पोस्ट विवरण
सुने
परवल
सब्जियां
कृषि ज्ञान
19 Apr
Follow

परवल की खेती: मिट्टी, बीज उपचार, रोग नियंत्रण | Pointed Gourd Cultivation: Soil, Seed Treatment, Disease Control

कद्दू वर्गीय सब्जियों में शामिल 'परवल' एक लताओं वाली फसल है। यह एक बहुवर्षीय फसल है। एक बार पौधों की रोपाई करके 5-6 वर्षों तक फल प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन अधिक पैदावार के लिए हर वर्ष फलों की तुड़ाई के बाद उचित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करना जरूरी है। अगर आप भी परवल की खेती करना चाहते हैं तो इसकी अधिक जानकारियों के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।

परवल की खेती कैसे करें? | How to cultivate Pointed Gourd?

परवल की खेती के लिए उपयुक्त समय

  • परवल की खेती अलग-अलग स्थानों के अनुसार भिन्न हो सकती है।
  • मैदानी क्षेत्रों में इसकी रोपाई मध्य जुलाई से अक्टूबर तक की जाती है।
  • दियारा क्षेत्रों में (नदी के किनारे) इसकी रोपाई सितम्बर से अक्टूबर महीने में की जाती है।

उपयुक्त मिट्टी

  • परवल की खेती भारी मिट्टी को छोड़कर लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है।
  • इसकी बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए पर्याप्त मात्रा में जीवांश युक्त दोमट मिट्टी या बलुई दोमट मिट्टी में खेती करें।
  • जल जमाव वाले क्षेत्रों में इसकी खेती न करें।

खेत तैयार करने की विधि

  • सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से 1 बार गहरी जुताई करें।
  • इसके बाद 3 से 4 बार हल्की जुताई करें।
  • जुताई के बाद खेत में पाटा अवश्य लगाएं। इससे खेत की मिट्टी समतल एवं भुरभुरी होती है।

बुवाई/रोपाई की विधि

परवल की खेती बीज की बुवाई एवं तने की रोपाई, दोनों विधि से की जाती है।

  • बीज की बुवाई का तरीका: इसके लिए बीज को पहले नर्सरी में बुवाई करके पौधे तैयार करें। 2-3 महीने के बिचड़ों की मुख्य खेत में रोपाई करें। लेकिन इस विधि से खेती करने पर मादा पौधों की तुलना में नर पौधों की संख्या अधिक हो जाती है। जिससे उपज में कमी हो सकती है।
  • जड़ एवं तने की रोपाई: इस विधि से परवल की खेती के लिए जड़ों के साथ 5-6 गांठों वाले तने का 1 या 2 इंच लेकर इसकी रोपाई करें। इस विधि से परवल की खेती करने पाए पौधे जल्दी बढ़ते हैं और पौधों में फल भी जल्दी आते हैं।

नर एवं मादा पौधों की संख्या

  • परवल में नर एवं मादा फूल अलग-अलग पौधों के खिलते हैं।
  • बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए प्रति 10 मादा पौधों के साथ 1 नर पौधे का होना आवश्यक है।
  • नर एवं मादा पौधों की पहचान उनमें आने वाले फूलों से की जा सकती है।
  • नर पौधों में सीधे एवं लम्बे फूल आते हैं। वहीं मादा पौधों में आने वाले फूलों का निचला हिस्सा मोटा होता है।
  • मादा फूल छोटे-छोटे रोएं के साथ सफेद रंग के होते हैं।

सिंचाई प्रबंधन

  • परवल के पौधों को नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है, खासकर फूल और फल आने के दौरान मिट्टी में नमी की कमी न होने दें।
  • सिंचाई की आवृत्ति मिट्टी के प्रकार, मौसम की स्थिति और पौधों के विकास की अवस्था पर निर्भर करती है।

उर्वरक प्रबंधन

  • खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 150 से 200 क्विंटल गोबर खाद का प्रयोग करें।
  • इसके साथ ही प्रति एकड़ खेत में 20 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट, 2-3 क्विंटल नीम की खली, 50 किलोग्राम डीएपी खाद, 70-90 किलोग्राम यूरिया, 20 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश, 15 किलोग्राम जिंक सल्फेट और 10 किलोग्राम बोरेक्स का प्रयोग करें।
  • बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 4 किलोग्राम 'देहात स्टार्टर' का प्रयोग करें।

