पेड़ी गन्ना: रोग और कीट, लक्षण, बचाव एवं उपचार | Sugarcane: Diseases and Pests, Symptoms, Prevention and Treatment
पेड़ी गन्ना: रोग और कीट, लक्षण, बचाव एवं उपचार | Sugarcane: Diseases and Pests, Symptoms, Prevention and Treatment
एक बार गन्ने की बुवाई के बाद पहली फसल की पहली कटाई की जाती है, इसके बाद फिर उसी बीज टुकड़ों से उत्पन्न होने वाली दूसरी फसल को पेड़ी गन्ने की फसल कहते हैं। कुछ क्षेत्रों में इसे मेढ़ी गन्ना की फसल के नाम से भी जाना जाता है। सामान्यतः गन्ने की मुख्य फसल की तुलना में पेड़ी फसल की उपज कम होती है। लेकिन उचित देखभाल एवं फसल को रोग और कीटों से बचा कर हम पेड़ी फसल से भी अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
पेड़ी गन्ना की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख रोग एवं नियंत्रण के तरीके | Major Diseases in Sugarcane Crop and Their Control Methods
लाल सड़न रोग से होने वाले नुकसान: इस रोग के होने का मुख्य कारण फफूंद है। इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां धीरे-धीरे पीली होने लगती हैं। उसके बाद पत्तियां नीचे से ऊपर की तरफ सूखने लगती हैं। प्रभावित गन्ने को बीच से देखने पर भीतरी भाग लाल रंग का नजर आता है। लाल सड़न गन्ने का सबसे भयंकर रोग है, इसे गन्ने का कैंसर भी कहते हैं।
लाल सड़न रोग पर नियंत्रण के तरीके:
- रोगमुक्त क्षेत्र में स्वस्थ पौधों से सेट (बीज) का चयन करें।
- गन्ने की फसल को एक ही खेत में बार-बार ना लगाएं।
- फसल चक्र का प्रयोग करें।
- प्रतिरोधी किस्म का चयन करें।
- बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% डब्ल्यू.पी (देहात साबू) से उपचारित करें।
- प्रभावित पौधों को खेतो से बाहर निकालकर जला दें।
- प्रभावित फसल की पेड़ी का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- 150-200 लीटर पानी में 150 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% +डिफेनोकोनाजोल 11.4% एस.सी (देहात सिनपैक्ट) का प्रयोग प्रति एकड़ की दर से करें।
ग्रासी शूट रोग से होने वाले नुकसान: विशेष रूप से यह रोग वर्षाकाल में अधिक होता है। प्रभावित पौधों की आगे की पत्तियों में हरापन बिल्कुल समाप्त हो जाता है, जिससे पत्तियों का रंग दूधिया हो जाता है। नीचे की पुरानी पत्तियों में मध्य शिरा के समानान्तर दूधिया रंग की धारियां पड़ जाती हैं। रोग ग्रसित पौधों में अनेक पतले-पतले कल्ले निकलते हैं। पौधों की वृद्धि रुक जाती है और गन्ने पतले रह जाते हैं। प्रभावित पौधे झाड़ी की तरह नजर आते हैं।
ग्रासी शूट रोग पर नियंत्रण के तरीके:
- लीफ हॉपर एवं प्लांट हॉपर इस रोग को फैलाने का काम करते हैं।
- समय-समय पर गन्ने के खेतों का निरीक्षण कर रोगी पौधों को नष्ट कर देना या मिट्टी से ढक देना भी रोग प्रबंधन में कारगर उपाय है।
- रोग ग्रस्त गन्नों को बीज के रूप में उपयोग न करें।
- प्रभावित फसल की पेड़ी फसल न लें।
- फसल चक्र अपनाएं।
- प्रति एकड़ खेत में 200 लीटर पानी में 150 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एल (धानुका मीडिया) का प्रयोग करें।
- 150-200 लीटर पानी में 100 ग्राम थियामेथोक्सम 25%डब्ल्यू.जी (देहात एसियर) का छिड़काव करें।
पोक्का बोइंग रोग से होने वाले नुकसान: रोग के शुरुआती दौर में ऊपर की पत्तियां तने के जुड़ाव की ओर से पीली और सफेद होने लगती हैं और कुछ दिनों बाद लाल भूरी होकर सूख जाती हैं। इसके प्रभाव से ऊपर से निकलने वाली पत्तियां विकृत हो जाती हैं। पत्तियां आपस में चिपकी हुई निकलती हैं। फसल में प्रकाश संश्लेषण की की क्रिया प्रभावित हो जाती है और पौधों की वृद्धि रुक जाती है। इस रोग की तीव्रता अधिक होने पर ऊपरी भाग में सड़न की समस्या हो सकती है। यह रोग वर्षा के मौसम में ज्यादातर दिखने को मिलता है।
पोक्का बोइंग रोग पर नियंत्रण के तरीके:
