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22 May
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गुलमेंहदी की खेती: उपयुक्त मिट्टी, खेत की तैयारी, उर्वरक प्रबंधन | Rosemary cultivation: Suitable soil, land preparation, fertilizer management

गुलमेंहदी को रोजमेरी के नाम से भी जाना जाता है। कई औषधीय गुणों से भरपूर गुलमेंहदी की खेती मुख्यतः तेल प्राप्त करने के लिए की जाती है। यह एक बहुवर्षीय फसल है। एक बार पौधों को लगा कर करीब 12 वर्षों तक पौधों की कटाई कर के फसल प्राप्त किया जा सकता है। इसके पौधे जमीन की सतह से 2-3 फीट ऊंचे होते हैं। पौधों की पत्तियां करीब 3-4 सेंटीमीटर लम्बी एवं नुकीली होती हैं। भारत में हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर एवं उत्तराखंड में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है। गुलमेंहदी की खेती की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।

गुलमेंहदी की खेती कैसे करें? | How to Cultivate Rosemary?

  • उपयुक्त जलवायु: इसकी खेती के लिए शीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है। ऐसे क्षेत्र जहां मौसम ठंडा रहता है वहां इसकी खेती की जा सकती है। करीब 14-15 डिग्री सेल्सियस तापमान में बीज का जमाव बेहतर तरीके से होता है। पाले युक्त क्षेत्र एवं 10 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले क्षेत्रों में इस फसल का विकास तेजी से होता है।
  • भूमि का चयन: इसकी खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। हल्की पथरीली भूमि में भी इसकी खेती की जा सकती है।
  • बुवाई/रोपाई का समय: गुलमेंहदी की बुवाई के लिए अक्टूबर से फरवरी तक का समय उपयुक्त है। इसकी जड़ युक्त कलमों (कटिंग) या नर्सरी में तैयार किए गए पौधों को वर्षा आधारित परिस्थितियों में जून-जुलाई और सितंबर-अक्टूबर के महीनों के दौरान लगाया जा सकता है।
  • नर्सरी में पौधे तैयार करने की विधि: प्रति एकड़ क्षेत्र में नर्सरी तैयार करने के लिए करीब 800 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बुवाई के करीब 8 से 10 सप्ताह के बाद पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
  • मुख्य खेत में पौधों की रोपाई की विधि: मुख्य खेत में रोपाई के लिए करीब 20 हजार पौधों की आवश्यकता होती है। यह संख्या प्रति एकड़ खेत के अनुसार दी गई है। पौधों की रोपाई कतारों में करें। सभी कतारों के बीच 18 इंच की दूरी रखें। पौधों से पौधों के बीच 18 इंच की दूरी होनी चाहिए।
  • खेत की तैयारी: मुख्य खेत में एक बार गहरी जुताई करें। इसके बाद 2-3 बार हल्की जुताई करें और खेत को समतल बनाते हुए तैयार करें। खेत की जुताई करते समय खेत के अनुसार गोबर की खाद का प्रयोग करें। साथ ही खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था का होना भी फसल के वृद्धि के लिए एक आवश्यक कारक है।
  • उर्वरक प्रबंधन: यह एक औषधीय फसल है इसलिए खेत में रासायनिक खादों के प्रयोग से बचें। प्रति एकड़ खेत में 20 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद के साथ 2 टन बायोडायनामिक खाद का प्रयोग करें। बेहतर फसल प्राप्त करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 2 टन वर्मीकम्पोस्ट का प्रयोग करें। फसल को विभिन्न रोगों एवं कीटों से बचाने के लिए खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 0.6 टन नीम की खली का प्रयोग करें। मासिक अंतराल पर 3 प्रतिशत की दर से जैविक मिश्रण पंचगव्य का पत्तियों पर छिड़काव किया जाना चाहिए। वर्ष में 5 बार पंचगव्य का छिड़काव करने से हरी पत्तियों की उपज और गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
  • सिंचाई प्रबंधन: बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए सिंचाई का विशेष ध्यान रखें। बुवाई/रोपाई के बाद 3 से 4 बार लगातार सिंचाई करें। इसके बाद आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करते रहें। सिंचाई के समय जल जमाव न होने दें।
  • खरपतवार प्रबंधन: रोजमेरी एक झाड़ीनुमा पौधा है। इसलिए अक्सर पौधों के बीच में खरपतवार नजर नहीं आते हैं। ऐसे में जरूरी है कि किसान समय-समय पर फसल में खरपतवार की जांच करते रहें। खरपतवारों की समस्या नजर आने पर तुरंत निराई-गुड़ाई करें।
  • रोग एवं कीट प्रबंधन: रोजमेरी के पौधे कुदरती रूप से रोग एवं कीटों के लिए प्रतिरोधी होते हैं। इस कारण इसमें रोग एवं कीटों का प्रकोप नहीं होता है। लेकिन बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए कुछ समय के अंतराल पर फसल का निरीक्षण करते रहें।
  • फसल की कटाई: रोपाई के करीब 150 दिनों बाद या पौधों में करीब 50 प्रतिशत फूल आने पर फसल की पहली कटाई की जा सकती है। पौधों के कोमल भाग की कटाई कर के हर्ब्स एकत्र करें। पहली कटाई के करीब 50 से 60 दिनों बाद फसल की दूसरी कटाई की जा सकती है। कृषि विशेषज्ञों के द्वारा प्रहले वर्ष केवल दो बार कटाई का सुझाव दिया जाता है। इसके बाद आप प्रति वर्ष 3 से 4 बार फसल की कटाई कर सकते हैं।

क्या आप औषधीय फसलों की खेती में रूचि रखते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'बागवानी फसलें' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: रोजमेरी का पौधा कैसे लगाएं?

A: रोजमेरी के पौधों को बीज के द्वारा नर्सरी में तैयार किया जाता है। इसके बाद करीब 45 सेंटीमीटर या 17-18 इंच की दूरी पर मुख्य खेत में पौधों की रोपाई की जाती है। पौधों की रोपाई कतारों में करें। इससे सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण में आसानी होती है।

Q: रोजमेरी का हिंदी में नाम क्या है?

A: रोजमेरी को हिंदी में गुलमेंहदी के नाम से जाना जाता है।

Q: रोजमेरी को बढ़ने में कितना समय लगता है?

A: रोजमेरी के पौधों की वृद्धि मौसम, मिट्टी, उर्वरकों का प्रयोग, सिंचाई, जैसी कई बातों पर निर्भर करती है। सामान्य तौर पर, बीज की रोपाई करने के बाद पौधे तैयार होने में 8-10 सप्ताह का समय लगता है। मुख्य खेत में पौधों की रोपाई के करीब 4 महीने बाद फसल बढ़ कर कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

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