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30 Apr
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मुर्गी पालन के व्यवसाय से होगी लाखों की कमाई, जाने लागत एवं सब्सिडी | Poultry Farming: Cost, Subsidy and Best Practices

मुर्गी, मांस एवं अंडे प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक पाले जाने वाले पोल्ट्री पक्षियों में से एक है। इन दिनों मुर्गी पालन व्यवसाय बहुत तेजी से बढ़ रहा है। कुछ दशक पहले तक देसी नस्ल की मुर्गियां अधिक पाली जाती थीं। लेकिन समय के साथ, उच्च उत्पादकता के कारण अब ब्रायलर और लेयर मुर्गियों का पालन अधिक प्रचलित हो रहा है। भारत में पोल्ट्री उद्योग का देश की कृषि अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान है। बाजार में मुर्गियों के साथ अंडों की मांग भी बढ़ रही है। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं। इस व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति कम समय में लाखों की कमाई कर सकते हैं। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम मुर्गी पालन में आने वाली लागत एवं होने वाले मुनाफे के साथ मुर्गी पालन व्यवसाय की शुरुआत के लिए मिलने वाली सब्सिडी एवं ऋण (लोन) पर भी विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

मुर्गियों पालन शुरू करने से पहले किन बातों का रखें ध्यान? | Factors to Consider for Poultry Farming

पोल्ट्री फार्म शुरू करने से पहले कई महत्वपूर्ण कारकों को ध्यान में रखना आवश्यक है। इनमें से कुछ निम्न प्रकार हैं:

  • विनियम: अपने क्षेत्र में मुर्गी पालन से संबंधित नियमों की जानकारी होना जरूरी है। इसके लिए आवश्यक परमिट और लाइसेंस प्राप्त करें। इसके साथ ही स्वास्थ्य और सुरक्षा नियमों का पालन करना भी जरूरी है।
  • बाजार की मांग: अपने क्षेत्र में पोल्ट्री उत्पादों की बाजार मांग पर गहन शोध करें। इससे आपको उत्पादों की मात्रा एवं मूल्य निर्धारित करने में मदद मिलेगी।
  • स्थान: मुर्गियों के लिए ऐसे स्थान का चयन करें जहां स्वच्छ पानी, बिजली और परिवहन की सुविधा है। इसके साथ ही ये स्थान प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय खतरों से भी मुक्त होना चाहिए।
  • विशेषज्ञता: मुर्गी पालन के लिए विशेष ज्ञान और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। इस व्यवसाय की शुरुआत करने से पहले विशेषज्ञों से परामर्श करें। एक सफल पोल्ट्री फार्म चलाने के लिए आवश्यक जानकारियां प्राप्त करें।
  • जोखिम प्रबंधन: पोल्ट्री फार्मिंग के व्यवसाय में रोगों का प्रकोप, प्राकृतिक आपदा और बाजार में उतार-चढ़ाव जैसे जोखिम शामिल हैं। इन जोखिमों को कम करने के लिए और अपने निवेश की सुरक्षा के लिए एक जोखिम प्रबंधन योजना बनाएं।

कैसा हो मुर्गियों का आवास? | Space for Poultry Farming

  • उपयुक्त स्थान का चयन: मुर्गियों के रहने का स्थान अच्छी तरह से सूखा और आवासीय क्षेत्रों से दूर होना चाहिए। इसके पास परिवहन केकी सुविधा भी होनी चाहिए।
  • आवास का प्रकार: विभिन्न प्रकार के पोल्ट्री आवास होते हैं। जिनमें डीप लिटर, केज (पिंजरा) और फ्री-रेंज शामिल है। आप अपनी आवश्यकताओं और बजट के अनुकूल इनमे से किसी भी प्रकार के आवास का निर्माण कर सकते हैं।
  • उचित व्यवस्था: आवास में मुर्गियों के रहने, घूमने और अंडे देने के लिए प्रयाप्त स्थान होना चाहिए। इसमें हवा के आवागमन और प्रकाश की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए। मौसम की मार से मुर्गियों को बचाने का भी उचित प्रबंध करें।
  • मजबूती का ध्यान: मुर्गियों के आवास को बांस, लकड़ी या धातु से बना सकते हैं। आवास के निर्माण के समय सुनिश्चित करें कि शिकारियों से पक्षियों की रक्षा के लिए आवास मजबूत और सुरक्षित है।
  • उपकरणों की व्यवस्था: आवास के अंदर फीडर, पानी देने का साधन, प्रकाश और वातावरण को बनाए रखने के लिए आवश्यक उपकरणों का प्रबंध करें। इसके साथ ही अंडों एवं फीड को रखने के लिए अलग क्षेत्र या बक्से आदि की भी व्यस्था करें।
  • स्वच्छता बनाए रखें: मुर्गियों को रोगों से बचाने के लिए या रोगों के प्रसार को रोकने के लिए आवास को नियमित रूप से साफ करें।

