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11 Mar
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गर्मी के मौसम में उगाई जाने वाली सब्जियां | Vegetables to grow in Summer

गर्मी के मौसम में उगाई जाने वाली सब्जियां | Vegetables to grow in Summer

स्वादिष्ट एवं पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण भारतीय थाली में सब्जियों का विशेष महत्व है। गेहूं, धान, मक्का जैसी पारम्परिक फसलों की तुलना में जल्दी तैयार होने के कारण किसानों का रुझान सब्जी वाली फसलों की खेती की तरफ बढ़ता जा रहा है। देश के कई राज्यों में बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार के द्वारा सब्जी की खेती के लिए किसानों को सब्सिडी भी दी जा रही है। अधिक मुनाफा प्राप्त करने के लिए अगर आप भी सब्जी की खेती का मन बना रहे हैं तो इस पोस्ट के द्वारा गर्मी के मौसम में उगाई जाने वाली सब्जियों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

गर्मी के मौसम में उगाई जाने वाली कुछ बेहतरीन सब्जियां | Best Vegetables to grow in summer

  • लौकी: गर्मी के मौसम में फसल प्राप्त करने के लिए जनवरी से मार्च के बीच इसकी बुवाई की जाती है। लौकी की खेती के लिए गर्म एवं आर्द्र जलवायु सर्वोत्तम है। पौधों के बेहतर विकास के लिए 32 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है। लौकी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी एवं जीवांश युक्त चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त है। मिट्टी का पी.एच. स्तर 6 से 7 के बीच होना चाहिए। इसकी खेती के लिए सबसे पहले 2 से 3 बार खेत की जुताई करें और प्रति एकड़ खेत में बेसल डोज के तौर पर 70 किलोग्राम एनपीके 10:26:26 खाद के साथ 25 किलोग्राम यूरिया, 12 किलोग्राम सल्फर एवं 4 किलोग्राम 'देहात स्टार्टर' का प्रयोग करें। लौकी की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 'देहात डीएचएस 2200', 'देहात डीएचएस 2202' एवं 'देहात डीएचएस 2210' किस्मों का चयन करें। इसके अलावा आप आइरिस हाइब्रिड F1 लौकी, सरपन F1 हाइब्रिड लौकी-55, आइरिस राउंड मुमताज F1 लौकी, जेंटेक्स शुभांगी (आरएसटी 1103), टीम सीड्स लड्डू F1 हाइब्रिड, आइरिस झंकार F1 लौकी, शाइन ब्रांड जूली F1 लौकी, आइरिस हजारी 04 F1 लौकी, आदि किस्मों का भी चयन कर सकते हैं। प्रति एकड़ खेत के लिए 300-350 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। इसकी खेती करातों में करें। कतारों के बीच 6 फीट की दूरी रखें। पौधों से पौधों के बीच करीब 2.5 फीट की दूरी होनी चाहिए। गर्मी के मौसम में 3 से 4 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। खेत में जल जमाव की स्थिति उत्पन्न न होने दें। खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आवश्यकता के अनुसार निराई-गुड़ाई करें। फलों की तुड़ाई इसकी किस्मों, क्षेत्र, जलवायु, आदि के अनुसार भिन्न हो सकती है। सामान्यतः लौकी की बुवाई के 50-65 दिनों बाद फलों की पहली तुड़ाई की जा सकती है।
  • भिंडी: भिंडी की बेहतर पैदावार के लिए जैविक तत्वों से भरपूर रेतली से चिकनी मिट्टी उपयुक्त है। मिट्टी का पीएच स्तर 6.0 से 6.5 के बीच होना चाहिए। प्रति एकड़ खेत के लिए 3 से 6 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बुवाई से पहले बीज को 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखें। इससे अंकुरण में आसानी होती है। भिंडी की बेहतर पैदावार के लिए आप 'देहात' की कुछ बेहतरीन किस्मों का चयन कर सकते हैं। जिसमें 'देहात डीएचएस 1195',  'देहात डीएचएस 1197' एवं 'देहात डीएस हरिका सुपर' किस्में शामिल हैं। इसके अलावा आप सिंजेंटा- ओएच 102, नामधारी- एनएस 862 भिंडी, शाइन- अदिति सुपर F1 हाइब्रिड, आइरिस- शिवानी F1 भिंडी, आदि किस्मों का भी चयन कर सकते हैं। खेत को तैयार करने के लिए 3-4 बार जुताई करें और खेत में पाटा लगाकर खेत की मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बना लें। खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 100 क्विंटल गोबर की खाद मिलाएं। भिंडी की बुवाई कतारों में करें। सभी कतारों के बीच 18 इंच की दूरी रखें। पौधों से पौधों के बीच करीब 6-8 इंच की दूरी होनी चाहिए। बीज की बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। इसके बाद मिट्टी में मौजूद नमी के आधार पर सिंचाई करें। खरपतवार की समस्या से निजात पाने के लिए आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करें। बुवाई के 20-25 दिनों बाद पहली एवं बुवाई के 40-45 दिनों बाद दूसरी बार निराई-गुड़ाई करें। फलों की तुड़ाई में देर करने से उनमें रेशे बनने लगते हैं। भिंडी की बुवाई के करीब 50 से 60 दिनों बाद फलों की पहली तुड़ाई की जा सकती है। फलों की तुड़ाई सुबह या शाम के समय करें।
  • खीरा: ग्रीष्म ऋतु की फसल के लिए खीरा की बुवाई फरवरी-मार्च के महीने में करें। इसकी खेती रेतीली दोमट मिट्टी से ले कर भारी मिट्टी तक विभिन्न किस्मों की मिट्टी में की जा सकती है। इसकी बेहतर पैदावार के लिए जैविक तत्वों से भरपूर दोमट मिट्टी का चयन करें। मिट्टी का पीएच स्तर 6 से 7 के बीच होना चाहिए। सामान्यतः प्रति एकड़ खेत के लिए करीब 300-350 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। खीरा की बेहतर पैदावार के लिए शाइन- वंडर स्ट्राइक एफ1, आइरिस- दावत F1, वीएनआर- कुमुद एफ1, नामधारी- एनएस 404, ऊर्जा- मास्टर एफ1 हाइब्रिड, सिंजेंटा- काफ्का, सेमिनिस- मालिनी, शाइन- वंडर स्ट्राइक एफ1, आइरिस- इंद्रा F1 हाइब्रिड, वीएनआर- सीयू 2, सेमिनिस- पद्मिनी, किस्मों का चयन कर सकते हैं। खेत को तैयार करने के लिए 3-4 बार जुताई करें। जुताई के बाद खेत में पाटा लगाकर खेत की मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बना लें। खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 100 क्विंटल गोबर की खाद मिलाएं। खेत की अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 90 किलोग्राम यूरिया, 125 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) और 35 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) के साथ 4 किलोग्राम देहात स्टार्टर का प्रयोग करें। गर्मी के मौसम में हर 2 से 3 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। सिंचाई के समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि खेत में जल जमाव की स्थिति उत्पन्न न हो। खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए बुवाई के 20-25 दिनों बाद पहली एवं बुवाई के 40-45 दिनों बाद दूसरी बार निराई-गुड़ाई करें। खीरा की फसल में फल मक्खी, कद्दू का लाल कीट, पत्ती सुरंगी कीट, खीरा मोजेक वायरस रोग, चूर्णिल आसिता रोग जैसे रोग एवं कीटों का प्रकोप अधिक होता है। इन पर नियंत्रण के लिए उचित दवाओं का प्रयोग करें। खीरा की बुवाई के 45 से 60 दिनों के बाद फलों की पहली तुड़ाई की जा सकती है।
  • बैंगन: गर्मी की फसल के लिए जनवरी-फरवरी महीने में बैंगन की बुवाई करें। इसकी बेहतर पैदावार के लिए अच्छी जल निकासी युक्त उपजाऊ रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त है। मिट्टी का पीएच स्तर 5.5 से 6.6 होना चाहिए। प्रति एकड़ खेत के लिए 80-100 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। 'देहात डीएचएस 4119' किस्म की बैंगन की बुवाई कर के आप इसकी बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा आप वीएनआर 212, वीएनआर पूनम, आइरिस विनायक F1 बैंगन, शाइन ब्रांड हाइब्रिड ओपल F1 बैंगन, सर्पन एफ1 हाईब्रिड बैंगन, आदि किस्मों का भी चयन कर सकते हैं। खेत तैयार करते समय सबसे पहले 4 से 5 बार अच्छी तरह जुताई करें। खेत में जल जमाव होने पर फफूंद जनित रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए जल निकासी की उचित व्यवस्था करें। प्रति एकड़ खेत में 55 किलोग्राम यूरिया, 155 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) और 20 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) का प्रयोग करें। अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए आप खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 4 किलोग्राम स्टार्टर का इस्तेमाल कर सकते हैं। गर्मी के मौसम में 2-3 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। बुआई के बाद, पहली निराई-गुड़ाई 20 से 25 दिनों के बाद किया जा सकता है। बैंगन की फसल में फल छेदक कीट, सफेद मक्खी, शीर्ष भेदक कीट, मिलीबग कीट, झुलसा रोग, कॉलर रॉट रोग, जड़ गलन रोग, जैसे कीट एवं रोगों का प्रकोप अधिक होता है। पौधों की रोपाई से करीब 50 से 70 दिनों बाद फलों की तुड़ाई की जाती है।

