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कृषि ज्ञान
4 Mar
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सरसों की कटाई और भंडारण के सही तरीके (Proper Methods of Mustard Harvesting and Storage)


सरसों भारत की प्रमुख तिलहनी फसलों में से एक है, जिसे मुख्य रूप से रबी सीजन में उगाया जाता है। सरसों की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए सिर्फ इसकी खेती ही नहीं, बल्कि कटाई और भंडारण के सही तरीकों का पालन करना भी आवश्यक होता है। यदि कटाई समय पर न की जाए या भंडारण में लापरवाही बरती जाए, तो दानों के गिरने, नमी बढ़ने और कीटों से नुकसान होने की संभावना रहती है। इस लेख में हम सरसों की कटाई और भंडारण के सही तरीकों की विस्तृत जानकारी देंगे।

सरसों की कटाई का सही समय (Right Time for Mustard Harvesting)

सरसों की कटाई फसल की परिपक्वता पर निर्भर करती है। बहुत जल्दी कटाई करने से दाने अपरिपक्व रह जाते हैं, जिससे तेल की मात्रा और गुणवत्ता प्रभावित होती है, जबकि अधिक देर से कटाई करने पर फलियां फटने लगती हैं और दाने झड़ने का खतरा बढ़ जाता है। सही समय पर कटाई के लिए आवश्यक है कि फसल का रंग हरे से पीला हो जाए, फलियों में मौजूद दाने काले या भूरे रंग के हो जाएं, पौधों की निचली पत्तियां सूखकर गिरने लगें, फलियों को हाथ से दबाने पर वे आसानी से टूट जाएं और नमी की मात्रा 20% से कम हो। आमतौर पर सरसों की कटाई का समय फरवरी से मार्च के बीच होता है, हालांकि यह क्षेत्रीय जलवायु और फसल की किस्म के अनुसार थोड़ा आगे-पीछे हो सकता है।

सरसों की कटाई के सही तरीके (Proper Methods of Mustard Harvesting)

  • पारंपरिक कटाई विधि (Traditional Harvesting Method): छोटे किसानों के लिए दरांती (हंसिया) की सहायता से हाथ से कटाई करना उपयुक्त होता है। कटाई के बाद फसल को कुछ दिनों तक खेत में सुखाया जाता है, जिससे दानों में नमी कम हो जाती है। इसके बाद फसल को छोटे-छोटे गट्ठरों में बांधकर खलिहान में ले जाया जाता है, जहां आगे की प्रक्रिया की जाती है।
  • आधुनिक कटाई विधि (Modern Harvesting Method): बड़े पैमाने पर कटाई के लिए रीपर और कंबाइन हार्वेस्टर का उपयोग किया जाता है। कंबाइन हार्वेस्टर से कटाई, गहाई और सफाई एक साथ हो जाती है, जिससे समय और श्रम की बचत होती है। इस विधि से कटाई के बाद अनाज की गुणवत्ता बनी रहती है, और फसल के नुकसान की संभावना कम हो जाती है।

सरसों की गहाई और सफाई (Threshing and Cleaning of Mustard)

  • गहाई (Threshing): कटाई के बाद फलियों से सरसों के दाने अलग करने के लिए गहाई की जाती है। पारंपरिक विधि में बैलों के पैरों से रौंदकर या लकड़ी के डंडों से पीटकर दाने अलग किए जाते हैं, जबकि आधुनिक विधि में थ्रेशर मशीन का उपयोग किया जाता है, जिससे गहाई तेजी से होती है और दानों की गुणवत्ता बनी रहती है।
  • सरसों की सफाई (Cleaning of Mustard Seeds): गहाई के बाद दानों को अच्छी तरह साफ किया जाता है ताकि मिट्टी, तिनके और अन्य अवशेष अलग हो सकें। सफाई के लिए छलनी या ग्रेडिंग मशीन का उपयोग किया जाता है, जिससे धूल, भूसा और अशुद्धियों को हटाकर उच्च गुणवत्ता वाले बीज प्राप्त किए जा सकें।

सरसों के भंडारण के तरीके (Methods of Mustard Storage)

