पौधों में सल्फर की कमी के लक्षण और प्रबंधन | Symptoms and Management of Sulfur Deficiency in Plants

सल्फर यानी गंधक फसलों के लिए एक महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्व है। इसकी कमी होने से पत्तियां पीली होने लगती हैं और पौधों के विकास में बाधा आती है। केवल इतना ही नहीं, कई बार पत्तियां एवं तने हल्के बैंगनी रंग के नजर आने लगते हैं, तने कठोर हो जाते हैं, पौधों में फूल एवं फलियां कम बनती हैं और फसलों को पकने में अधिक समय लगता है। वहीं सल्फर के प्रयोग से फसलों की गुणवत्ता के साथ मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी बढ़ती है। तिलहनी फसलों में सल्फर प्रयोग करने से तेल की मात्रा में वृद्धि होती है। आलू में सल्फर प्रयोग करने से स्टार्च की मात्रा बढ़ती है। इसके प्रयोग से पत्तियों में क्लोरोफिल (हरे पदार्थ) का निर्माण होता है। मिर्च, प्याज और लहसुन की तीव्रता को बढ़ाता है। फसलों एवं सब्जियों में इसकी कमी दूर करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 3-6 किलोग्राम और गन्ने की फसल में प्रति एकड़ 6-9 किलोग्राम की दर से 'न्यूट्रीवन सल्फर 90% WDG' का प्रयोग करें।
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