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किसान डॉक्टर
23 Nov
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प्याज के प्रमुख रोग और उसका प्रबंधन

प्याज की फसल को कई प्रकार के रोग प्रभावित कर सकते हैं। इन रोगों के कारण प्याज की उपज में भारी कमी आती है। प्याज की फसल में प्रमुख रोगों से निपटने के लिए सही प्रबंधन आवश्यक है। इस रोगों से होने वाले नुकसान एवं नियंत्रण की जानकारी के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।

प्याज की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख रोग

बैंगनी धब्बा रोग: इस रोग को पर्पल ब्लाच के नाम से भी जाना जाता है। यह एक फफूंद जनित रोग है। इस रोग की शुरुआत में पौधों की पुरानी पत्तियों पर सफेद रंग के धंसे हुए धब्बे उभरने लगते हैं। कुछ समय बाद यह धब्बे पीले किनारों के साथ भूरे या बैंगनी रंग में बदलने लगते हैं। रोग बढ़ने के साथ फूलों की डंठल पर भी धब्बे उभरने लगते हैं। प्रभावित पौधे सूखने लगते हैं।

नियंत्रण:

  • इस रोग पर नियंत्रण के लिए बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम से उपचारित करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 200 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन18.2% + डाइफेनकोनाज़ोल 11.4% एस.सी. (देहात सीनपैक्ट) का प्रयोग करें।
  • इसके अलावा प्रति एकड़ खेत में 300 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% एस.सी. (देहात एजीटॉप) का भी प्रयोग कर सकते हैं।

एंथ्रेक्नोज रोग: सामान्य बोलचाल की भाषा में इसे धब्बा रोग या स्मज के नाम से भी जाना जाता है। यह एक फफूंद जनित रोग है। इस रोग के कारण पौधों के सभी भाग प्रभावित होते हैं। प्रभावित हिस्सों पर अनियमित आकार के पीले किनारों से घिरे छल्ले नजर आते हैं। पत्तियां विकृत या पीली हो जाती हैं। कई बार कंद भी विकृत या सिकुड़ने लगते हैं।

नियंत्रण:

  • इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 300 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% एस.सी. (देहात एजीटॉप) का प्रयोग करें।
  • इसके अलावा प्रति एकड़ खेत में 300-700 ग्राम कार्बेन्डाजिम 75% डब्ल्यूपी + मैनकोजेब 63% डब्ल्यूपी का प्रयोग करें। यह दवा बाजार में यूपीएल- साफ नाम से उपलब्ध है।

डाउनी मिल्ड्यू: इस रोग को मृदुरोमिल आसिता के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग के कारण पत्तियों की ऊपरी सतह पर पीले रंग के धब्बे बनते हैं। इन धब्बों के ठीक नीचे पत्तियों पर पानी से भरे दाग या धूल रंग के फफूंद के जाल दिखाई देते हैं। रोग बढ़ने पर पत्तियां एवं पौधे नष्ट हो जाते हैं।

नियंत्रण:

  • इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 200 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% +डिफेनोकोनाजोल 11.4% एस.सी (देहात सिनपैक्ट) का प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 600-800 ग्राम प्रोपिनेब 70% डब्ल्यू.पी. के प्रयोग से भी इस रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है। यह दवा बाजार में देहात जिनैक्टो एवं बायर एंट्राकोल के नाम से उपलब्ध है।

आपके खेत में प्याज की फसल में किन रगों का प्रकोप अधिक होता है? अपने जवाब हमे कमेंट के माध्यम से बताएं। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए ' किसान डॉक्टर ' चैनल को अभी फॉलो करें।

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