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स्वीट कॉर्न
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28 Jan
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स्वीट कॉर्न की खेती (Sweet Corn Farming)


स्वीट कॉर्न, जिसे मीठा मक्का भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण और लाभकारी फसल है, जो विशेष रूप से अपने स्वाद और उच्च पोषण मान के लिए प्रसिद्ध है। यह फसल किसानों के लिए एक आकर्षक विकल्प है, क्योंकि इसके उगाने से अच्छा मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है। स्वीट कॉर्न की खेती उन्नत तकनीकों के साथ की जाए तो इसकी उपज में वृद्धि की जा सकती है। इस लेख में स्वीट कॉर्न की उन्नत खेती के सभी पहलुओं जैसे मिट्टी, जलवायु, बुवाई का समय, किस्में, खेत की तैयारी, खाद और उर्वरक प्रबंधन, सिंचाई प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण, कीट और रोग प्रबंधन, और कटाई पर विस्तृत जानकारी देंगे।

कैसे करें स्वीट कॉर्न की खेती? (How To Do Sweet Corn Farming)

  • मिट्टी (Soil): स्वीट कॉर्न की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट या चिकनी मिट्टी सबसे अच्छी होती है। इसके लिए मिट्टी का pH मान 5.5 से 7.0 तक होना चाहिए। इसे रेतीली मिट्टी में भी अच्छे से उगाया जा सकता है, बस जल निकास की व्यवस्था अच्छी हो, क्योंकि पानी का जमाव पौधों के विकास को प्रभावित कर सकता है।
  • जलवायु (Climate): स्वीट कॉर्न की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु अच्छा होता है। यह फसल 18°C से 30°C तक के तापमान में सबसे अच्छे से उगती है। इसे भरपूर धूप और नियमित बारिश की आवश्यकता होती है, जिससे पौधों का विकास सही तरीके से हो सके। इसलिए, यह फसल खासकर मानसून और गर्म मौसम के दौरान लगाई जाती है।
  • बुवाई का समय (Sowing Time): स्वीट कॉर्न की बुवाई दो मौसमों में की जा सकती है: रबी और खरीफ। रबी फसल के लिए बीजों की बुवाई अक्टूबर-नवंबर के दौरान और खरीफ फसल के लिए बुवाई जून-जुलाई के महीने में की जाती है। बुवाई का समय क्षेत्रीय जलवायु के अनुसार थोड़ा अलग हो सकता है।
  • बीज दर (Seed Rate): एक एकड़ स्वीट कॉर्न की खेती करने के लिए लगभग 4 से 5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। यह बीज दर फसल के अच्छे विकास और उपज के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
  • उन्नत किस्में (Varieties): स्वीट कॉर्न की उन्नत किस्मों का चयन खेती में बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रत्येक किस्म की विशेषताएं और उत्पादन क्षमता अलग-अलग होती है। कुछ प्रमुख उन्नत किस्मों में सिंजेंटा शुगर 75 (Sugar 75) शामिल है, जो अपनी उच्च मिठास और गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है और इसका उत्पादन भी अच्छा होता है। नॉन्गवू सीड्स मिठास (Mithas) किस्म के भुट्टे बड़े, लंबे और मुलायम होते हैं। एडवांटा रोसी (Rosy) किस्म स्वाद और कुरकुरे पन के लिए जानी जाती है। हाइवेज मेरिट 4513 (Merit 4513) उच्च उत्पादकता के लिए प्रसिद्ध है, जबकि सेमिनिस एस.वी 6881 (SV 6881) सुंदर और बड़े दानों के लिए जाना जाता है।
  • खेत की तैयारी (Field Preparation): स्वीट कॉर्न की खेती से पहले खेत में पुराने फसलों के अवशेषों को हटा दें। फिर, खेत की गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी में हवा और पानी का अच्छा प्रवाह हो सके। खेत में जल निकासी सुनिश्चित करने के लिए नालों का निर्माण करें। उर्वरक डालने के बाद मिट्टी को अच्छे से मिला लें। इसके बाद, पौधों को उचित दूरी पर रोपने के लिए खेत को समतल करें, ताकि पानी का बहाव सही तरीके से हो और फसल को नुकसान न पहुंचे। पौधों के बीच की दूरी 75-100 सेंटीमीटर और पौधों के अंदर की दूरी 15-30 सेंटीमीटर रखें।
