पोस्ट विवरण
सुने
सागवान
कृषि
बागवानी
कृषि ज्ञान
28 Aug
Follow

सागवान की खेती (teak farming)


सागवान, जिसे टीकवुड या शाक के नाम से भी जाना जाता है, भारत की सबसे मूल्यवान और ऊंची कीमत वाली दृढ़ लकड़ी की फसल है। इसकी लकड़ी हल्की, मजबूत, और आकर्षक होती है, जिसे फर्नीचर, प्लाईवुड, कंस्ट्रक्शन, बड़े खंभे, और जहाज निर्माण जैसे कई क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है। इसके पेड़ की लंबाई 80 से 150 फीट तक हो सकती है, जो इसे अत्यधिक उपयोगी बनाती है। इस लेख में, हम सागवान की खेती के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।

कैसे करें सागवान की खेती? (How to cultivate teak?)

  • मिट्टी (Soil): सागवान की बुवाई करने के लिए उचित जल निकास वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। जिसका pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होता है, जो पौधों के विकास के लिए अनुकूल होता है। लाल, काली, और लेटराइट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। जलभराव से बचने के लिए खेत में अच्छी जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए।
  • जलवायु (Climate): सागवान की खेती के लिए नम और उष्णकटिबंधीय जलवायु आदर्श है। तापमान न्यूनतम 10-15°C और अधिकतम 37-42°C के बीच होना चाहिए। सागवान के पेड़ों को पर्याप्त मात्रा में सूर्य की रोशनी मिलनी चाहिए, क्योंकि यह उनकी वृद्धि के लिए आवश्यक होती है।
  • खेती की तैयारी (Preparation of the Field): खेत में 1 बार गहरी जुताई करें और कंकड़-पत्थर निकाल दें ताकि मिट्टी ढीली और हवादार हो जाए। 2-3 बार हल्की जुताई कर खेत को समतल बनाएं। 50 सेंटीमीटर चौड़े और 50 सेंटीमीटर गहरे गड्ढे बनाएं। गड्ढों को 8-10 फीट की दूरी पर रखें ताकि पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके। गड्ढों में कम्पोस्ट खाद या गोबर की खाद मिलाकर भरें, जिससे पौधों को शुरुआती पोषण मिल सके।
  • बुवाई का समय और विधि (Sowing Time and Method) : सागवान की बुवाई का सबसे अच्छा समय मानसून का होता है, जब मिट्टी में नमी होती है और पौधे आसानी से जड़ पकड़ सकते हैं। बीजों को नर्सरी बेड में बोया जाता है और फिर 12-15 महीने पुराने पौधों का प्रयोग रोपाई के लिए किया जाता है। नर्सरी में बीज बोने से पहले उन्हें फफूंदनाशक घोल में डुबोना चाहिए ताकि फंगल संक्रमण से बचा जा सके। बीजों को बोने से पहले फफूंदनाशक घोल में डुबाना चाहिए, जिससे फंगल संक्रमण से बचा जा सके। बीजों को 1-2 सेंटीमीटर गहराई पर बोया जाता है और उन्हें हल्की मिट्टी से ढका जाता है।
  • पौधों की रोपाई (Transplanting of Saplings): मार्च से अक्टूबर का महीना पौधों की रोपाई के लिए उपयुक्त है। वर्षा ऋतु में रोपाई करना बेहतर होता है, क्योंकि इस समय मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है, जो पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक है। सागवान के पौधों की रोपाई के लिए 2x2 मीटर, 2.5x2.5 मीटर, या 3x3 मीटर की दूरी उपयुक्त होती है। यदि अंतर-फसली प्रणाली अपनाई हो, तो 4x4 मीटर या 5 x 5 मीटर की दूरी पर रोपाई करें, जिससे दोनों फसलों को पर्याप्त जगह और पोषण मिल सके। 45x45x45 सेंटीमीटर के गड्ढों में पूर्व-अंकुरित पौधों की रोपाई करें।
  • सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management): शुरुआती सालों में नियमित सिंचाई आवश्यक है, विशेष रूप से गर्मियों में जब मिट्टी में नमी की कमी हो सकती है। मानसून के दौरान सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि प्राकृतिक वर्षा पर्याप्त होती है। गर्मियों में आवश्यकतानुसार हर 10-15 दिन में सिंचाई करें।
  • खाद एवं उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer and Nutrient Management): सागवान के पौधों को अच्छी वृद्धि के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। रोपण के छह महीने बाद 50 ग्राम यूरिया और 30 ग्राम सुपर फॉस्फेट तथा रोपण के 24 महीने बाद 75 ग्राम यूरिया और 60 ग्राम सुपर फॉस्फेट का प्रयोग करने से वृद्धि दर बढ़ जाती है।
  • खरपतवार नियंत्रण (Weed Control): पहले वर्ष में कम से कम 3 बार, दूसरे वर्ष में 2 बार और तीसरे वर्ष में 1 बार खरपतवार नियंत्रण करें। खरपतवार की नियमित निगरानी करें और समय-समय पर उन्हें निकालते रहें, ताकि पौधों को स्वस्थ रखने में मदद मिल सके। जैविक विधियों जैसे मल्चिंग का उपयोग खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है।
  • कीट और रोग प्रबंधन (Pest and Disease Management): पत्तों की भुंडी और काली सुंडी सागवान के पेड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। तना छेदक कीट भी सागवान की फसल को प्रभावित कर सकते हैं। इन कीटों से बचाव के लिए कीटनाशक का स्प्रे करें। मुख्य बीमारियाँ: गुलाबी बीमारी, जो पौधों की पत्तियों और तनों पर असर डालती है। पत्तों पर सफेद धब्बे और जड़ गलन जैसी बीमारियां सागवान के पौधों को प्रभावित करती हैं। इन बीमारियों से बचाव के लिए कवकनाशी का उपयोग करें और पौधों की नियमित निगरानी करें।
  • कटाई (Harvesting): सागवान के पेड़ जब कटाई की अवस्था में आजाये तब उस पेड़ पर निशान लगाकर और इसकी रिपोर्ट चीफ रीज़नल फोरैस्ट्री ऑफिस में दे देना चाहिए। उनसे अनुमति मिलने के बाद कटाई कर सकते हैं। इसकी खेती सबसे ज्यादा लाभदायक होती है क्योंकि इसकी मांग विदेशों में भी है। सागवान का 14 वर्ष का एक वृक्ष 10 से 15 घन फीट की लकड़ी देता है।