- इस रोग पर नियंत्रण के लिए नीचे दी गई दवाओं में से किसी 1 का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 150-200 लीटर पानी में 300 मिलीलीटर हेक्साकोनाजोल 5% एससी (टाटा रैलीस कॉन्टाफ प्लस) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 150-200 लीटर पानी में 300 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डब्ल्यूपी (क्रिस्टल ब्लू कॉपर) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 150-200 लीटर पानी में 300 ग्राम थियोफैनेट मिथाइल 70% डब्ल्यू.पी (बायोस्टैड रोको) का प्रयोग करें।
पेड़ी गन्ना की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख कीट एवं नियंत्रण के तरीके | Major Pests in Sugarcane Crop and Their Control Methods
दीमक से होने वाले नुकसान: दीमक जमीन के अंदर मिट्टी में रहते हैं और पड़ी गन्ने की फसल को जमीन की सतह के पास नुकसान पहुंचाते हैं। जिससे पौधों का अंकुरण कम हो जाता है। कई बार इस कीट के प्रकोप के कारण गन्ना अंदर से खोखला हो जाता है। ये कीट बहुत कम समय में फसल को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।
दीमक पर नियंत्रण के तरीके:
- फसल को इस कीट से बचाने के लिए प्रति लीटर पानी में 3 मिलीलीटर क्लोरोपाइरीफॉस 20% ई सी (टाटा रैलिस तफाबन) के घोल से बीज उपचारित करें।
- मिट्टी तैयारी करते समय प्रति एकड़ खेत में 04 किलोग्राम फिप्रोनिल 0.6% जी आर (देहात स्लैमाइट अल्ट्रा, (बायर रीजेंट अल्ट्रा) का प्रयोग करें।
- इसके अलावा आप प्रति एकड़ खेत में 60 ग्राम थियामेथोक्साम 75% SG (धानुका- रिपल) का प्रयोग करें।
टॉप शूट बोरर से होने वाले नुकसान: इस कीट का लार्वा पत्तियों में सुरंग बना देता है। जिस कारण सफेद धारियां बन जाती हैं। कुछ दिनों बाद ये धारियां भूरे रंग की हो जाती हैं। जिससे पेड़ी गन्ने की पैदावार कम हो जाती है।
टॉप शूट बोरर पर नियंत्रण के तरीके:
- इस कीट पर नियंत्रण के लिए निम्न लिखित दवाओं में से किसी भी 1 दवा का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 100 मिलीलीटर क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% डब्ल्यू/डब्ल्यू एस सी (एफएमसी कोराजन) से ड्रेनचिंग करें।
- 200 लीटर पानी में 100 मिलीलीटर थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेडसी (देहात एंटोकिल) मिला कर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 300 मिलीलीटर नोवलूरॉन 5.25% + इंडोक्साकार्ब 4.5% डब्ल्यू/डब्ल्यू एस सी (अडामा प्लेथोरा) को 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।
सफेद लट से होने वाले नुकसान: मिट्टी में रहने वाले ये कीट पेड़ी गन्ने के पौधों की जड़ों और अंकुरण को खाकर नुकसान पहुंचाता है। प्रभावित पेड़ी गन्नों में लाजिंग हो जाती है और पौधा खीचने पर आसानी से उखड़ जाता है।
सफेद लट पर नियंत्रण के तरीके:
- इस कीट पर नियंत्रण के लिए नीचे दी गई दवाओं में से किसी भी 1 दवा का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 250 ग्राम फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% डब्लू जी (देहात डेमफिप) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 4 किलोग्राम थियामेथोक्सम 1% + क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 0.5% जीआर (सिंजेंटा विर्टाको) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 500 मिलीलीटर क्लोरपायरीफॉस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% ईसी (देहात सी स्क्वायर) का प्रयोग करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)
Q: गन्ने की पेड़ी क्या है?
A: गन्ने के एक ही बीज से कटाई के बाद दूसरी फसल को गन्ने की पेड़ी फसल कहते हैं।
Q: गन्ना पेड़ी में क्या क्या डालें?
A: गन्ने की पेड़ी फसल में उचित मात्रा में गोबर की खाद के साथ यूरिया और एसएसपी खाद का प्रयोग करना चाहिए।
Q: गन्ने में लाल सड़न रोग किसकी कमी से होता है?
A: गन्ने में लाल सड़न रोग कोलेटोट्रिचम फाल्कैटम नामक कवक के कारण होता है। हालांकि, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों की कमी गन्ने के पौधों को रोग के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकती है।
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