  • खाद और उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management): स्वीट कॉर्न की उन्नत खेती में उर्वरकों का बहुत महत्व है। इसके लिए प्रति एकड़ में 8-10 टन गोबर की खाद डालें, जो भूमि को उपजाऊ बनाने में मदद करता है। नाइट्रोजन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए यूरिया की 85-100 किलोग्राम मात्रा का उपयोग करें, जिसे बुवाई के 25 दिन बाद 1/3rd मात्रा में दिया जाना चाहिए और बाकी की मात्रा बुवाई के 45 दिन बाद दी जानी चाहिए। फास्फोरस (DAP) की 45 किलोग्राम और पोटाश (MOP) की 30 किलोग्राम मात्रा को बुवाई के समय पूरी तरह से डालना चाहिए। सही उर्वरक प्रबंधन से फसल को बेहतर वृद्धि और अधिक उपज मिलती है।
  • सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management): स्वीट कॉर्न की खेती में सिंचाई का सही प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण है। खरीफ मौसम में यदि प्राकृतिक वर्षा पर्याप्त न हो, तो सिंचाई की आवश्यकता अनुसार की जानी चाहिए। रबी मौसम में मीठे मक्का को 4-6 बार सिंचाई की जरूरत होती है, विशेष रूप से नरमंझरी आने और दाने में दूधिया अवस्था के दौरान। सिंचाई के लिए ड्रिप इरीगेशन प्रणाली सबसे उपयुक्त है, क्योंकि इससे पानी की बचत होती है और पौधों को समान रूप से पानी मिलता है। सिंचाई के दौरान खेत में जल निकासी की व्यवस्था का ध्यान रखें, ताकि पानी जमा न हो और फसल को नुकसान न पहुंचे। भारी मिट्टी में 4-5 सिंचाई और हल्की मिट्टी में 7-8 सिंचाई की आवश्यकता होती है।
  • खरपतवार प्रबंधन (Weed Management): स्वीट कॉर्न की फसल में खरपतवारों का नियंत्रण बहुत जरूरी है, क्योंकि ये फसल के पोषक तत्वों का उपयोग करती हैं और फसल की वृद्धि पर असर डालती हैं। खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए खेत की नियमित सफाई और निराई-गुड़ाई करें। इसके अलावा, खरपतवार नाशक दवाओं का उपयोग से खरपतवार आसानी से नष्ट हो जाते हैं और फसल की अच्छी वृद्धि होती है।
  • कीट और रोग नियंत्रण (Pest and Disease Control): स्वीट कॉर्न की फसल में कई प्रकार के कीटों और रोगों का प्रकोप हो सकता है। प्रमुख कीटों में कॉर्न बोरर, माहू, लीफ हॉपर, फॉल आर्मी वर्म, दीमक आदि शामिल हैं। वहीं, प्रमुख रोगों में कॉर्न ब्लाइट, लीफ ब्लाइट, डाउनी मिल्ड्यू, चारकोल रॉट और रस्ट रोग इत्यादि होते हैं। इन कीटों और रोगों से बचाव के लिए उचित कीटनाशकों और फफूंदनाशकों का छिड़काव करना चाहिए।
  • कटाई (Harvesting): स्वीट कॉर्न की कटाई का सही समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। भुट्टे की बाहरी परत हरी और चिपचिपी हो तब कटाई करनी चाहिए। यह आमतौर पर बुवाई के 60-90 दिनों के बाद होती है।
  • उपज (Yield): स्वीट कॉर्न से प्रति एकड़ लगभग 30,000 - 32,000 भुट्टे या 8-10 टन उपज प्राप्त की जा सकती है, जो किस्म और खेत की स्थिति पर निर्भर करती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: Sweet Corn कब बोया जाता है?

A: स्वीट कॉर्न की बुवाई आमतौर पर गर्मी के मौसम में की जाती है, जब तापमान 18-30 डिग्री सेल्सियस के बीच हो। इसका बुवाई का समय फरवरी से अप्रैल तक होता है।

Q: स्वीट कॉर्न की कटाई में कितना समय लगता है?

A: स्वीट कॉर्न की कटाई आमतौर पर बुवाई के 60-90 दिनों के बाद की जाती है, जब भुट्टे की बाहरी परत हरी और चिपचिपी हो।

Q: स्वीट कॉर्न का उत्पादन कितना होता है?

A: स्वीट कॉर्न का उत्पादन प्रति एकड़ औसतन 30,000 - 32,000 भुट्टे या 8-10 टन होता है, जो किस्म और खेत की स्थिति पर निर्भर करता है।

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