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क्विनोआ की खेती (quinoa farming)
क्विनोआ एक पौधा है जो अपने प्रोटीन से भरपूर बीज के लिए लगाया जाता है। इसकी ऊंचाई लगभग 1 से 1.5 मीटर होती है। यह वार्षिक पौधा होता है और इसे चावल के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है। क्विनोआ के बीज अत्यधिक प्रोटीनी से भरपूर होते हैं और भारत में इसकी व्यापारिक खेती का भविष्य उज्ज्वल है। इसके अलावा, क्विनोआ का उपयोग साबुन, शैंपू और खाद्य में भी किया जाता है।
कैसे करें क्विनोआ की खेती? (How to cultivate quinoa?)
- मिट्टी: क्विनोआ के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी बलुई दोमट होती है। भारी चिकनी मिट्टी से बचना चाहिए, क्योंकि वे उपयुक्त नहीं होतीं। अच्छे जल निकास वाली मिट्टी का चुनाव करना चाहिए। मिट्टी में मध्यम ढलान और औसत पोषक तत्व उपलब्ध होना चाहिए। क्विनोआ आमतौर पर 4.8 के अम्लीय पीएच तक और 8.5 के क्षारीय पीएच तक की मिट्टी में अच्छे से उग सकता है।
- जलवायु: क्विनोआ की खेती के लिए आदर्श तापमान लगभग 18°C से 20°C होता है। यह अधिकतम 39°C से -8°C तक के तापमान का सामना कर सकता है। क्विनोआ की उचित उपज के लिए ठंडी जलवायु उपयुक्त होती है। इसे छोटे दिनों और ठंडे मौसम में उगाया जाता है।
- बुवाई का समय: क्विनोआ की बुआई भारतीय जलवायु के अनुसार नवम्बर से मार्च माह में की जाती है। यह वक्त उत्तम होता है क्योंकि इस समय पर्याप्त ठंडक और उपजाऊ मौसम होता है जो क्विनोआ के पौधों के विकास के लिए उपयुक्त होता है।
- बीज की मात्रा और उपचार: क्विनोआ की खेती के लिए प्रति एकड़ लगभग 500 से 750 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीज को गाय के मूत्र में 24 घंटे के लिए डालकर उसे उपचारित कर सकते हैं, ताकि वह प्रक्रिया के दौरान बीमारियों से बचा रहे।
- रोपाई की विधि: खेत में पंक्तियां तैयार करें, जिनकी मध्य में 1 फीट की दूरी रखें। पंक्तियों में बीजों को 15 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई करें। इससे पौधे उच्च और स्थिर उठेंगे। बीजों को ड्रिल विधि द्वारा रोपाई कर सकते हैं, जिसमें बीज स्थानीय पूरी तरह से बाजार में खरीदे जा सकते है। इसके बीज की रोपाई के लिए छिड़काव विधि द्वारा भी किया जा सकता है। छिड़काव विधि में बीजों की रोपाई के लिए अधिक बीजों की आवश्यकता नहीं होती है।
- खाद एवं उर्वरक प्रबंधन: बुआई से पहले मिट्टी की अच्छी जांच करवानी चाहिए। बुआई से 10-15 दिन पहले, 6-8 टन प्रति एकड़ की दर से तैयार गोबर की खाद खेत में मिला देनी चाहिए। क्विनोआ की फसल के लिए यूरिया 70 किलोग्राम, DAP खाद 100 किलो और MOP खाद 40 किलो प्रयोग करना चाहिए। यूरिया का प्रयोग दो बार में करना चाहिए। यह फसल की विकास दर को प्रभावित करता है।
- सिंचाई प्रबंधन: क्विनोआ फसल कम पानी की उपलब्धता में भी अच्छे विकास के लिए जानी जाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, क्विनोआ में 50% कम पानी की उपलब्धता पर भी केवल 18-20% की कमी देखी गई है। अधिक सिंचाई से पौधों की लंबाई तो बढ़ती है, लेकिन उत्पादन पर असर नहीं पड़ता। अत्यधिक सिंचाई से कीटों और रोगों का खतरा बढ़ता है। इसलिए, बुआई के बाद तुरंत सिंचाई करनी चाहिए।
- खरपतवार प्रबंधन: छोटे पौधों पर खरपतवार निकालना चाहिए ताकि उन्हें नुकसान ना हो। समुचित विकास के बाद खरपतवार का कोई नुकसान नहीं होता।
