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पालक की खेती (Spinach farming)
पालक एक महत्वपूर्ण सदाबहार सब्जी है जो आयरन, विटामिन्स, और एंटीऑक्सीडेंट्स का उत्कृष्ट स्रोत है। इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और त्वचा, पाचन, बाल, आंखों, और दिमाग के स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह कैंसर-रोधी और एंटी-एजिंग दवाओं में भी इस्तेमाल होती है। भारत में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, और गुजरात प्रमुख पालक उत्पादक राज्य हैं। इसकी खेती रबी, खरीफ, और जायद तीनों मौसम में की जाती है।
कैसे करें पालक की खेती? (How to cultivate spinach?)
मिट्टी: पालक की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी वे होती हैं जिनमें उचित जल निकास होता है। रेतीली चिकनी और जलोढ़ मिट्टी में पालक का उत्पादन अच्छा होता है। इसके लिए मिट्टी का pH 6 से 7 के बीच होना चाहिए।
जलवायु: पालक की खेती के लिए अनुकूल जलवायु 15-30 डिग्री सेल्सियस है। वर्षा कॉल में 80-100 सेमी, पालक की फसल किसी भी सब्जियों की फसल की तुलना में ठंड को बेहतर ढंग से सहन कर सकती है।
बुवाई का समय: सर्दियों के मौसम में बुवाई का आदर्श समय सितंबर से अक्टूबर तक होता है। वसंत के मौसम के लिए बुवाई फरवरी के मध्य से अप्रैल तक की जाती है। हल्के जलवायु वाले मैदानी इलाकों में पालक पूरी साल उगाया जा सकता है। पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च से मई तक बुवाई की जाती है। अगस्त से दिसंबर तक बुवाई के लिए उपयुक्त समय है।
बीज दर: पालक की खेती के लिए प्रति एकड़ खेत के लिए 4 से 6 किलो बीज की जरूरत होती है। अंकुरण की प्रतिशतता बढ़ाने के लिए बीजों को 12-24 घंटे तक पानी में भिगो दें।
प्रसिद्ध किस्में: पालक की प्रमुख किस्मों में निम्नलिखित शामिल हैं: Punjab Green: उच्च उपज और हरी पत्तियों के लिए जानी जाती है। Punjab Selection: विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में अच्छी पैदावार देती है। Pusa Jyoti: स्वास्थ्यवर्धक पत्तियों के लिए प्रसिद्ध। Pusa Palak: उच्च गुणवत्ता और स्वादिष्ट पत्तियों के लिए। Pusa Harit: ठंडी जलवायु में अच्छी पैदावार देने वाली किस्म। Pusa Bharati: विविध जलवायु में अच्छा उत्पादन देने वाली।
खेत की तैयारी: जमीन को भुरभुरा करने के लिए 3 से 5 बार जुताई करनी चाहिए। जुताई के बाद सुहागा से मिट्टी को समतल करें। बैड तैयार करें और सिंचाई करें। बिजाई पंक्ति या बुरकाव द्वारा की जा सकती है। बुवाई के लिए पंक्ति से पंक्ति के बीच की दूरी 20 सेमी और पौधे से पौधे के बीच की दूरी 5 सेमी रखनी चाहिए। बीज को 3-4 सेमी की गहराई में बोये।
खाद एवं रासायनिक उर्वरक: पालक की अच्छी फसल के लिए खेत की तैयारी के समय प्रति एकड़ 100 क्विंटल अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद डालें। इसके साथ ही रासायनिक उर्वरकों का सही उपयोग भी आवश्यक है। बुवाई से पहले प्रति एकड़ 35 किग्रा यूरिया, 12 किग्रा DAP, और 20 किग्रा MOP डालें। बुवाई के बाद यूरिया की शेष मात्रा को दो समान भागों में बांटकर प्रयोग करें। उर्वरक डालने के बाद हल्की सिंचाई करें ताकि पोषक तत्व मिट्टी में अच्छी तरह से इस्तेमाल करें।
