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गन्ना: कीट, लक्षण, बचाव एवं उपचार | Sugarcane: Pests, Symptoms, Prevention and Treatment
गन्ना: कीट, लक्षण, बचाव एवं उपचार | Sugarcane: Pests, Symptoms, Prevention and Treatment
नकदी फसलों में शामिल गन्ने की फसल में कई तरह के कीटों का प्रकोप होता है। जिनमें दीमक, माहू, सफेद मखी, हरा तेला, मिली बग, पाइरिला कीट, सफेद लट, अर्ली तना छेदक इल्ली, टॉप शूट बोरर, काला चिटका जैसे कीट प्रमुख हैं। इन कीटों के कारण गन्ने की उपज एवं मिठास दोनों प्रभावित होते हैं, जो गन्ने की खेती करने वाले किसानों के लिए नुक्सान का कारण बनता है। आज के इस पोस्ट में हम गन्ने की फसल को प्रभावित करने वाले कीटों पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।
गन्ने की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख कीट
दीमक से होने वाले नुकसान:
दीमक जमीन की सतह से सटे गन्ने को नुकसान पहुचाते हैं। जिससे पौधा का अंकुरण कम हो जाता है। यह गन्ने को खा कर नष्ट कर देते हैं।
दीमक पर नियंत्रण के तरीके:
- गन्ने के टुकड़ों को उपचारित करना चाहिए, टाटा टाफ़ाबान का 3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर प्रयोग करें।
- मिट्टी तैयारी करते समय देहात स्लेमाइट अल्ट्ररा का 04 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग कर सकते हैं।
- थियामेथोक्साम 75% SG (धानुका- रिपल)दवा का 60 ग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
रस-चूसक कीट से होने वाले नुकसान: यह पौधों के पत्तियों से रस चूस कर पत्तियों को कमजोर कर देते हैं। जिससे पौधे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया कम हो जाती है, एवं पौधे कमजोर हो जाते हैं, उनका विकास रुक जाता है।
रस-चूसक कीट पर नियंत्रण के तरीके:
- थियामेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी (देहात- एसीयर) दवा का 100 ग्राम दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC (देहात- एंटोकिल) दवा का 100 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- क्लोरपायरीफॉस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% (देहात सी स्क्वायर) दवा का 300-350 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- ऐसफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% एसपी (युपीएल लांसर गोल्ड) दवा का 300-400 ग्राम दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
मिली बग कीट से होने वाले नुकसान:
मिली बग कीट पौधे के पत्तियों के पीछे या गाठों पर सफेद रंग के अंडाकार कीट दिखाई देते हैं, इन्हें मिली बग कीट के नाम से जाना जाता है। ये कीट हनी ड्यू का स्राव करते हैं। हनी ड्यू पर फफूंद विकसित हो जाती है। जिससे गन्ने काले रंग के हो जाते हैं, जो काली चीटीं को आकर्षित करते हैं। गन्ने की पत्ती पीले होने लगती है। गन्ने भी छोटे हो जाते हैं।
मिली बग कीट
पर नियंत्रण के तरीके:
- खेत में ज्यादा नमी ना दें, एवं जल-जमाव ना हो।
- ज्यादा प्रभावित पौधे को उखाड़ कर फेक देनी चाहिए।
- बुप्रोफेज़िन 25% एससी (बेयर फ्लोटिस) दवा का 300-400 मिलीलीटर 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करें।
- मोनोक्रोटोफॉस 36% एस.एल (आईआईएल मोनोसिल) दवा का 200-300 मिलीलीटर 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करें।
- डाइमेथोएट 30% ईसी (टाटा रैलिस- टैफगोर) दवा का 300 मिलीलीटर 150-200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे छिड़काव करें।
पाइरिला कीट से होने वाले नुकसान:
इन कीट की वजह से गन्ने की फसल को काफी ज्यादा नुकसान होता है। इस कीट का संक्रमण अप्रैल से लेकर अक्टूबर माह तक रहता है। यह कीट पत्तियों से रस चूस कर गन्ने की फसल को कमजोर कर देते हैं। किसानों के गन्ने की फसल को इन प्रमुख कीट से बचाव के लिए नीचे बताए गए दवा का प्रयोग करनी चाहिए।
पाइरिला कीट पर नियंत्रण के तरीके:
- खेत की सिंचाई करें।
- इस कीट से ग्रसित गन्ने के खेत में यूरिया का अधिक प्रयोग ना करें क्योंकि नाइट्रोजन के अधिक प्रयोग वाले खेत में पायरिला कीट का प्रकोप बढ़ता है।
- क्लोरपायरीफॉस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% (देहात सी स्क्वायर) दवा का 300-350 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- प्रोफेनोफॉस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% ईसी (देहात कैटरकिल) का 300 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
सफेद लट से होने वाले नुकसान:
