पोस्ट विवरण
सुने
कृषि
तम्बाकू
कृषि ज्ञान
27 Sep
Follow

तम्बाकू की खेती (Tobacco farming)


तंबाकू एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है, जो मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और बिहार में उगाई जाती है। इसका उत्पादन खरीफ और रबी, दोनों मौसमों में किया जाता है। अच्छी फसल के लिए नर्सरी की उचित तैयारी और सही समय पर खाद-उर्वरक का प्रबंधन आवश्यक है। दक्षिण और उत्तर भारत में जलवायु, मिट्टी और खेती के तरीकों में अंतर होता है, जिसे ध्यान में रखकर किसान बेहतरीन उपज प्राप्त कर सकते हैं।

कैसे करें तम्बाकू की उन्नत खेती? (How to cultivate tobacco?)

दक्षिण भारत में तंबाकू की खेती:

  • जलवायु : आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में तंबाकू की खेती के लिए जलवायु विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। आंध्र प्रदेश में, दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान वर्षा 800-1000 मिमी होती है, जिससे यहाँ की जलवायु गर्म और आर्द्र बनती है। दूसरी ओर, कर्नाटक की जलवायु उष्णकटिबंधीय है, जिसमें औसत वार्षिक वर्षा 650-1000 मिमी होती है। दोनों राज्यों की जलवायु तंबाकू की फसल के लिए अनुकूल परिस्थितियां प्रदान करती है।
  • मिट्टी : आंध्र प्रदेश में तंबाकू की खेती के लिए काली, हल्की रेतीली और लाल मिट्टी का उपयोग किया जाता है, जो जड़ों को गहराई तक फैलाने में मदद करती है। वहीं, कर्नाटक में हल्की मिट्टी का चयन किया जाता है, जिसमें अच्छी जल धारण क्षमता होती है, जो फसल को आवश्यक नमी प्रदान करती है। इस तरह, दोनों राज्यों की मिट्टी की विशेषताएं तंबाकू की उत्पादकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण होती हैं। मिट्टी का पी.एच. मान बर्ली तम्बाकू के लिए 5.5  से 6.5, चबाने वाले तंबाकू के लिए 7.0 से 8.5 पीएच मान उचित होता है।
  • बुवाई का समय : आंध्र प्रदेश में तंबाकू की बुवाई अक्टूबर-नवंबर से लेकर फरवरी-मार्च तक, रबी मौसम में की जाती है, जबकि कर्नाटक में यह प्रक्रिया फरवरी से अप्रैल तक शुष्क गर्मी के दौरान होती है। दोनों राज्यों में बुवाई का समय फसल की वृद्धि और उत्पादन के लिए अनुकूल परिस्थितियां सुनिश्चित करता है।

उत्तर भारत में तंबाकू की खेती

  • जलवायु: बिहार की जलवायु चबाने वाले और हुक्का तंबाकू के लिए उपयुक्त है, जिसमें गर्म और आर्द्र मौसम होता है। उत्तर बंगाल की जलवायु पूरे साल नम और आर्द्र होती है, जिसमें औसत वार्षिक वर्षा 3000 मि.मी से अधिक होती है।
  • मिट्टी: बिहार में मिट्टी सामान्यतः उपजाऊ होती है, जो तंबाकू की खेती के लिए अनुकूल होती है। वहीं, उत्तर बंगाल में मिट्टी मोटी और उर्वरक से भरपूर होती है, जो फसल के विकास में सहायता करती है। चबाने वाले और हुक्का तंबाकू के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.1 से 8.5 के बीच का अच्छा होता है।
  • बुवाई का समय: बिहार में तंबाकू की बुवाई अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में की जाती है, जबकि उत्तर बंगाल में फसल की बुवाई दिसंबर-जनवरी में होती है।

तंबाकू में नर्सरी प्रबंधन

  • मिट्टी का चयन: नर्सरी के लिए रेतीली या दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। काली मिट्टी में जल निकासी की समस्या होने के कारण रोगों का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा अगर आपके खेत की मिट्टी भारी है तो उसमें जल निकास सुधारने के लिए 40 से 80 टन प्रति एकड़ खेत में रेत मिलाएं।
  • स्थान का चयन: नर्सरी के लिए ऊंचे स्थान का चयन करें ताकि पानी का निकास आसानी से हो सके। हर साल नर्सरी का स्थान बदलते रहते हैं जिससे रोगों के प्रकोप को कम होता है।
  • क्यारियों की चौड़ाई: क्यारियों की चौड़ाई 1.0-1.22 मीटर होनी चाहिए ताकि निराई-गुड़ाई अच्छे से की जा सके इसके अलावा सिंचाई करने में भी सहायता मिलती है।
  • नर्सरी में खाद का प्रयोग: नर्सरी में पौधों की स्वस्थ वृद्धि और बेहतर विकास के लिए 10 वर्ग मीटर के बेड में 50 ग्राम अमोनियम सल्फेट, 50 ग्राम पोटेशियम सल्फेट, 300 ग्राम सुपर फॉस्फेट और 100 ग्राम डोलोमाइट मिलाना चाहिए। यह मिश्रण मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है और पौधों को मजबूत बनाता है। बीज अंकुरण के बाद, पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए 4 दिन के अंतराल पर 25 ग्राम अमोनियम सल्फेट की दो बार टॉप ड्रेसिंग करें।
  • बीज दर: एक एकड़ खेत में तम्बाकू लगाने के लिए 1.5 से 2 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। बीज की मात्रा मिट्टी, किस्म और खेती करने के तरीके पर निर्भर कर सकती है। सही बीज दर का पालन करने से फसल की वृद्धि और उपज में सुधार होता है।
  • रोपाई का समय: तम्बाकू की खेती में पौधों की रोपाई के लिए 6 से 8 हफ्ते पुराने स्वस्थ पौधों का चयन करना चाहिए। पौधों की रोपाई करते समय उनके बीच उचित दूरी का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है ताकि उन्हें पर्याप्त स्थान मिल सके और उनका विकास सही ढंग से हो सके। चबाने वाले तंबाकू (च्यूइंग) और हुक्का वाले तम्बाकू की किस्मों के लिए 90x45 सेंटीमीटर की दूरी रखना चाहिए, जबकि नटु (Natu) किस्म के तम्बाकू के पौधों के लिए 60x60 सेंटीमीटर की दूरी उपयुक्त होती है। रोपाई का सही समय रबी फसल के लिए दिसंबर से जनवरी और खरीफ फसल के लिए जुलाई से अगस्त के बीच होता है।