इन सब्जियों के अलावा गर्मी के मौसम में आप तुरई, करेला, ककड़ी, परवल, टमाटर, ग्वार फली, सेम, आदि फसलों की खेती कर सकते हैं। गर्मी के मौसम में इन सब्जियों की मांग भी अधिक होती है। जिससे इनकी बिक्री से किसानों को अच्छा मुनाफा होता है।

गर्मी के मौसम में आप किन फसलों की खेती करते हैं और इससे आपको कितना मुनाफा होता है? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'बागवानी फसलें' चैनल को फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: गर्मियों में कौन कौन सी सब्जियां उगाई जाती है?

A: गर्मी के मौसम में खीरा, भिंडी, लौकी, सफेद प्याज, हरी मिर्च, कद्दू, करेला, सेम, बैंगन, ककड़ी, तुरई, लौकी, टमाटर, जैसी सब्जियों की खेती कर सकते हैं।

Q: सबसे जल्दी तैयार होने वाली सब्जी कौन सी है?

A: पालक, धनिया, मेथी, मूली, आदि जल्दी तैयार होने वाले सब्जियों में शामिल है। ये सब्जियां 3 से 5 हफ्ते में तैयार हो जाती हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि इनकी खेती मुख्यतः ठंड के मौसम में की जाती है।

Q: गमले में उगाने के लिए कौन सी सब्जियां सबसे अच्छी होती हैं?

A: अगर आपको बागवानी का शौक है तो आप घर में ही आसानी से सब्जियां उगा आंकते हैं। आप किचेन गार्डन में मिर्च, टमाटर, बैंगन, प्याज, गोभी, पालक, धनिया, पुदीना, मेथी, शिमला मिर्च, लौकी, तुरई, कद्दू, जैसी सब्जियों को लगा सकते हैं। ख़ास बात यह है कि इन सब्जियों को आप गमले में भी बहुत आसानी से ऊगा सकते हैं।

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