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20 Sep
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भिंडी में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण एवं उपाय (Symptoms and management for nutrient deficiency in okra)


भिंडी की फसल में पोषक तत्वों की कमी से पत्तियां पीली पड़ जाती हैं, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और उपज में कमी आती है। भिंडी को नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, जिंक, सल्फर और मैग्नीशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इन समस्याओं से बचने के लिए संतुलित उर्वरक, जैविक खाद और पोषण प्रबंधन का सही समय पर उपयोग करना आवश्यक है, ताकि फसल स्वस्थ और उपजाऊ बनी रहे।

भिंडी के प्रमुख पोषक तत्व कौन से हैं? (What are the major nutrients of okra?)

नाइट्रोजन की कमी:

  • नाइट्रोजन की कमी से भिंडी के पौधों की पत्तियां हल्की हरी या पीली रंग की हो जाती हैं।
  • पौधे की बढ़वार धीमी हो जाती है।
  • निचली पत्तियां सबसे पहले पीली होकर सूखने लगती है। पत्ती का आकार सामान्य पत्ती की तुलना में 55% कम हो गया।
  • पौधे कमजोर दिखाई देने लगते हैं और फल छोटे तथा कम मात्रा में बनते हैं।

नियंत्रण:

  • नाइट्रोजन की कमी को दूर करने के लिए यूरिया को 2-4% के घोल के रूप में पत्तियों पर छिड़कने से नाइट्रोजन की कमी दूर होती है।
  • भिंडी में नाइट्रोजन की कमी को आने से पहले ही दूर करने के लिए बुवाई के समय मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए जैविक खाद (गोबर की खाद या कम्पोस्ट) का उपयोग करना चाहिए।
  • जब भिंडी में फूल खिलने का समय हो तब उसके 2 से 3 सप्ताह बाद नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए। इसके लिए बुवाई के समय 43 किग्रा यूरिया, 43 किग्रा DAP, 33 किग्रा एम.ओ.पी. को बेसल डोज़ में देना चाहिए।  43 किग्रा यूरिया को तीन भागों में बाँट कर दें पहला बुवाई के 30 दिन बाद, दूसरा 45 बाद और आखिरी 60 दिनों के बाद प्रयोग करें।
  • NPK (19:19:19 या 20:20:20) का 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पत्तियों पर स्प्रे करें।

फास्फोरस की कमी:

  • फास्फोरस की कमी से पौधों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं और विकास रुक जाता है।
  • पत्तियों का रंग गहरा हरा या बैंगनी हो सकता है।
  • भिंडी के पौधे बौने हो जाते हैं और पत्तियां गहरे हरे रंग की हो जाती हैं।
  • पौधों की पत्तियां सूखने लगती है और फूल-फलों का आकार छोटा रह जाता है।
  • भिंडी के फल कम बनते हैं और उनकी गुणवत्ता भी कम हो जाती है।

नियंत्रण:

  • फास्फोरस की कमी को दूर करने के लिए सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) या डीएपी का प्रयोग करें।
  • एम.के.पी (मोनो पोटेशियम फॉस्फेट) 00:52:34 का 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर पत्तियों पर छिड़काव करें।
  • एम.ए.पी (मोनो अमोनियम फॉस्फेट) 12:61:00 दवा को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पत्तियों पर छिड़काव करें, इससे फूलों की वृद्धि और फल सेटिंग में सुधार होता है।
  • NPK 13:40:13 का 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से फूल गिरने की समस्या कम होती है और उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ती है।

पोटाश की कमी:

  • पोटाश की कमी से भिंडी के पौधों की पत्तियों के किनारों पर हल्के भूरे या ग्रे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं, और कुछ ही दिनों में यह पूरे पत्ते में फैल जाता है।
  • पत्तियां छोटी हो जाती हैं और उनकी वृद्धि रुक जाती है।
  • पौधे कमजोर होते हैं और फल, फूल बनने की क्षमता कम हो जाती है।
  • फलों का आकार छोटा होता है और उनकी गुणवत्ता प्रभावित होती है।
  • यह लक्षण बहुत तेजी से बढ़ते हैं और 2 दिनों के अंदर पत्तियों में गंभीर रूप से सूखने (नेक्रोसिस) की स्थिति उत्पन्न हो गई।
  • गर्म और धूप वाले दिन पर लक्षण और भी गंभीर हो गए।

