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21 Apr
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फसलों में दीमक प्रबंधन (Termite Management in Crops)

दीमक एक पोलीफेगस कीट है जो लगभग सभी प्रकार की फसलों को नष्ट कर देता है। यह कीट मिट्टी के अंदर अंकुरित पौधों को खा लेता है और जमीन में सुरंग बनाकर पौधों की जड़ों को नष्ट कर देता है। अगर दीमक का प्रकोप ज्यादा होता है, तो यह पौधे के तने को खाता है और सफ़ेद या भूरे रंग का होता है, हमेशा चींटियों की तरह झुंड बनाकर फसलों पर आक्रमण करते हैं। दीमक कीट सबसे ज्यादा नुकसान सरसों, चना, गेहूँ को पहुंचाता है इसके अलावा फल वर्गीय फसलों में ये कीट ज्यादातर: आम, नींबू, अमरूद, चीकू और अनार पर लगते हैं।

फसलों में दीमक कीट के लक्षण एवं नियंत्रण? (Symptoms and control of termite pests in crops?)

फसलों पर दीमक कीट के संक्रमण के कुछ सामान्य लक्षण हैं:

  • दीमक कीट पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचाता है, जिसके कारण पौधें मुरझा जातें हैं और फिर धीरे-धीरे पौधा मर जाता है।
  • मिट्टी की सतह पर खेतों में मिटटी की नालियाँ बनी होती हैं जिसके माध्यम से दीमक भोजन एकत्रित करने के लिए फसलों पर इनका निर्माण करते हैं। मिट्टी में या पौधों के आसपास सफेद रंग की दीमकें दिखाई देने लगते हैं और पौधों के अंदर दीमक की सुरंगें बनी होती हैं
  • दीमक पौधों को काफी नुकसान पहुँचाते हैं, इनका आक्रमण पौधों के तनों और पत्तियों में दिखता है उनमें छेद कर देते हैं, जिससे पौधे की संरचना ख़राब होती है। और पौधा पीला पड़ कर मुरझा जाता है जिसके कारण उसका विकास रुक हटा है और कमजोर हो कर पौधा मर जाता है।
  • पत्तियों का पीलापन: जैसे ही दीमक पौधे पर फ़ीड करते हैं, यह पत्तियों के मलिनकिरण या पीलेपन का कारण बन सकता है।
  • फसल की पैदावार में काफी कमी देखने को मिलती है जब दीमक कीट का संक्रमण ज्यादा हो जाता है तभी फसल की उपज को काफी कम कर सकता है, जिससे किसानों को वित्तीय नुकसान होता है।
  • पक्षियों द्वारा कीटों को खाने की गतिविधि में वृद्धि दिखती है। सभी फसलें दीमक के प्रति समान रूप से संवेदनशील नहीं होती हैं। कुछ फसलें, जैसे गेहूँ, चावल, मक्का और गन्ना, दीमक के हमलों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं।

दीमक कीट से नियंत्रण के तरीके:-

  • गहरी जुताई: फसल खत्म होनें के बाद गर्मी में खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए और कुछ समय के लिए खेत को सीधे धुप लगने के लिए छोड़ देना चाहिए ताकि मिट्टी में उपस्थित इस कीट का प्यूपा मिट्टी से बाहर न सके और नष्ट हो जाये।
  • खाद प्रबंधन: खेत की मिटटी का परीक्षण करवाना चाहिए और उर्वरक/खाद का उपयोग मिटटी तथा फसलों की जरूरत के अनुसार ही करना चाहिए।
  • नष्ट करना: दीमक कीट की सूड़ियों का प्रकोप दिखने पर इन्हें तुरंत ही खेतों से हटा कर नष्ट कर देना चाहिए।
  • समय पर बुआई: फसलों की बुआई को समय पर करना महत्वपूर्ण है। समय पर बुआई करने से फसल का विकास अच्छे से होता है और कीटों का प्रकोप कम होता है।
  • फसल की साफ-सफाई: फसल के आसपास साफ-सफाई बनाए रखें यह भी दीमक कीटों के प्रकोप को कम कर सकता है।
  • फसल चक्र अपनाएं: अगर फसल में दीमक कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है तो किसानों को फसल चक्र अपनाना चाहिए। इससे कई लाभ हैं यह न सिर्फ कीटों की आबादी को कम करता हैं बल्कि ऐसा करने से मिट्टी के कटाव कम होता हिअ जिससे मिट्टी की संरचना में सुधार होता है, इसके साथ ही मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि होती है।  जैव विविधता को बढ़ावा देने और खरपतवार को भी कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा फसल चक्र मिटटी में नाइट्रोजन को बढ़ाता है।
  • समय पर नियंत्रण: अगर दीमक कीटों के प्रकोप का पता चलता है, तो उन्हें समय पर नियंत्रित करना आवश्यक है। इसके लिए कीटनाशकों का या फिर प्राकृतिक उपायों का उपयोग किया जा सकता है।
  • प्राकृतिक शत्रु का उपयोग: प्राकृतिक शत्रुओं को उत्पन्न करने के लिए प्राकृतिक शत्रु प्रबंधन प्रणालियों का उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि दीमक कीट को खानें वाले पक्षियों को आकर्षित करने के लिए पक्षी घर बनाना।
  • उपयुक्त रोगप्रतिरोधी संयंत्र का चयन: कुछ प्रजातियों के विकसित रोगप्रतिरोधी संयंत्रों का चयन करने से कीटों के प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • कीटनाशकों का उपयोग: अगर प्राकृतिक उपायों से समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है, तो कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए।
  • इन उपायों का सम्मिलित उपयोग करके, सरसों में मक्खी कीट को नियंत्रित किया जा सकता है। फिर भी, स्थानीय कृषि विशेषज्ञों या किसानों से भी सलाह लेना उपयुक्त हो सकता है, क्योंकि वे स्थानीय माहौल और समस्याओं के बारे में अधिक जानकारी रखते हैं।
  • कीटनाशक का चयन: किसी भी कीटनाशक का चुनाव करने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह लें। और अपनी फसल में कीट की अवस्थानुसार ही दवा का छिड़काव करें।
  • संरक्षण और सावधानी: कीटनाशक का उपयोग करते समय, संरक्षण के लिए सावधानी बरतें। अपने हाथों में ग्लव्स एवं आंखों में चश्मा पहन कर शरीर को सुरक्षित रखें।
  • कीटनाशकों की संरचना का अध्ययन: कीटनाशकों के प्रयोग करनें से पहले दिए गए संगठन का अध्यन करें और  निर्देसानुसार ही दवा का उपयोग करें।

क्या आपको भी फसलों में दीमक कीट की समस्या आती हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: दीमक नियंत्रण के लिए क्या प्रयोग किया जाता है?

A: दीमकनाशकों के रूप में उपयोग के लिए : फिप्रोनिल, इमिडाक्लोप्रिड, क्लोरेंट्रानिलिप्रोल, पर्मेथ्रिन, साइपरमेथ्रिन और बिफेन्थ्रिन ।

Q: क्या दीमक पौधों को खाती है?

A: दीमक पत्तियाँ या फूल नहीं खाते हैं, लेकिन कभी-कभी वे आक्रमण करके फल खाते हुए पाए जाते हैं । वे जीवित पेड़ों पर भी हमला करते हैं। अधिकांश हानिकारक दीमक पेड़ के आधार के आसपास की मिट्टी में घोंसला बनाते हैं।

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