कैसा हो मुर्गियों को आहार? | Feed for Chickens

  • मुर्गियों के शारीरिक विकास एवं अंडों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए उन्हें संतुलित और पौष्टिक आहार प्रदान करना बहुत जरूरी है। मुर्गियों को दिया जाने वाले आहार में उनकी प्रजाति के आधार पर भिन्नता हो सकती है।
  • ब्रायलर मुर्गियों के तेजी से विकास और वजन बढ़ाने के लिए आमतौर पर उच्च-प्रोटीन युक्त आहार खिलाया जाता है।
  • लेयर पोल्ट्री फार्मिंग में मुर्गियों को कैल्शियम से भरपूर आहार दिया जाता है। इससे अंडों के उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिलती है।
  • भारत में मुर्गियों के आहार में अनाज, प्रोटीन स्रोत और पूरक आहार का संयोजन होता है।

मुर्गी पालन से कैसे कमाएं अधिक मुनाफा? | Making More Profit from Poultry Farming

  • अपने क्षेत्र के अनुसार, अच्छी विकास दर एवं अधिक अंडे देने वाली मुर्गियों का पालन करें।
  • मुर्गियों को संतुलित आहार खिलाएं। इससे उनके शारीरक विकास और उत्पादन क्षमता के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है।
  • मुर्गियों को रोगों से बचाने के लिए स्वछता का ध्यान रखें। किसी भी रोग से संक्रमित मुर्गियों के रहने, खाने-पीने की अलग व्यवस्था करें।
  • मुर्गियों एवं चूजों को हर दिन स्वच्छ एवं ताजा पानी दें।
  • चूजों के रहने की अलग व्यवस्था करें।
  • ठंडी या गर्म हवाओं से बचाने के लिए शेड को अच्छी तरह ढकें।

मुर्गी पालन में लागत एवं मुनाफा | Cost and Profit in Poultry Farming

  • शुरुआत में मुर्गियों के लिए स्थान, आवास, पिंजड़े, मुर्गियां, दानें, आदि की खरीदारी में करीब 5 से 6 लाख रुपए की लागत आती है।
  • 1,500 मुर्गियों का पालन करने के लिए 10 प्रतिशत से ज्यादा चूजों की आवश्यकता होती है।
  • एक लेयर पैरेंट बर्थ की लागत लगभग 30 से 35 रुपए होती है। यानी मुर्गियों की खरीदारी पर 50 हजार रुपए की लागत आती है।
  • एक लेयर पैरेंट बर्ड करीब 300 अंडे देती है।
  • जिससे हर महीने 50 हजार से 1 लाख रुपए तक की कमाई होती है।

मुर्गी पालन के लिए सब्सिडी | Subsidy for Poultry Farming

  • राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना के तहत, 50% तक की सब्सिडी राशि, रु। 25 लाख रुपये सीधे लाभार्थी को प्रदान किए जाएंगे।

आप किस नस्ल की मुर्गियों का पालन करते हैं और इससे आपको सालाना कितना मुनाफा प्राप्त होता है? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। पशुओं के स्वास्थ्य एवं आहार की अधिक जानकारी के लिए 'पशु ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: पोल्ट्री फार्म गांव से कितनी दूरी पर होना चाहिए?

A: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, पोल्ट्री फार्म और गांव के बीच की दूरी कम से कम 500 मीटर होनी चाहिए। इससे  हानिकारक गैसों और गंधों के उत्सर्जन के कारण खेत या आस-पास के निवासियों के स्वास्थ्य पर किसी तरह का बुरा प्रभाव नहीं होता है।

Q: बॉयलर कितने दिन में तैयार होता है?

A: ब्रायलर मुर्गियां सामान्यतः 35 से 42 दिनों में तैयार हो जाती हैं। कुछ तेजी से बढ़ने वाली नस्लें 28 दिनों में ही तैयार हो सकती हैं।

Q: मुर्गी का चूजा कितने का मिलता है?

A: चूजों की कीमत में उनकी नस्ल, उम्र और स्थान के आधार पर उतार-चढ़ाव देखे जा सकते हैं। सामान्यतौर पर, चूजे की कीमत करीब 30 से 35 रुपए होती है। ब्रायलर नस्ल के चूजे की कीमत लेयर नस्ल के चूजे की कीमत की अपेक्षा कम हो सकती है।

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