नियंत्रण:

  • मिट्टी में पोटाश युक्त उर्वरकों का प्रयोग करें, जैसे कि म्यूरेट ऑफ पोटाश (एम.ओ.पी) और जैविक खादों के साथ पोटाश का संतुलित प्रयोग पौधों को स्वस्थ बनाए रखता है।
  • KNO3 (पोटेशियम नाइट्रेट) - 13:00:45 खाद को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
  • मोनो पोटेशियम फॉस्फेट (MKP) 00:52:34 खाद को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर भिंडी के पौधों पर स्प्रे करें।
  • पोटाश की कमी को दूर करने के लिए SOP (पोटेशियम सल्फेट) 00:00:50 + 17.5% S: 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर पत्तियों पर छिड़काव करें।

सल्फर की कमी:

  • सामान्य पत्तियों की तुलना में सल्फर की कमी वाले पौधों में पत्तियों का आकार और संख्या लगातार 56% और 25% कम हो जाती है।
  • पौधों का विकास धीमा हो जाता है और उनकी उपज भी कम होने लगती है।
  • फूल और फल बनने की प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है।

नियंत्रण:

  • सल्फर युक्त उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए।
  • बेंटोनाइट सल्फर (Bentonite Sulphur) का प्रयोग 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से खेत में डालें।
  • भिंडी के पौधों पर सल्फर 90% WDG का उपयोग 3 से 6 किलोग्राम प्रति एकड़ भिंडी के खेत में छिड़काव करें।

जिंक की कमी:

  • जिंक की कमी से भिंडी के पौधे  की पत्तियों की संख्या कम होने लगती हैं और पत्तियां छोटी होने लगती है। साथ ही पत्तियों में धब्बे पड़ने लगते हैं, और उसका तना पतला होता है।
  • पत्तियों के किनारे जलने जैसे हो जाते हैं और वे समय से पहले गिरने लगती हैं।
  • फलों की गुणवत्ता कम हो जाती है और फसल पकने में देरी होती है।

नियंत्रण:

  • बुवाई से पहले मिट्टी में जिंक युक्त उर्वरकों का प्रयोग करें, जैविक खाद और कम्पोस्ट का उपयोग मिट्टी की जिंक की कमी को दूर करने में सहायक होता है।
  • जिंक की कमी को दूर करने के लिए जिंक सल्फेट मोनोहाइड्रेट (ZnSO4) का उपयोग 5 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से खेत में डालें।
  • Zn 12% - EDTA 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर कपास के खेत में छिड़काव करें।

मैग्नीशियम की कमी

  • इसकी कमी से भिंडी की पत्तियां पीली होने लगती हैं।
  • पत्तियों की नसें हरी रहती हैं लेकिन शेष हिस्सा पीला पड़ जाता है।
  • पौधों की वृद्धि में कमी आती है और फल छोटे और कम मात्रा में बनते हैं।

नियंत्रण:

  • जैविक खाद और कम्पोस्ट का प्रयोग पौधों को आवश्यक मैग्नीशियम प्रदान करता है।
  • मैग्नीशियम की कमी को दूर करने के लिए 25 किलोग्राम मैग्नीशियम सल्फेट प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें और हर 15 दिनों के अंतराल पर मैग्नीशियम सल्फेट का छिड़काव करें ताकि पौधों में मैग्नीशियम की कमी न होने पाए।

बोरॉन की कमी:

  • बोरॉन की कमी से भिंडी के पौधों के तनों की बढ़वार रुक जाती है।
  • पौधों की पत्तियां मोटी हो जाती हैं और उनकी फुनगी मरने लगती है।
  • भिंडी के फल छोटे रह जाते हैं जिससे उनकी गुणवत्ता ख़राब हो जाती है।
  • पत्तियाँ मुड़ जाती हैं और उनका रंग पीला हो जाता है।

