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गेहूं में कंडुआ रोग से बचाव के लिए करें बीज उपचार | Seed Treatment to Prevent Smut Disease in Wheat
गेहूं की फसल में कई तरह के रोगों का प्रकोप होता है। इनमें से एक है कंडुआ रोग। संक्रमित बीज की बुवाई करना इस रोग के होने का मुख्य कारण है। इस रोग के फफूंद मिट्टी में लम्बे समय तक जीवित रहते हैं। अक्टूबर-नवंबर महीने में इस रोग का प्रकोप अधिक होता है। इस रोग के लक्षण पौधों में बालियां आने पर ही नजर आते हैं। गेहूं की बालियों पर पीले-नारंगी रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। रोग बढ़ने पर दानें काले रंग के पाउडर की तरह पदार्थ में बदल जाते हैं। फसल को इस रोग से बचाने के लिए इस रोग से प्रभावित बीज की बुवाई न करें। इसके साथ ही बीज उपचारित करना भी बहुत जरूरी है। इसके लिए प्रति किलोग्राम बीज को 2.25-3 ग्राम कार्बोक्सिन 37.5% + थिरम 37.5% डब्ल्यूएस (स्वाल इमिवैक्स, धानुका वीटावैक्स पावर) से उपचारित करें। इसके अलावा आप 100 किलोग्राम बीज को 200 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 18.5% + हेक्साकोनाज़ोल 1.5% एफएस (टाटा नियोनिक्स 20 एफएस) से भी उपचारित कर सकते हैं।
गेहूं की फसल को कंडुआ रोग से बचाने के लिए आप किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इस जानकारी को अन्य किसानों तक पहुंचाने के लिए इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।
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