सिंचाई प्रबंधन: बीजों के अंकुरण और विकास के लिए मिट्टी में नमी का होना आवश्यक है। यदि मिट्टी में नमी नहीं है तो बुवाई से पहले या बुवाई के बाद पहली सिंचाई करें। गर्मी के महीने में 4-6 दिनों के अंतराल पर और सर्दियों में 10-12 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। ज्यादा सिंचाई से बचें और पत्तों पर पानी न लगने दें। ड्रिप सिंचाई पालक की खेती के लिए लाभकारी है।
खरपतवार नियंत्रण: खरपतवार को दो से तीन गुड़ाई की आवश्यकता होती है, जिससे मिट्टी को हवा मिलती है। पायराज़ोन 1-1.12 किलो प्रति एकड़ में प्रयोग करें। रासायनिक खरपतवार नियंत्रण के बाद नियमित गुड़ाई करें।
कीट और बीमारियां:
मुख्य कीट:
- एफिड: ये पौधों के रस को चूसते हैं और उत्पादन को प्रभावित करते हैं।
- लीफ माइनर: यह कीट पत्तियों के अंदर सुरंग बनाते हैं।
- स्लग और घोंघे: यह कीट पत्तियों को खा जाते हैं।
मुख्य रोग:
- पत्ती धब्बा: पत्तियों पर भूरी या काली धब्बे दिखाई देते हैं।
- मोज़ेक वायरस: पत्तियों पर हल्के और गहरे हरे रंग के धब्बे दिखते हैं।
- कोमल फफूंदी: पत्तियों पर सफेद पाउडर जैसे फफूंदी का प्रकोप होता है।
- झुलसा (ब्लाइट): पत्तियों पर गहरे भूरे या काले धब्बे होते हैं।
कटाई: रोपण के 6 से 8 सप्ताह बाद फसल की कटाई शुरू करें। इसके लिए बाहरी पत्तियों को काटे जो 3 से 4 इंच लंबी होती हैं। केवल अच्छी तरह से विकसित, रसीला और कोमल पत्तियों की कटाई करें। पहली कटाई के 20-25 दिनों के बाद की जाती है और इसके बाद कटाई 20-25 दिनों के अंतराल पर लगातार करें। तीखे चाकू या दरात का प्रयोग करें। पत्तियों को गुनगुने पानी में धोने और सुखाने के लिए कपड़े या कागज तौलिया का उपयोग करें।
उपज: पालक की उपज प्रति एकड़ 40 से 50 क्विंटल हो सकती है।
क्या आप पालक की खेती करते हैं ? अगर हाँ तो अपना जवाब हमें कमेंट करके बताएं। ऐसी ही रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान मित्रों के साथ साझा करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: पालक की बुवाई कौन से महीने में होती है?
A: पालक की बुवाई विभिन्न मौसमों में की जा सकती है। सर्दियों में, यानी रबी मौसम में, बुवाई का आदर्श समय सितंबर से अक्टूबर तक होता है, क्योंकि ठंडी जलवायु पालक के लिए अनुकूल होती है। वसंत में, यानी खरीफ मौसम में, फरवरी से अप्रैल तक बुवाई की जाती है, जब तापमान बढ़ता है और पौधे तेजी से बढ़ते हैं। हल्के जलवायु वाले मैदानी इलाकों में, जहां गर्मी बहुत अधिक नहीं होती, साल भर बुवाई संभव है, विशेषकर अगस्त से दिसंबर तक। पहाड़ी क्षेत्रों में, ठंडी जलवायु के कारण, बुवाई मार्च से मई तक की जाती है।
Q: 1 एकड़ में पालक का बीज कितना लगता है?
A: पालक की फसल के लिए 1 एकड़ खेत में बीज की मात्रा 4 से 6 किलो के बीच होती है। बीज की मात्रा फसल की किस्म, मिट्टी की स्थिति और उगाने की तकनीक पर निर्भर करती है। बीजों की अंकुरण दर बढ़ाने के लिए उन्हें बुवाई से 12-24 घंटे पहले पानी में भिगोना फायदेमंद हो सकता है। इससे बीज तेजी से अंकित होते हैं और फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है।
Q: पालक का एक एकड़ में कितना उपज होता है?
A: एक एकड़ में पालक की उपज मिट्टी की उर्वरता, जलवायु, सिंचाई और खेती के तरीकों जैसे विभिन्न कारकों के आधार पर भिन्न हो सकती है। हालांकि, भारत में लगभग 10-12 टन प्रति एकड़ उपज दे सकता है।
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