फली छेदक एवं चूर्णिल आसिता रोग से कम हो सकती है मटर की उपज

मटर की फसल में फली छेदक कीट का प्रकोप सबसे अधिक होता है। इसके अलावा चूर्णिल आसिता रोग यानी पाउडरी मिल्ड्यू के कारण भी मटर की फसल का बहुत नुकसान होता है। फली छेदक कीट एवं चूर्णिल आसिता रोग के लक्षण एवं नियंत्रण की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
फली छेदक कीट: यह कीट फलियों में छेद करके अंदर के दानों को खा जाते हैं। इस कीट के कारण मटर की पैदावार में 30 से 40 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।
नियंत्रण:
- इस कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 54-88 ग्राम इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस.जी. (देहात इल्लीगो) का प्रयोग करने से भी फल छेदक पर नियंत्रण किया जा सकता है। यह दवा बाजार में धानुका इ.एम. 1 के नाम से भी उपलब्ध है।
- इसके अलावा 150 लीटर पानी में 100 मिलीलीटर लैम्डा साईहेलोथ्रिन 2.5 प्रतिशत इसी (अदामा - लैम्डेक्स) मिला कर छिड़काव करें। यह मात्रा प्रति एकड़ खेत के अनुसार दी गई है।
चूर्णिल आसिता रोग: इस रोग की शुरुआत में पत्तियों के ऊपरी भाग पर सफेद-धूसर धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में बढ़कर सफेद रंग के पाउडर में बदल जाते हैं। इससे प्रकाश संश्लेषण में बाधा आती है। प्रभावित पत्तियां सूख कर गिरने लगती हैं और पौधों का विकास रुक जाता है।
नियंत्रण:
- प्रति एकड़ खेत में 300 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% एस.सी. (देहात एजीटॉप) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 200 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% +डिफेनोकोनाजोल 11.4% एस.सी (देहात सिनपैक्ट) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 300 ग्राम कैप्टन 70% + हेक्साकोनाज़ोल 5% WP का प्रयोग करें। यह दवा बाजार में टाटा ताकत के नाम से उपलब्ध है।
- प्रति एकड़ खेत में 6-8 किलोग्राम सल्फर 85% डीपी का प्रयोग करें।
आपकी खेत में मटर की फसल में किस कीट या रोग का प्रकोप अधिक होता है? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें। फसलों को क्षति पहुंचाने वाले कीट एवं रोगों पर नियंत्रण की अधिक जानकारी के लिए ' किसान डॉक्टर ' चैनल को तुरंत फॉलो करें।
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