- रोग और कीट प्रबंधन: क्विनोआ में रोगों और कीटों से लड़ने की अच्छी क्षमता होती है। इसे पाले और सूखे की मार से भी बचाया जा सकता है। अभी तक किसी भी कीट का क्विनोआ में आर्थिक हानि पर कोई रिपोर्ट नहीं है।
- कटाई: क्विनोआ की फसल सामान्यतः 100 दिनों में पूरी तरह से तैयार हो जाती है। इसकी ऊंचाई लगभग 4-5 फीट होती है और बीज ज्वार के बीजों की तरह होते हैं। फसल पकने पर उसका रंग पीला या लाल हो जाता है और पत्तियां झड़ जाती हैं। वर्षा के समय, पके हुए बीजों का अंकुरण विशेष रूप से 24 घंटे के अंदर हो जाता है, इसलिए फसल की कटाई इसके पकने के बाद तुरंत कर लेनी चाहिए। बालियों को हाथ से मसलने पर उनके बीज आसानी से अलग हो जाते हैं।
- भंडारण: भंडारण के लिए, कटी हुई बालियों को पीटकर और फैनिंग मिल की मदद से बीजों को अलग किया जा सकता है। बाहरी आवरण में स्पॉनिन हो सकता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, इसलिए इसे हटा देना चाहिए।
क्विनोआ के लाभ (Benefits of Quinoa)
- क्विनोआ अत्यधिक पौष्टिक है और इसमें विभिन्न पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, फाइबर, विटामिन, और खनिज पाए जाते हैं।
- यह लैक्टोज मुक्त है और लैक्टोज असहिष्णुता वाले लोगों के लिए अनुकूल है।
- क्विनोआ एक उत्कृष्ट प्रोटीन स्रोत है, विशेष रूप से जिन लोगों के लिए जो नॉन-वेजिटेरियन आहार नहीं लेते।
- यह पूरी तरह से एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो शरीर के विभिन्न रोगों से बचाव में मदद करता है।
- क्विनोआ का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, इसलिए यह मधुमेह के रोगियों के लिए भी उपयुक्त है।
- इसमें अन्य अनाजों की तुलना में अधिक फाइबर होती है, जो पाचन को सुधारता है और वजन नियंत्रण में मदद करती है।
- क्विनोआ में मैग्नीशियम और अन्य खनिज जैसे कैल्शियम, लोहा, जिंक भी होते हैं, जो शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
- इसका नियमित सेवन मेटाबोलिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और उम्र बढ़ने के साथ स्वास्थ्य सुरक्षित रखने में मदद करता है।
- क्विनोआ वजन प्रबंधन में मदद करता है, क्योंकि यह भूख को कम करने में सहायक होता है और पूरे दिन की ऊर्जा प्रदान करता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: क्विनोआ को सुपर फूड या सुपर ग्रेन क्यों कहा जाता है?
A: क्विनोआ को सुपर फूड या सुपर ग्रेन कहा जाता है क्योंकि इसमें अनेक पोषक तत्व होते हैं जैसे कि प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज आदि, जो शरीर के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। इसके बीजों में कैल्शियम, मैग्नीशियम, लोहा, जिंक, मैंगनीज जैसे खनिज तत्व भी होते हैं जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, क्विनोआ में औषधीय गुण भी पाए जाते हैं जो विभिन्न बीमारियों से लड़ने में सहायक होते हैं। इसी कारण से इसे एक सुपर फूड या सुपर ग्रेन माना जाता है।
Q: क्विनोआ की बुवाई कब की जाती है?
A: क्विनोआ की अच्छी पैदावार के लिए 15 अक्टूबर से लेकर 30 नवंबर तक बुवाई कर देनी चाहिए।
Q: क्विनोआ की फसल कितने दिन में आती है?
A: क्विनोआ के पौधे बीज रोपाई के लगभग 100-110 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। जिनकी कटाई सरसों की फसल की तरह की जाती हैं।
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