नियंत्रण:

  • बोरॉन की कमी को दूर करने के लिए बोरॉन (20%) को 250 ग्राम 150-200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ खेत पर छिड़काव करें।
  • कैल्शियम नाइट्रेट विद बोरॉन (N-14.5%, Ca 17%, Boron 0.3%) का 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर पत्तियों पर छिड़काव करें।

लौह (आयरन) की कमी

  • लौह की कमी से पौधों की नई पत्तियां पीली हो जाती हैं। पत्तियों की नसें हरी रहती हैं लेकिन शेष हिस्सा पीला हो जाता है। धीरे धीरे पूरा पत्ता सफेद होने लगता है।
  • पौधों की वृद्धि रुक जाती है और उपज कम हो जाती है।

नियंत्रण:

  • फेरस सल्फेट (Ferrous Sulphate 0.1%) के घोल का 15 दिन के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करें।
  • FeSo4 (फेरस सल्फेट) खाद को 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से इस्तेमाल करें जिससे पौधों में क्लोरोसिस की समस्या ठीक होती है, पौधे को हरा भरा कारने में मदद करता है।

भिंडी की फसल में पोषक तत्वों का प्रबंधन कैसे करते हैं? अपना अनुभव और जवाब हमें कमेंट करके जरूर बताएं, और  इसी तरह फसलों से संबंधित अन्य रोचक जानकारी के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान मित्रों के साथ साझा करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल {Frequently Asked Questions (FAQs)}

Q: भिंडी में कौन-कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं?
A: भिंडी में विटामिन C, विटामिन A, विटामिन K, फोलेट, मैग्नीशियम, फाइबर, और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह एक स्वस्थ सब्जी है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है और हड्डियों के लिए भी फायदेमंद होती है।

Q: मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी कैसे ठीक करें?
A: मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को जैविक खाद, हरी खाद, वर्मी कम्पोस्ट और फसल चक्रीकरण जैसे उपायों से ठीक किया जा सकता है। साथ ही, एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश) जैसे उर्वरकों का सही समय पर उपयोग करना भी जरूरी होता है। मिट्टी की नियमित जांच करवा कर उसकी पोषकता के अनुसार खाद डालनी चाहिए।

Q: पौधों में पोषक तत्वों की कमी की पहचान कैसे करें?
A: पौधों में पोषक तत्वों की कमी की पहचान उसके पत्तों, तनों, और फूलों में दिखने वाले लक्षणों से की जा सकती है। जैसे, नाइट्रोजन की कमी से पत्ते पीले होने लगते हैं, फास्फोरस की कमी से पौधा छोटा रह जाता है, और पोटाश की कमी से पत्तियों के किनारे भूरे होने लगते हैं।

Q: भिंडी की सबसे गंभीर बीमारी कौन सी है?

A: भिंडी की सबसे गंभीर बीमारी येलो वेन मोज़ेक वायरस (YVMV) है। यह एक वायरल बीमारी है जो सफेद मक्खियों द्वारा फैलती है और भिंडी के पौधे की पत्तियों को प्रभावित करती है। वायरस पत्तियों के पीलेपन और मुड़ने का कारण बनता है, जिससे विकास रुक जाता है जिसके कारण भिंडी की उपज में कमी आती है। यह भिंडी की फसलों में 80% तक उपज का नुकसान कर सकता है। यह रोग बरसात के मौसम में अधिक प्रचलित होता है, जब सफेद मक्खियां अधिक सक्रिय होती हैं।

Q: भिंडी के कीट कौन-कौन से हैं?

A: भिंडी के पौधों को प्रभावित करने वाले कई कीट हैं। जैसे फल और शूट बोरर, एफिड्स, सफेद मक्खियां, जैसिड, मकड़ी और नेमाटोड भिंडी के पौधे को काफी नुकसान पहुंचाते हैं।

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