यह कीट मिट्टी में रहता है, एवं उसमें अंडा देता है, आम तौर पर जड़ और अंकुर के भाग को खाकर नुकसान करता है। प्रभावित गन्नों में लाजिंग हो जाती है और पौधा खीचने पर आसानी से उखड़ जाता है।
सफेद लट पर नियंत्रण के तरीके:
- फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% डब्लूजी (देहात डेमफिप) दवा का 200-250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- थियामेथोक्सम 1% + क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 0.5% जीआर (सिंजेंटा विर्टाको) का 04 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- क्लोरपायरीफॉस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% (देहात सी स्क्वायर) दवा का 500 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
अर्ली तना छेदक इल्ली से होने वाले नुकसान:
फसल के उगने के समय इस कीट का प्रकोप अधिक होता है। यह कीट जमीन के नजदीक तने में सुराख करती है और पौधे को सूखा देते हैं। आमतौर पर हल्की जमीन और शुष्क वातावरण में मार्च से जून के महीनों में इनका प्रकोप होता है। इस कीट से बचने के लिए अगेती फसल की बुवाई करें।
अर्ली तना छेदक इल्ली
पर नियंत्रण के तरीके:
- थियामेथोक्सम 1% + क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 0.5% जीआर (सिंजेंटा विर्टाको) का 04 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- देहात एंटोकिल (थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC) दवा का 100 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- क्लोरोपाइरीफॉस 20% ईसी (टाटा तफ़ाबन) दवा का 400-500 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
टॉप शूट बोरर से होने वाले नुकसान: यह कीट गन्ना अंकुरीर होने से लेकर पकने तक हमला करता है। इसका लार्वा पत्तों में सुरंग बना देता है। जिस कारण सफेद धारियां बन जाती हैं, जो बाद में भूरे रंग की हो जाती हैं।
टॉप शूट बोरर पर नियंत्रण के तरीके:
- क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% w/w SC (एफएमसी कोराजन) दवा का 100 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC (देहात एंटोकिल) दवा का 100 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें ।
काला चिटका(ब्लैक बग) से होने वाले नुकसान: यह कीट गन्ने की पेडी पर अधिक सक्रिय रहता है तथा पत्तियां का रस चूसता है जिससे फसल दूर से पीली दिखाई देती है।
काला चिटका(ब्लैक बग) पर नियंत्रण के तरीके:
- वर्टिसिलियम लैकानी 1.15 प्रतिशत डब्लू पी का 01 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से 15 दिन के अन्तराल पर सायंकाल प्रयोग करें।
- क्लोरपायरीफॉस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% (देहात सी स्क्वायर) दवा का 500 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- क्विनलफॉस 25% ईसी (धानुका धानुलक्स) दवा का 400-500 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
आपके गन्ने की फसल में किस कीट का प्रकोप अधिक होता है और इन पर नियंत्रण के लिए आप किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के द्वारा बताएं। कृषि संबंधी जानकारियों के लिए देहात के टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर सम्पर्क करके विशेषज्ञों से परामर्श भी कर सकते हैं। इसके अलावा, 'किसान डॉक्टर' चैनल को फॉलो करके आप फसलों के सही देखभाल और सुरक्षा के लिए और भी अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं शेयर करके आप इस जानकारी को अन्य किसानों तक पहुंचा सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)
Q: गन्ने में सबसे अच्छा कीटनाशक कौन सा है?
A: गन्ने के विभिन्न कीटों एवं रोगों पर नियंत्रण के लिए अलग-अलग दवाओं का प्रयोग किया जाता है। किसी भी रोग या कीट का प्रकोप होने पर उसकी पहचान करें और उसके बाद ही उपयुक्त दवाओं का प्रयोग करें। दवाओं के प्रयोग से पहले कृषि विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श करें।
Q: गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए क्या करना चाहिए?
A: गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए सही समय पर सिंचाई, उचित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग और खरपतवारों पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही फसल को रोग एवं कीटों से बचा कर भी गन्ने की बेहतर उपज प्राप्त किया जा सकता है।
Q: कीटनाशक का छिड़काव कब करें?
A: कीटनाशक का छिड़काव सुबह या शाम के समय करने से बेहतर परिणाम मिलते हैं। तेज धूप में इसका प्रभाव कम हो सकता है। यदि वर्षा होने की संभावना है तो कीटनाशक का प्रयोग न करें।
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