पोस्ट विवरण
राजमा की फसल को क्षति पहुंचाने वाले कुछ प्रमुख कीटों का प्रबंधन
![](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fdehaat-kheti-prod.s3.amazonaws.com%2Fdjango-summernote%2F2023-12-02%2F761cbafc-6eb5-4698-8a03-88a4d6cecbf3.png&w=3840&q=75)
भारत में महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, तमिल नाडु, केरल एवं कर्नाटक मुख्य राजमा उत्पादक राज्य हैं। यह दलहनी फसलों में शामिल एक महत्वपूर्ण फसल है। इसकी खेती रबी मौसम में की जाती है।
माहू: यह कीट पत्तियों, नरम शाखाओं, फूलों एवं फलों का रस चूसते हैं। जिसके कारण पौधे-कमजोर हो जाते हैं। पौधों की बढ़वार रूक जाती है। फसल की उपज एवं गुणवत्ता में कमी आती है।
नियंत्रण:
- प्रति एकड़ खेत में 200 मिलीलीटर थियामेथोक्सम 12.6 + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेड.सी. (देहात एंटोकिल) का प्रयोग करें।
फली छेदक कीट: इस कीट का लार्वा फलियों में छेद कर के अंदर के दानों को खाते हैं। इससे फसल की उपज में भारी कमी देखी जा सकती है।
नियंत्रण:
- इस कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 54-88 ग्राम इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस.जी. (देहात इल्लीगो) का प्रयोग करें।
- इसके अलावा 150 लीटर पानी में 100 मिलीलीटर लैम्डा साईहेलोथ्रिन 2.5 प्रतिशत इसी (अदामा - लैम्डेक्स) मिला कर छिड़काव करें। यह मात्रा प्रति एकड़ खेत के अनुसार दी गई है।
राजमा की फसल में की फसल कीटों पर नियंत्रण के लिए आप किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें।
जारी रखने के लिए कृपया लॉगिन करें
![फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ](/_next/image?url=%2F_next%2Fstatic%2Fmedia%2Fget-help.47979653.webp&w=384&q=75)
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ
![download_app](/_next/image?url=%2F_next%2Fstatic%2Fmedia%2Fdownload-app-bannerv2.c11782c9.webp&w=1920&q=75)