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29 Jan
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पिंक ताइवानी अमरूद की खेती (Pink Taiwan Guava Farming)


पिंक ताइवानी अमरूद अपनी खूबसूरत गुलाबी रंगत, मीठे स्वाद और जबरदस्त पोषण गुणों के लिए जाना जाता है। यह भारत के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है और किसानों के लिए एक फायदेमंद और ज्यादा पैदावार देने वाली फसल साबित होती है। अगर आप भी इस अमरूद की खेती शुरू करना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद मददगार होगा। यहां आपको पिंक ताइवानी अमरूद की खेती से जुड़ी हर जरूरी जानकारी मिलेगी, जिससे आप अच्छी उपज के साथ ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।

कैसे करें पिंक ताइवानी अमरूद की खेती? (How to Grow Pink Taiwan Guava?)

  • मिट्टी (Soil): पिंक ताइवानी अमरूद हल्की काली मिट्टी, बलुई मिट्टी और उचित जल निकासी वाली मिट्टी में सबसे अच्छा उगता है। मिट्टी का पीएच मान 4.5 से 7 के बीच होना चाहिए। भारी चिकनी मिट्टियों से बचना चाहिए, क्योंकि वे पानी को अधिक समय तक रोकती हैं, जिससे जड़ सड़ने की समस्या हो सकती है। मिट्टी का परीक्षण कर इसे जैविक पदार्थ से सुधारना आवश्यक है।
  • जलवायु (Climate): पिंक ताइवानी अमरूद की खेती के लिए आदर्श तापमान 25°C से 35°C के बीच होता है और इसे वर्ष में लगभग 1000 मिमी की समान रूप से वितरित वर्षा की आवश्यकता होती है। यह अमरूद उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छा उगता है, और महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे क्षेत्रों में उपयुक्त है।
  • बुवाई का समय (Time for Planting): अमरूद की रोपाई के लिए जून-अगस्त या फरवरी-मार्च का समय सबसे उपयुक्त होता है।
  • किस्में (Varieties): पिंक ताइवानी अमरूद की उन्नत किस्में जैसे पिंक ताइवानी, रेड ताइवानी और सुपर पिंक ताइवानी बाजार में अपनी विविधता और उच्च गुणवत्ता के लिए लोकप्रिय हैं।
  • खेत की तैयारी (Field Preparation): पिंक ताइवानी अमरूद की सफल खेती के लिए खेत की उचित तैयारी बहुत महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, खेत को खरपतवार, पत्थर और अन्य मलबे से साफ करें। फिर भूमि को 15-20 सेंटीमीटर गहरी जोतें और उसे समतल करें, ताकि सिंचाई के दौरान पानी का समान वितरण हो सके। अगर मिट्टी सख्त हो, तो जैविक खाद या कम्पोस्ट का उपयोग करके इसे सुधारें। जलभराव की समस्या से बचने के लिए ऊंचे बिस्तर (raised beds) या क्यारियाँ बनाना उपयुक्त रहेगा।
  • पौधरोपण (Planting): पिंक ताइवानी अमरूद के लिए स्वस्थ, रोग मुक्त और प्रमाणित नर्सरी से पौधे खरीदे। रोपण के लिए 8 से 10 फीट की दूरी पर गड्ढे तैयार करें, जिनका आकार 1x1x1 मीटर होना चाहिए। वर्षा ऋतु (जून से जुलाई) के दौरान रोपण करना सबसे अच्छा होता है, क्योंकि इस समय पर्याप्त नमी होती है, जो पौधों के शुरुआती विकास में मदद करती है। रोपण के दौरान प्रत्येक गड्ढे में 5-10 किलोग्राम एफवाईएम, 100 ग्राम यूरिया, 4 किलोग्राम डी.ए.पी और 150 ग्राम एम.ओ.पी डालें।
  • सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management): पिंक ताइवानी अमरूद को नियमित रूप से पानी की आवश्यकता होती है, विशेषकर गर्मी के मौसम में। शुरुआती चरणों में, हर 2-3 दिन में सिंचाई करें। जैसे-जैसे पौधे बड़े होते हैं, सिंचाई की आवश्यकता कम हो जाती है, लेकिन फिर भी पौधों को सूखा न होने दें। ड्रिप सिंचाई प्रणाली आदर्श है, क्योंकि यह जल को प्रभावी रूप से वितरित करती है और मिट्टी में पानी की बर्बादी को कम करती है।
  • खरपतवार प्रबंधन (Weed Management): अमरूद के पौधों की सही वृद्धि के लिए प्रारंभ में सधाई क्रिया करें और सुनिश्चित करें कि शाखाएं 90 सेंटीमीटर से अधिक ऊँची न हों। खरपतवारों के नियंत्रण के लिए उचित खरपतवार नाशक दवाओं का छिड़काव करें। समय-समय पर pruning (काट-छाँट) करें और मृत शाखाओं को हटा दें, जिससे पौधों में हवा का सही संचार हो सके और सूर्य की रोशनी हर हिस्से तक पहुंच सके।
  • उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management): पिंक ताइवानी अमरूद के पौधों को स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाले फल देने के लिए उर्वरक प्रबंधन बेहद महत्वपूर्ण है। शुरुआत में, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (NPK) का संतुलित मिश्रण और जैविक खाद जैसे गोबर या कंपोस्ट का उपयोग करें। इसके बाद 1-3 साल के पौधों के लिए, गोबर 10-25 किलोग्राम, यूरिया 155-200 ग्राम, एसएसपी 500-1600 ग्राम और एम.ओ.पी 100-400 ग्राम प्रति पेड़ दिया जाता है। 4-6 साल के पौधों के लिए, गोबर 25-40 किलोग्राम, यूरिया 300-600 ग्राम, एसएसपी 1500-2000 ग्राम और एम.ओ.पी 600-1000 ग्राम प्रति पेड़ डालें। 7-10 साल के पौधों के लिए, गोबर 40-50 किलोग्राम, यूरिया 750-1000 ग्राम, एसएसपी 2000-2500 ग्राम और एम.ओ.पी 1100-1500 ग्राम प्रति पेड़ दें। 10 साल से अधिक उम्र के पौधों के लिए, गोबर 50 किलोग्राम, यूरिया 1000 ग्राम, एसएसपी 2500 ग्राम और एम.ओ.पी 1500 ग्राम प्रति पेड़ डाला जाता है।
  • रोग और कीट नियंत्रण (Pest and Disease Control): पिंक ताइवानी अमरूद पर कुछ सामान्य रोग और कीट प्रभाव डाल सकते हैं, जैसे एन्थ्रेक्नोज (धब्बा रोग), चूर्णिल आसिता, रतुआ, उकठा रोग, फल सड़न रोग, कीट फल की मक्खी, मिलीबग, तना छेदक, और चेपा। इनकी रोकथाम के लिए जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें और रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल जरूरत के मुताबिक करें। पौधों के आसपास सफाई बनाए रखें ताकि कीटों का प्रकोप कम हो सके।
  • कटाई (Harvesting): पिंक ताइवानी अमरूद के फल आमतौर पर 8 से 10 महीने में पकते हैं। जब फल का रंग पूरी तरह से गुलाबी हो जाए और वह हल्का सा नर्म हो, तो वह काटने के लिए तैयार होते हैं। फल को बहुत जल्दी या बहुत देर से न काटें, क्योंकि इससे फलों की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है। पकने के बाद, फल को ध्यान से काटें ताकि उसे नुकसान न हो और बाजार में अच्छे दाम पर बेचा जा सके।
  • उपज (Yield): पिंक ताइवानी अमरूद के ग्राफ्टेड पेड़ प्रति पेड़ लगभग 350 किलोग्राम तक उपज दे सकते हैं। अंकुर वाले पौधे 90-150 किलोग्राम या 10-15 टन/हेक्टेयर तक उपज दे सकते हैं। सही समय पर कटाई, उचित भंडारण, और अच्छे प्रबंधन से पिंक ताइवानी अमरूद की उच्च गुणवत्ता वाली और बेहतर उपज प्राप्त की जा सकती है।

