कद्दू वर्गीय सब्जियों में चूर्णिल आसिता रोग पर नियंत्रण | Control of Powdery Mildew Disease in Cucurbit Vegetables

कद्दू वर्गीय सब्जियों में लौकी, तोरई, खीरा, कद्दू, करेला, आदि शामिल है। भारतीय कृषि में महत्वपूर्ण स्थान है। इनकी खेती में अधिक लाभ होने के कारण किसानों को भी अच्छा मुनाफा होता है। लेकिन कई बार कुछ रोगों के कारण कद्दू वर्गीय सब्जियों की उपज एवं गुणवत्ता कम हो जाती है और इसकी खेती किसानों की जेब पर भारी पड़ सकती है। इन रोगों में चूर्णिल आसिता रोग भी शामिल है। इस रोग को विभिन्न क्षेत्रों में पाउडरी मिल्ड्यू रोग, छाछया रोग, ख़स्ता फफूंदी रोग, दहिया रोग, आदि भी कहा जाता है। इस रोग के कारण पौधों की प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया भी बाधित होती है। रोग की शुरुआत में ही इसइ नियंत्रित नहीं किया गया तो यह एक गंभीर समस्या बन सकती है। इस आर्टिकल के माध्यम से आप इस रोग से होने वाले नुकसान, इसके लक्षण, नियंत्रण की रासायनिक विधि और अन्य बचाव के तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
कद्दू वर्गीय सब्जियों में चूर्णिल आसिता रोग से होने वाले नुकसान | Damage Caused by Powdery Mildew Disease in Cucurbits
- उत्पादन में कमी: यह रोग पौधों की पत्तियों, तनों और फलों पर असर डालता है, जिससे प्रकाश संश्लेषण प्रभावित होता है और उत्पादन कम हो जाता है।
- गुणवत्ता में गिरावट: इस रोग से संक्रमित पौधों से प्राप्त फल छोटे और कमजोर होते हैं। गुणवत्ता में कमी होने के कारण इसकी बिक्री के लिए उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।
- पौधों का समय से पहले मुरझाना: चूर्णिल आसिता के प्रभाव से पौधे जल्दी सूखने लगते हैं।
- वृद्धि में रुकावट: संक्रमित पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है और वे अपेक्षित आकार नहीं प्राप्त कर पाते हैं।
कद्दू वर्गीय सब्जियों में चूर्णिल आसिता रोग के लक्षण | Symptoms of Powdery Mildew Disease in Cucurbits
- पत्तियों पर सफेद धब्बे: इस रोग की शुरुआत में पत्तियों के ऊपरी भाग पर सफेद-धूसर धब्बे उभरने लगते हैं। धीरे-धीरे ये धब्बे बढ़कर सफेद रंग के पाउडर में बदल जाते हैं।
- धब्बों का बढ़ना एवं फैलना: धीरे-धीरे ये धब्बे आपस में जुड़ने लगते हैं और पूरी पत्ती को ढक सकते हैं। रोग बढ़ने के साथ पौधों की शाखाओं और फलों पर भी सफेद धब्बे उभरने लगते हैं।
- पत्तियों का पीला पड़ना: प्रभावित पौधों की पत्तियां धीरे-धीरे पीली होने लगती हैं और सूख कर गिरने लगती हैं।
- फलों पर असर: गंभीर संक्रमण की स्थिति में फूलों, दानों/बीज एवं फलों पर भी सफेद चूर्ण जैसी परत देखी जा सकती है।
- विकास में बाधा: इस रोग के कारण पौधों के विकास में बाधा आ सकती है।
कद्दू वर्गीय सब्जियों में चूर्णिल आसिता रोग पर नियंत्रण की रासायनिक विधि | Chemical Methods for Controlling Powdery Mildew Disease in Cucurbits
- प्रति एकड़ खेत में 300 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% एस.सी. (देहात एजीटॉप) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 200 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% +डिफेनोकोनाजोल 11.4% एस.सी (देहात सिनपैक्ट) का प्रयोग करें।
- एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% + साइपरोकोनाज़ोल 7.3% (सिंजेंटा एम्पेक्ट एक्स्ट्रा) 120 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 1,200 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 4.8% w/w + क्लोरोथालोनिल 40% w/w एससी (नोवा स्ट्राइक) प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 300 ग्राम कैप्टन 70% + हेक्साकोनाज़ोल 5% डब्ल्यूपी (टाटा ताकत) का प्रयोग करें।
चूर्णिल आसिता रोग से बचाव एवं नियंत्रण के कुछ अन्य तरीके | Other Methods for Prevention and Control of Powdery Mildew Disease
- जैविक विधि से नियंत्रण: जैविक तरीके से इस रोग को नियंत्रित करने के लिए नीम के तेल या जोजोबा के तेल का प्रयोग करें।
- संक्रमित पौधों को नष्ट करें: इस रोग को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पत्तियों या पौधों को नष्ट कर दें।
- फसल चक्र अपनाना: एक ही खेत में लगातार कद्दू वर्गीय फसलों की खेती न करें। इस रोग से फसल को बचाने के लिए फसल चक्र अपनाना एक प्रभावी तरीका साबित हो सकता है।
- उचित जल निकास की व्यवस्था: मिट्टी में आवश्यकता से अधिक नमी होने के कारण के कारण पौधों में यह रोग हो सकता है। इसलिए सिंचाई के समय जल जमाव न होने दें और खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
चूर्णिल आसिता रोग से प्रभावित होने वाली अन्य फसलें | Other Crops Affected by Powdery Mildew Disease
चूर्णिल आसिता रोग से कई तरह की फसलें भी बुरी तरह प्रभावित होती हैं। जिनमें फल, फूल, सब्जियां एवं अनाज, सभी तरह की फसल शामिल हैं। इस रोग से प्रभावित होने वाली कुछ प्रमुख फसलें नीचे दी गई हैं।
- अनाज वाली फसलें: गेहूं, मक्का, कपास, ज्वार, चना, मसूर, आदि
- सब्जियों वाली फसलें: कद्दू, स्क्वैश, ककड़ी, करेला, खीरा, मटर, परवल, टमाटर, बैंगन, सेम, पत्ता गोभी, भिंडी, प्याज, आदि
- फल वाले पौधे: अंगूर, आम, सेब, पपीता, खरबूजा, तरबूज, चेरी, आदि
- फूल वाले पौधे: गुलाब, गुड़हल, गुलदावदी, आदि
कद्दू वर्गीय फसलों को चूर्णिल आसिता रोग से बचाने के लिए आप किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked questions (FAQs)
Q: ख़स्ता फफूंदी के लिए कौन सा कवकनाशी सबसे अच्छा है?
A: ख़स्ता फफूंदी रोग को नियंत्रित करने के लिए आप इस पोस्ट में बताई गई दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपने नजदीकी कृषि विशेषज्ञों से भी परामर्श कर सकते हैं और उनकी परामर्श के अनुसार रासायनिक दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं। इस रोग पर जैविक विधि से नियंत्रण के लिए नीम के तेल का प्रयोग करें।
Q: कद्दू वर्ग में कौन-कौन सी सब्जियां आती हैं?
A: कद्दू, स्क्वैश, लौकी, खीरा, ककड़ी, तोरई, करेला, पेठा, टिंडा, जैसी सब्जियां आती हैं। इसके अलावा खरबूजा एवं तरबूज भी कद्दू वर्गीय फसलों में शामिल हैं।
Q: कद्दू की फसल में कौन-कौन से रोग लगते हैं?
A: कद्दू की फसलों को प्रभावित करने वाली कुछ सामान्य रोगों में पाउडरी मिल्ड्यू, डाउनी मिल्ड्यू, फ्यूजेरियम विल्ट और गमी स्टेम ब्लाइट, शामिल हैं।
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