खरपतवार नियंत्रण

  • रोपाई के बाद पौधों में फल आने तक 4-5 बार तक निराई-गुड़ाई करें।
  • बुवाई के बाद, पहली निराई-गुड़ाई को 20 से 25 दिनों के बाद करें।
  • इसके बाद, आवश्यकता के अनुसार इस प्रक्रिया को दोहराएं।
  • मल्चिंग के द्वारा भी खरपतवारों पर नियंत्रण किया जा सकता है। इसके लिए खेत में लगे पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक कवर, पुआल या पत्तों आदि के द्वारा सही तरीके से ढकें।
  • खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए रासायनिक दवाओं का भी प्रयोग कर सकते हैं।
  • रासायनिक दवाओं के प्रयोग के समय इस बात का ध्यान रखें कि चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारनाशक का प्रयोग न करें। इससे परवल के पौधों को भी क्षति पहुंच सकती है।

पौधों को सहारा

  • परवल के पौधे लताओं की तरह बढ़ते हैं।
  • इसकी अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए पौधों को सहारा देना बहुत जरूरी है।
  • इसके लिए जमीन की सतह से करीब 1 से 1.5 मीटर ऊंचाई वाला मचान तैयार करें।
  • पौधों को मचान के ऊपर चढ़ाएं और गिरने से बचाने के लिए नरम रस्सी या सुतली से बांधें।
  • परवल एक बहुवर्षीय फसल है, इसलिए खेत में मजबूत मचान का निर्माण करना लाभदायक होता है।

रोग एवं कीट प्रबंधन

  • परवल की फसल में फल मक्खी, फल छेदक कीट, रस चूसक कीट, फल सड़न रोग, मोजेक रोग, चूर्णिल आसिता, मृदुरोमिला आसिता, आदि का प्रकोप अधिक होता है।
  • परवल के पौधों को इन रोगों से बचाने के लिए खेत में लगातार निरीक्षण करते रहें।
  • किसी भी रोग या कीट के लक्षण नजर आने पर उचित दवाओं का प्रयोग करें।
  • रोग एवं कीटों का प्रकोप बढ़ने पर तुरंत कृषि विशेषज्ञ से संपर्क करें।

फलों की तुड़ाई

  • परवल के पौधों में सामान्यतः मार्च के महीने से फल लगने शुरू हो जाते हैं।
  • फल आने के 10-12 दिनों बाद इनकी तुड़ाई की जा सकती है।
  • सभी फल एक साथ नहीं तैयार होते हैं। इसलिए हर 3-4 दिनों के अंतराल पर फलों की तुड़ाई करते रहें।
  • फलों के नरम रहते इनकी तुड़ाई कर लें। तुड़ाई में देर होने से फल पकने लगते हैं।

परवल की खेती के समय आपको किस तरह की समस्याएं आती है? अपने जवाब हमें कमेंट के द्वारा बताएं। कृषि संबंधी अन्य रोचक एवं ज्ञानवर्धक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: परवल कितने दिन में फल देता है?

A: जड़ वाले तने की रोपाई के करीब 60-70 दिनों बाद पौधों में फल आने शुरू हो जाते हैं। मौसम की स्थिति, बीज की गुणवत्ता एवं किस्मों के अनुसार फल आने में लगने वाला समय भिन्न हो सकता है।

Q: परवल भारत में कहां उगाया जाता है?

A: उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में बड़े पैमाने पर परवल की खेती की जाती है। इसके अलावा मध्य प्रदेश, मद्रास, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल एवं तामिलनाडु में भी इसकी खेती की जाती है।

Q: परवल की खेती में कौन सी खाद डालें?

A: परवल की फसल में आवश्यकता अनुसार नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम का प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा गोबर की खाद भी पौधों के लिए उपयुक्त है। मिट्टी जांच के आधार पर आप सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी प्रयोग कर सकते हैं।

53 Likes
1 Comment
Like
Comment
Share
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