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1 May
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चंदन की खेती (Sandalwood farming)


चंदन, अपनी सुगंध और अनेक उपयोगों के लिए जाना जाने वाला एक बहुमूल्य वृक्ष, भारत की समृद्ध वनस्पति विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका उपयोग इसकी सुगंधित लकड़ी, तेल, सौंदर्य प्रसाधन, दवाओं और अन्य उत्पादों के लिए किया जाता है। चंदन की मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक है। इसकी खेती सदियों से दक्षिण भारत के राज्यों, विशेष रूप से कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में की जाती रही है।

कैसे करें चन्दन की खेती? (कैसे करें चन्दन की खेती?)

  • मिट्टी : चंदन की खेती के लिए रेतीली दोमट या लाल बलुई चिकनी मिट्टी उपयुक्त होती है जिसका पीएच मान 6.5 से 7.5 होता है। मिट्टी में भरपूर कार्बनिक पदार्थों होना चाहिए और साथ ही मिटटी की जल धारण क्षमता अच्छी होनी चाहिए। भारत में चंदन के पेड़ों की सफल खेती के लिए मिट्टी की उचित तैयारी और निषेचन आवश्यक है।
  • जलवायु : चंदन के पेड़ भारत के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होते हैं और इनके वृद्धि - विकास के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। चंदन की खेती के लिए आदर्श तापमान 20 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। ज्यादा बारिश चंदन के पेड़ों की वृद्धि के लिए हानिकारक हो सकता है, जिससे जलभराव और जड़ सड़न हो सकता है।
  • खेत की तैयारी : खेत तैयार करते समय सबसे पहले 4 से 5 बार अच्छी तरह जुताई करें। जुताई के बाद खेत को समतल बना लें। खेत में जल जमाव की स्थिति उत्पन्न न होने दें। खेत में जल जमाव होने पर फफूंद जनित रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए जल निकासी की उचित व्यवस्था करें। आप चाहें तो समतल भूमि में भी खेती कर सकते हैं।
  • बुवाई : चंदन को बीज या कलम (पौधे का वानस्पतिक भाग) के माध्यम से लगाया जा सकता है। कलम से बुवाई को ज्यादा पसंद किया जाता है, क्योंकि यह पौधे की आनुवंशिक शुद्धता को सुनिश्चित करता है। रोपण के लिए सबसे अच्छा समय मानसून का होता है। चंदन को 3 मीटर x 3 मीटर या 4 मीटर x 4 मीटर की दूरी पर लगाया जाना चाहिए। गड्ढों को पहले से तैयार किया जाना चाहिए और ऊपरी मिट्टी, रेत और जैविक खाद के मिश्रण से भरा जाना चाहिए।
  • खाद प्रबंधन : चंदन की खेती में जैविक खादों का उपयोग किया जाता है ताकि पौधों को प्राकृतिक रूप से पोषक तत्व मिल सकें। फसल की वृद्धि के समय, पौधों को विशेष रूप से नाइट्रोजन, फॉस्फेट, और पोटाशियम की जरूरत होती है।
  • खरपतवार प्रबंधन : इसमें हाथों से खरपतवार निकालना या कुदाल और दरांती जैसे उपकरणों का उपयोग खरपतवारों को उखाड कर फेंक  देना चाहिए। मल्चिंग में चंदन के पेड़ों के चारों ओर की मिट्टी को पत्तियों, पुआल या घास की कतरनों से ढकना चाहिए है। यह खरपतवार की वृद्धि को दबाने में मदद करता है और मिट्टी में नमी भी बरकरार रखता है।
  • सिंचाई प्रबंधन : सिंचाई प्रबंधन : बारिश के मौसम में चंदन के पेड़ों काअच्छा वृद्धि - विकास होता है परन्तु गर्मी के मौसम में चन्दन की सिंचाई की उचित व्यवस्था करनी चाहिए। ध्यान रखें मिट्टी में नमी और मौसम के अनुसार ही सिंचाई करें। इसकी सिंचाई बरसात में दिसंबर से मई तक की जाती हैं। इसकी सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई, बाढ़ सिंचाई या फिर वर्षा जल संचयन के माध्यम से सिंचाई कर सकते हैं।
  • कीट एवं रोग प्रबंधन : रूट सड़ांध, स्केल कीड़े, लीफ स्पॉट, माइलबग्स, दीमक ये कीट और रोग चंदन के पौधों को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं अगर इसे ठीक से नियंत्रित न किया जाए। संक्रमण के किसी भी संकेत के लिए पौधों की नियमित रूप से निगरानी करना और क्षति को रोकने के लिए उचित नियंत्रण उपाय करना महत्वपूर्ण है।
  • चंदन की कीमत : अगस्त 2021 तक, भारत में चंदन की कीमत पेड़ की गुणवत्ता और उम्र के आधार पर 2,500 रुपये से 10,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक थी। चंदन की ज्यादा मांग और सीमित आपूर्ति के कारण पिछले कुछ वर्षों में इसकी कीमत लगातार बढ़ रही है। हालांकि, चंदन भारत में एक संरक्षित प्रजाति है और इसका व्यापार सरकार द्वारा विनियमित है। इसलिए, चंदन खरीदने या बेचने से पहले आवश्यक परमिट प्राप्त करना और नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है।
  • कटाई : चंदन की कटाई एक विशेष और जटिल प्रक्रिया है जिसे बहुत ही सावधानी और नियमों से करने की आवश्यकता होती है। सबसे पहले परिपक्व पेड़ों के चुनाव करके उन्हें चिह्नित करें, फिर कटाई करके उसका भण्डारण करें।  यह व्यापारिक और कानूनी दिशा में महत्वपूर्ण है। भारत में चंदन की कटाई सरकार द्वारा नियंत्रित की जाती है।

क्या आप चन्दन की खेती करना चाहते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। खेती से सम्बंधित अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ' बागवानी फसलें ' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: चंदन का पेड़ कितने साल में तैयार हो जाता है?

A: चंदन का पेड़ आमतौर पर 20 से 45 वर्षों के बीच में तैयार हो जाता है।

Q: चंदन की खेती कौन से राज्य में होती है?

A: चंदन की खेती प्रमुख रूप से भारत के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, और केरल में होती है।

Q: असली चंदन की पहचान क्या है?

A: असली चंदन की पहचान उसकी खुशबू, रंग, और घनापन से की जाती है। असली चंदन का लकड़ी आमतौर पर संगीतकारों और पूजाओं में उपयोग किया जाता है, जबकि नकली चंदन का उपयोग आधे से ज्यादा अनुष्ठानों और सांस्कृतिक उत्सवों में होता है।

Q: चन्दन कितने प्रकार के होते हैं ?

A: चंदन, एक ऐसा पौधा है जो अपनी महक, रंग, और उपयोगिता के लिए प्रसिद्ध है। यह पौधा दो प्रमुख प्रकार का होता है - सफेद चंदन और लाल चंदन, जिनकी खेती उत्तर और दक्षिण भारत में की जाती है।

Q: चंदन का बीज कहाँ मिलता है?

A: भारत में चंदन की खेती मुख्य रूप से होती है, और कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र सहित देश के विभिन्न हिस्सों में पाया जाता है। चंदन के बीज पके हुए चंदन के पेड़ों से मिलता हैं जो बीज युक्त फल पैदा करते हैं।

बीज सरकारी संस्थानों या नर्सरी से भी खरीदे जा सकते हैं। इसके अलावा बैंगलोर में केंद्र सरकार का लकड़ी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान एक ऐसा संस्थान है जो खेती के लिए चंदन के बीज और पौधे उपलब्ध कराता है।

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