  • बोरे में भंडारण (Storage in Bags): सरसों को सूखे और मजबूत जूट या प्लास्टिक के बोरे में भरकर सुरक्षित रूप से रखा जाता है। बोरे को जमीन से 6-8 इंच ऊंचे लकड़ी के तख्तों पर रखें, जिससे नमी का असर न हो। बोरे को दीवार से सटाकर न रखें, ताकि हवा का संचार बना रहे और भंडारण स्थान हवादार बना रहे।
  • साइलो में भंडारण (Storage in Silos): बड़े पैमाने पर भंडारण के लिए साइलो एक वैज्ञानिक और सुरक्षित विधि है। यह सरसों को कीटों और नमी से बचाने का सर्वोत्तम उपाय है। आधुनिक साइलो में तापमान और नमी नियंत्रित रखी जाती है, जिससे अनाज की गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रहती है।
  • मिट्टी या धातु के कोठार में भंडारण (Storage in Mud or Metal Bins): छोटे किसानों के लिए मिट्टी या धातु के कोठार में भंडारण एक प्रभावी विकल्प है। कोठार में सरसों को सुरक्षित रखने के लिए नीम की पत्तियां डालें, ताकि कीटों से बचाव हो सके। भंडारण स्थल को समय-समय पर साफ और हवादार रखें, जिससे अनाज लंबे समय तक सुरक्षित बना रहे।

भंडारण में कीट एवं रोग नियंत्रण (Pest and Disease Control in Storage)

  • कीट नियंत्रण के उपाय (Pest Control Measures): प्रति क्विंटल सरसों में 5 ग्राम नीम की पत्तियां या 250 ग्राम नीम का तेल मिलाएं, जिससे कीटों से बचाव हो सके। भंडार कक्ष की समय-समय पर सफाई करें और अनाज को कीट-मुक्त बनाए रखें। यदि कीट संक्रमण अधिक हो, तो जरूरत पड़ने पर एल्यूमीनियम फास्फाइड जैसी प्रमाणित कीटनाशकों का उपयोग करें।
  • नमी और फफूंद से बचाव (Protection from Moisture and Fungal Growth): भंडारण स्थान को हर कुछ दिनों में धूप दिखाएं, ताकि अनाज में अतिरिक्त नमी न बढ़े। हवा के संचार की उचित व्यवस्था करें, जिससे भंडारण स्थल हवादार बना रहे। भंडारण से पहले नमी की जांच करें और सुनिश्चित करें कि दानों में 8-10% से अधिक नमी न हो, ताकि फफूंद या सड़न की समस्या न हो।

क्या आप सरसों की कटाई और भंडारण में सही तकनीकों का उपयोग करते हैं? यदि हाँ, तो कटाई के बाद अनाज की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आप कौन-कौन सी सावधानियां बरतते हैं? हमें कमेंट करके जरूर बताएं। यदि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी लगी हो, तो इसे लाइक करें, शेयर करें और कमेंट जरूर करें। ऐसी ही उपयोगी जानकारियों के लिए हमारे कृषि ज्ञान चैनल को फॉलो करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल {Frequently Asked Questions (FAQs)}

Q: फसलों का भंडारण कैसे करें?
A: फसलों का भंडारण सूखे, हवादार और कीट-मुक्त स्थान पर करना चाहिए। अनाज को अच्छी तरह सुखाकर भंडारण करें ताकि नमी की मात्रा 10-12% से अधिक न हो। भंडारण के लिए साफ और मजबूत बोरे या साइलो का उपयोग करें और समय-समय पर कीटनाशक उपाय अपनाएं।

Q: कटाई के बाद अनाज का भंडारण कैसे करना चाहिए?
A: कटाई के बाद अनाज को अच्छी तरह सुखाकर भंडारण करें ताकि उसमें नमी न रहे। भंडारण स्थल को साफ और कीट-मुक्त रखें। अनाज को बोरी में भरते समय नीम की पत्तियां या अन्य प्राकृतिक कीटनाशक मिलाएं। बड़े पैमाने पर भंडारण के लिए साइलो या कोठार का उपयोग करें।

Q: सरसों की कटाई कब और कैसे करें?

A: जब सरसों की 75-80% फलियाँ पीली हो जाएं और बीज कठोर व चमकदार दिखे, तब कटाई करनी चाहिए। अधिक देर करने पर फलियाँ फट सकती हैं और दाने झड़ सकते हैं। कटाई के लिए सुबह या शाम के समय दरांती या कंबाइन हार्वेस्टर का उपयोग करें। कटाई के बाद पौधों को 5-7 दिन तक सुखाकर मड़ाई करें और दानों को भंडारण के लिए तैयार करें।

Q: सरसों का भंडारण कैसे किया जाता है?

A: भंडारण से पहले सरसों के बीजों को अच्छी तरह सुखाकर नमी 8-10% से कम करें। सूखी बोरियों या एअरटाइट प्लास्टिक ड्रम में भरकर ठंडी और हवादार जगह पर रखें। भंडारण स्थल को पहले साफ कर लें और कीटनाशक दवा का छिड़काव करें। सुरक्षित भंडारण के लिए नीम की सूखी पत्तियां या एल्यूमिनियम फास्फाइड गोलियों का उपयोग करें और हर 15-20 दिन में निरीक्षण करें।

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