क्या आप पिंक ताइवान अमरूद की खेती करना चाहते हैं? अपने अनुभव और सवाल कमेंट करके हमें बताएं। इसी तरह की और रोचक जानकारी के लिए 'बागवानी फसलें' चैनल को फॉलो करें। अगर पोस्ट पसंद आई हो, तो लाइक करें और अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें!

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: पिंक ताइवानी अमरूद की खेती के लिए आदर्श जलवायु क्या है?

A: पिंक ताइवानी अमरूद को उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में सबसे अच्छा विकास मिलता है। इसका आदर्श तापमान 25°C से 35°C के बीच होता है। इसके अलावा, समान रूप से वितरित वर्षा की आवश्यकता होती है। यह अमरूद महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में उगाया जा सकता है।

Q: पिंक ताइवानी अमरूद के पौधों में किस प्रकार की सिंचाई की व्यवस्था करनी चाहिए?

A: पिंक ताइवानी अमरूद के पौधों के लिए ड्रिप सिंचाई सर्वोत्तम होती है। यह जल का सही वितरण सुनिश्चित करती है और पानी की बचत भी होती है। शुरुआती दौर में हर 2-3 दिन में सिंचाई करनी चाहिए, जबकि बड़े पौधों के लिए सिंचाई की आवश्यकता कम हो जाती है, लेकिन पानी की कमी नहीं होनी चाहिए।

Q: पिंक ताइवानी अमरूद की फसल में कीटों और रोगों से बचाव के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

A: पिंक ताइवानी अमरूद पर प्रमुख कीट और रोग जैसे सफेद मच्छर, थ्रिप्स, और एन्थ्रेक्नोज हो सकते हैं। इनसे बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें। साथ ही, समय-समय पर pruning (काट-छाँट) करके पौधों को स्वस्थ रखें। यदि आवश्यक हो, तो रासायनिक कीटनाशक का उपयोग भी किया जा सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करें कि उनका प्रयोग सही तरीके से हो, ताकि फल पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

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