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13 May
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गन्ना: तना छेदक कीट के लक्षण, नुकसान एवं नियंत्रण | Sugarcane: Symptoms, Damage and Control of Stem Borer Insect

तना छेदक कीट को स्टेम बोरर के नाम से भी जाना जाता है। गन्ने के पौधों के उगने एवं विकास के दौरान इस कीट का प्रकोप अधिक होता है। हल्की जमीन और शुष्क वातावरण कीटों के लिए अनुकूल है। इसलिए मार्च से जून के महीनों में गन्ने की फसल में इनका प्रकोप बढ़ जाता है। तना छेदक कीट के कारण गन्ने की उपज एवं गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती है। इससे गन्ने की मिठास में कमी आती है। गुणवत्ता प्रभावित होने के कारण गन्ने की बिक्री से किसनों को उचित मुनाफा नहीं मिल पाता है। फसल को इस कीट से बचाने के लिए अगेती फसल की बुवाई करें। गन्ने की फसल में तना छेदक कीट से होने वाले नुकसान, इस कीट की पहचान, इसके लक्षण एवं नियंत्रण की विस्तृत जानकारी के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।

गन्ना की फसल में तना छेदक कीट की कैसे करें पहचान? | How to Identify Stem Borer Insect in Sugarcane Crops?

  • लार्वा की पहचान: इस कीट का लार्वा सफेद रंग का होता है और उसका शरीर करीब 2 सेंटीमीटर तक लम्बा हो सकता है। लार्वा कीट का सिर भूरे रंग का होता है।
  • प्यूपा की पहचान: प्यूपा कीट भूरे रंग का होता है और ये गन्ने को अंदर से खा कर फसल को क्षति पहुंचता है।
  • व्यस्क कीट की पहचान: पूर्ण रूप से विकसित कीट भूरे रंग के होते हैं। इनके शरीर पर पंख पाए जाते हैं।

गन्ना की फसल में तना छेदक कीट से होने वाले नुकसान | Damage Caused by Stem Borer Insects in Sugarcane Crop

  • पौधों के विकास में बाधा: इस कीट से प्रभावित पौधों के विकास में बाधा आती है।
  • पौधों के गिरने की समस्या: यह कीट गन्ने के तेने को अंदर से खा कर उसे खोखला बना सकते हैं। जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और तेज हवाओं या वर्षा के समय पौधों के गिरने की संभावना अधिक होती है।
  • पत्तियों में पीलापन: प्रभावित पौधों की पत्तियां पीली होने लगती हैं।
  • पत्तियों का मुरझाना: कीट के प्रकोप से प्रभावित पौधों की पत्तियां मुरझाने लगती हैं।
  • रोगों के प्रति संवेदनशील: तना छेड़ाक कीट के कारण पौधे कमजोर होने लगते हैं। जिससे पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है और पौधे विभिन्न रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
  • मिठास में कमी: इस कीट से प्रभावित पौधों में चीनी की मात्रा (मिठास) कम होने लगती है।
  • उपज में कमी: यह कीट जमीन की सतह से सटे तने में सुराख करते हैं। जिससे गन्ना धीरे-धीरे सूखने लगता है और किसानों को उपज में भारी कमी का सामना करना पड़ता है।

गन्ना की फसल में तना छेदक कीट के लक्षण | Symptoms of Stem Borer in Sugarcane Crop

  • गन्ने के तने में छेद: ये कीट पौधे में प्रवेश करने और बाहर निकलने के लिए गन्ने के तने में छेद करते हैं। गन्ने के तने को ध्यान से देखें तो उस पर छोटे-बड़े छेद देखे जा सकते हैं।
  • कीटमल की उपस्थिति: इस कीट का लार्वा कीटमल का उत्सर्जन करता है, जो मलमूत्र और चबाए गए पौधे सामग्री का मिश्रण होता है। कीटों के द्वारा तने पर बनाए गए छेदों के आस-पास कीटमल देखा जा सकता है।
  • लार्वा एवं प्यूपा की उपस्थिति: गन्ने के तने के तने को फाड़ कर देखने पर उसके अंदर लार्वा एवं प्यूपा पाया जा सकता है।

गन्ना की फसल में तना छेदक कीट पर नियंत्रण के लिए रासायनिक विधि | Chemicals to Control Stem Borer Insect in Sugarcane Crop

इस कीट पर नियंत्रण के लिए नीचे दी गई दवाओं में से किसी एक दवा का प्रयोग करें।

  • थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेडसी (देहात एंटोकिल) दवा का 100 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
  • क्लोरोपाइरीफॉस 20% ईसी (टाटा तफ़ाबन) दवा का 400-500 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 04 किलोग्राम थियामेथोक्सम 1% + क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 0.5% जीआर (सिंजेंटा विर्टाको) का प्रयोग करें।

गन्ना की फसल में तना छेदक कीट पर नियंत्रण के लिए कुछ अन्य तरीके | Other Methods to Control Stem Borer Insects in Sugarcane Crop

  • सांस्कृतिक नियंत्रण: इसमें फसल चक्र अपनाना, इंटरक्रॉपिंग और गन्ने की समय पर रोपाई एवं कटाई जैसी प्रथाएं शामिल हैं। इससे फसल को तना छेदक कीटों के प्रकोप से बचाया जा सकता है।
  • प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग: गन्ने की फसल को तना छेदक कीट से बचाने के लिए इस कीट के लिए प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
  • जैविक विधि: जैविक विधि के द्वारा भी तना छेदक कीट पर नियंत्रण किया जा सकता है। इसके लिए आप नीम के तेल का प्रयोग कर सकते हैं।
  • पौधों को नष्ट करें: इस कीट को फैलने से रोकने के लिए गंभीर रूप से प्रभावित पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें।

आपके गन्ने की फसल में किस कीट का प्रकोप अधिक होता है और इन पर नियंत्रण के लिए आप किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के द्वारा बताएं। फसलों को विभिन्न कीटों एवं रोगों से बचाने की अधिक जानकारी के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं शेयर करके आप इस जानकारी को अन्य किसानों तक पहुंचा सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: गन्ने में कौन कौन से कीट लगते हैं?

A: की फसल में कई तरह के कीटों का प्रकोप होता है। जिनमें एफिड, तना छेदक, सफेद ग्रब, मिली बग, दीमक, पाइरिला कीट, काला चिटका, आदि शामिल हैं।

Q: गन्ने के लिए सबसे अच्छा कीटनाशक कौन सा है?

A: गन्ने की फसल में लगने वाले विभिन्न कीटों पर नियंत्रण के लिए अलग-अलग दवाओं का प्रयोग किया जाता है। किसी भी कीट का प्रकोप होने पर उसकी पहचान करें और उसके बाद ही उपयुक्त दवाओं का प्रयोग करें। कीटनाशक दवाओं के प्रयोग के समय मात्रा का विशेष ध्यान रखें। दवाओं के प्रयोग से पहले कृषि विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श करें।

Q: कीटनाशक का छिड़काव कब करें?

A: कीटनाशक का छिड़काव सुबह या शाम के समय करने से बेहतर परिणाम मिलते हैं। तेज धूप में इसका प्रभाव कम हो सकता है। यदि वर्षा होने की संभावना है तो कीटनाशक का प्रयोग न करें। कीटनाशक के छिड़काव से पहले पैकेट पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें एवं उनका पालन करें। दवाओ में मौजूद हानिकारक रसायनों के प्रभाव से बचने के लिए छिड़काव के समय हाथ, मूंह, आंख, नाक एवं कान को अच्छी तरह ढकें।

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