क्या आप सागवान की खेती करना चाहते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions)

Q: सागवान का पेड़ कितने दिन में तैयार हो जाता है?

A: सागवान का पेड़ पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 15 से 20 साल का समय लेता है। हालांकि, इसकी प्रारंभिक कटाई 7-10 साल के बाद की जा सकती है, जब लकड़ी के फर्नीचर या अन्य उपयोगों के लिए काटा जा सकता है।

Q: एक सागवान का पेड़ कितने में बिकता है?

A: एक परिपक्व सागवान का पेड़ आकार, गुणवत्ता, और बाजार की मांग के आधार पर 20,000 से 40,000 रुपये के बीच बिक सकता है। लकड़ी की गुणवत्ता और लकड़ी का आकार भी इसकी कीमत निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Q: सागवान की खेती कैसे की जाती है?

A: सागवान की खेती के लिए उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। पौधों की रोपाई मानसून के मौसम में की जाती है, जब मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है। खेती की तैयारी के लिए खेत की गहरी जुताई, उचित दूरी पर गड्ढों की खुदाई, और जैविक खाद का प्रयोग किया जाता है। शुरुआती वर्षों में नियमित सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण आवश्यक होते हैं। पेड़ों की वृद्धि के लिए समय-समय पर कटाई-छटाई की जाती है, जिससे पेड़ मजबूत और स्वस्थ बनते हैं।

46 Likes
Like
Comment
Share
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