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चूर्णिल आसिता: लक्षण एवं प्रबंधन| Powdery Mildew: Symptoms and Its Management
चूर्णिल आसिता रोग को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भभूतिया रोग, खर्रा रोग, दहिया रोग, ख़स्ता फफूंदी रोग या पाउडरी मिल्डयू रोग के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग के होने का मुख्य कारण फफूंदों का प्रकोप है। इस रोग के कारण फसल की उपज में 50 प्रतिशत तक कमी हो सकती है। परवल, स्क्वैश, तरबूज, कद्दू, टमाटर, करेला, खीरा, लौकी, भिंडी, बैंगन, पपीता, आम, इस रोग से प्रभावित होने वाली कुछ प्रमुख फसलें हैं। शुष्क वातावरण में यह रोग तेजी से फैल सकता है।
विभिन्न फसलों में चूर्णिल असिता रोग के लक्षण | Symptoms of Powdery Mildew in Different Crops
- इस रोग की शुरुआत में पत्तियों के ऊपरी भाग पर सफेद-धूसर धब्बे उभरने लगते हैं।
- धीरे-धीरे ये धब्बे बढ़कर सफेद रंग के पाउडर में बदल जाते हैं।
- रोग बढ़ने के साथ पौधों की शाखाओं और फलों पर भी सफेद धब्बे उभरने लगते हैं।
- इससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में बाधा आती है। जिससे प्रभावित पौधों की पत्तियां धीरे-धीरे पीली होने लगती हैं।
- प्रभावित पत्तियां सूख कर गिरने लगती हैं।
- पौधों के विकास में रुकावट उत्पन्न होने लगती है।
- इस रोग के कारण फसल की उपज और गुणवत्ता में भारी कमी देखी जा सकती है।
फसलों को चूर्णिल आसिता रोग से बचाने के तरीके | Ways to Protect Crops from Powdery Mildew
- इस रोग के प्रति सहनशील किस्मों का चयन करें।
- वायु संचार को सुचारु रूप से बनाए रखने के लिए पौधों के बीच की दूरी का विशेष ध्यान रखें।
- खेत में लगातार निरीक्षण करें। इससे रोग के शुरूआती समय में ही इसका पता लगा कर नियंत्रण किया जा सकता है।
- इस रोग को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पत्तियों या पौधों को नष्ट कर दें।
- कटाई के बाद फसलों के अवशेष को साफ करें।
चूर्णिल आसिता रोग पर नियंत्रण के लिए प्रभावी रासायनिक दवाएं | Medicines for Controlling Powdery Mildew
- चूर्णिल आसिता रोग पर नियंत्रण के लिए नीचे दी गई दवाओं में से किसी एक का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 300 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% एस.सी. (देहात एजीटॉप) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 200 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% +डिफेनोकोनाजोल 11.4% एस.सी (देहात सिनपैक्ट) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 300 ग्राम टाटा ताकत (कैप्टन 70% + हेक्साकोनाज़ोल 5% WP) का प्रयोग करें।
- प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम इप्रोवालिकर्ब 5.5% + प्रोपिनेब 61.25% w/w WP (बायर मेलोडी ड्यूओ) मिला कर छिड़काव करें।
- एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 8.3% + मैनकोज़ेब 66.7% डब्ल्यूजी (यूपीएल अवेंसर ग्लो) 600 ग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% + साइपरोकोनाज़ोल 7.3% (सिंजेंटा एम्पेक्ट एक्स्ट्रा) 120 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 6-8 किलोग्राम सल्फर 85% डीपी (राम श्री केमिकल्स सल्टॉप) का प्रयोग करें।
आप किन फसलों की खेती करते हैं और क्या आपकी फसलें कभी चूर्णिल आसिता रोग से प्रभावित हुई हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। फसलों को क्षति पहुंचाने वाले कीट एवं रोगों पर नियंत्रण की अधिक जानकारी के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked question (FAQs)
Q: चूर्णिल आसिता रोग से कौन सी फसलें प्रभावित होती हैं?
A: चूर्णिल आसिता रोग से सब्जियों वाली फसलें, फल और फूलों के पौधे, दलहन, तिलहन, आदि कई तरह की फसलें प्रभावित हो सकती हैं। इन फसलों में धनिया, सेम, खुबानी, पत्तागोभी, काबुली चना, कपास, मसूर, मक्का, खरबूजा, नाशपाती, आलू, ज्वार, गन्ना, जुकिनी, तम्बाकू, परवल, स्क्वैश, तरबूज, कद्दू, टमाटर, करेला, खीरा, लौकी, भिंडी, बैंगन, सेब, पपीता, चेरी, आम, गुलाब, आदि कुछ प्रमुख हैं।
Q: चूर्णिल आसिता रोग पर कैसे नियंत्रण किया जा सकता है?
A: चूर्णिल आसिता रोग पर नियंत्रण के लिए बाजार में कई तरह की रासायनिक दवाएं उपलब्ध हैं। इनके प्रयोग से इस रोग पर बहुत आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है। इसके अलावा जैविक तरीके से भी इस रोग पर नियंत्रण कर सकते हैं। इसके लिए नीम के तेल का प्रयोग करना एक बेहतर विकल्प है।
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