है, क्योंकि यह जल की मात्रा को नियंत्रित करता है और सीधे जड़ों तक पहुंचाता है, जिससे जल की बर्बादी कम होती है।
  • खरपतवार नियंत्रण: खरपतवारों को नियंत्रित करना नाशपाती की फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक है। जुताई के बाद, खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए उचित खरपतवार नाशक का स्प्रे किया जाता है। यह खरपतवारों की वृद्धि को रोकता है और उन्हें मारता है और जड़ी-बूटियों और अन्य खरपतवारों के खिलाफ प्रभावी होता है। यह स्प्रे खरपतवारों को समाप्त करने और नाशपाती की फसल को बेहतर बनाने में सहायक होता है।
  • अंतर-फसलें: फल न लगने के समय खरीफ ऋतु में उड़द, मूंग, और तोरियों जैसी फसलें और रबी में गेहूं, मटर, और चने जैसी फसलें अंतर-फसली के रूप में उगाई जा सकती हैं।
  • रोग और कीट प्रबंधन: नाशपाती की फसल को विभिन्न रोगों और कीटों से बचाना आवश्यक है। टिड्डा फूलों को प्रभावित करता है और काले रंग की फंगस लगाता है। चेपा और थ्रिप्स पत्तों का रस चूसते हैं, जिससे पत्ते पीले और सूख सकते हैं। धफड़ी रोग पत्तों पर काले और स्लेटी धब्बे उत्पन्न करता है। जड़ का गलना पौधे की छाल और लकड़ी पर सफेद पाउडर और भूरे धब्बे छोड़ता है। इन समस्याओं से निपटने के लिए समय पर उपचार आवश्यक है।
  • तुड़ाई: नाशपाती की फसल की तुड़ाई सही समय पर करना आवश्यक है ताकि फलों की गुणवत्ता और स्वाद को बनाए रखा जा सके। कठोर किस्मों की तुड़ाई लगभग 145 दिनों में की जाती है, जबकि नरम किस्में 135-140 दिनों में पकती हैं। कटाई का उचित समय जून से सितंबर के मध्य होता है, जब फल पूरी तरह से पक जाते हैं और उनकी मिठास और स्वादपूर्ण होता है।
  • भंडारण: फल तुड़ाई के बाद सही तरीके से भंडारण करना नाशपाती की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। तुड़ाए गए फलों को फाइबर बॉक्स में रखा जाता है, और उन्हें 0-1°C तापमान पर 90-95% नमी वाले स्टोर में 60 दिन तक रखा जा सकता है। इस तापमान और नमी की स्थिति से फल ताजे बने रहते हैं और लंबे समय तक उपयोग के लिए तैयार रहते हैं।
  • उत्पादन: नाशपाती की खेती से उत्पादन भी अच्छा होता है, अगर सही देखभाल और तकनीक का पालन किया जाए। प्रति पेड़ औसतन 4-5 क्विंटल नाशपाती प्राप्त की जा सकती है। एक हेक्टेयर क्षेत्र से 400-700 क्विंटल नाशपाती प्राप्त की जा सकती है, जिससे नाशपाती की खेती एक लाभकारी विकल्प बन जाती है। सही तकनीक, देखभाल और प्रबंधन से नाशपाती की खेती से अच्छा मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है।

क्या आप नाशपाती की खेती करते हैं ? अगर हाँ तो अपना जवाब हमें कमेंट करके बताएं। ऐसी ही रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान मित्रों के साथ साझा करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions - FAQs)

Q: नाशपाती का पेड़ कितने दिन में फल देता है?

A: नाशपाती का पेड़ आमतौर पर 2 से 4 साल के भीतर फल देना शुरू करता है, लेकिन पूर्ण पैदावार प्राप्त करने के लिए पेड़ को 5 से 7 साल का समय लग सकता है। इस दौरान, पेड़ की देखभाल और सही कृषि तकनीक महत्वपूर्ण होती हैं ताकि अधिक और बेहतर गुणवत्ता के फल प्राप्त किए जा सकें।

Q: नाशपाती कौन से महीने में आती है?

A: नाशपाती का मौसम आमतौर पर गर्मियों के अंत और पतझड़ के शुरुआत में होता है। भारत में, नाशपाती की फसल जुलाई से सितंबर के बीच आती है। विभिन्न किस्मों के अनुसार फल पकने का समय थोड़ा भिन्न हो सकता है।

Q: नाशपाती की खेती के लिए कौन सी मिट्टी उपयुक्त है?

A: नाशपाती की खेती के लिए गहरी, उपजाऊ, और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी उपयुक्त है। मिट्टी का pH 6.0 से 8.7 के बीच होना चाहिए। रेतीली दोमट से लेकर चिकनी दोमट तक की मिट्टी में अच्छी पैदावार होती है।

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