खेत की तैयारी: तम्बाकू की बुवाई के लिए खेत की तैयारी सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, सबसे पहले, खेत की मिट्टी को अच्छी तरह से गहरी जुताई करके भुरभुरी बनाना चाहिए उसके बाद खेत को समतल करने के लिए हल्की जुताई करें। इससे जल निकासी बेहतर हो सके और पौधों को समान मात्रा में जल मिल सके। इसके अलावा पुरानी फसल के अवशेषों को पूरी तरह से नष्ट करना जरूरी है, क्योंकि ये खरपतवारों, रोगों और कीटों के प्रकोप का कारण बन सकते हैं।

टॉपिंग और डी-सकरिंग: टॉपिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पौधों के शीर्ष कलिका (टर्मिनल बड) को फूल निकलने से ठीक पहले या फूल निकलने के बाद हटा दिया जाता है, जिसमें कभी-कभी शीर्ष की कुछ पत्तियां भी शामिल होती हैं। टॉपिंग के बाद, पौधे की सहायक कली (ऑक्सिलरी बड) सक्रिय हो जाती है और नए शाखाओं के रूप में बढ़ने लगती है, जिन्हें 'सकर' कहा जाता है। इन सकर को हटाने की प्रक्रिया को ही डी-सकरिंग या सकरिंग कहा जाता है। टॉपिंग और डीसकरिंग का मुख्य उद्देश्य पौधे की ऊर्जा और पोषक तत्वों को फूलों से हटाकर पत्तियों की ओर मोड़ना होता है, ताकि पत्तियों का आकार बड़ा हो और उनकी गुणवत्ता बेहतर हो सके। इससे पत्तों का अंतिम उत्पादन भी बढ़ता है, जिससे पौधों की कुल पैदावार में सुधार होता है। ये प्रक्रिया पौधे के विकास को नियंत्रित करती हैं और फसल की गुणवत्ता और मात्रा को बढ़ाने में मदद करती हैं।

खाद एवं उर्वरक प्रबंधन: तम्बाकू की खेती में खाद और उर्वरकों का सही मात्रा में प्रयोग पौधों के विकास और उत्पादकता के लिए अत्यंत आवश्यक है। उत्तर भारत में प्रति एकड़ 217 किलोग्राम यूरिया, 52 किलोग्राम डीएपी, और 40 किलोग्राम एम.ओ.पी. का उपयोग किया जाता है, जो नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की संतुलित मात्रा प्रदान करता है। इसके विपरीत, दक्षिण भारत में प्रति एकड़ 108 किलोग्राम यूरिया, 42 किलोग्राम डीएपी, और 33 किलोग्राम एम.ओ.पी. का प्रयोग होता है, जो स्थानीय जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताओं के अनुसार निर्धारित किया जाता है। इस प्रकार के उर्वरक प्रबंधन से तम्बाकू की फसल की गुणवत्ता और पैदावार में सुधार होता है।

सिंचाई प्रबंधन : सिंचाई तम्बाकू की खेती के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सिंचाई की मात्रा और आवृत्ति मिट्टी के प्रकार, जलवायु और विकास के चरण पर निर्भर करती है। आमतौर पर ड्रिप, स्प्रिंकलर और बाढ़ सिंचाई का उपयोग किया जाता है, जिसमें ड्रिप सिंचाई सबसे प्रभावी मानी जाती है।

रोग एवं कीट प्रबंधन: तम्बाकू की खेती में विभिन्न रोग और कीटों का प्रबंधन आवश्यक है। प्रमुख रोगों में आर्द्रगलन रोग (डैम्पिंग ऑफ) और तम्बाकू विषाणु रोग शामिल हैं इसके नियंत्रण के लिए समय पर फफूंद नाशक का इस्तेमाल करें। कीटों में एफिड (लाही) और पत्ती छेदक जैसे कीट भी पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं। नियमित फसल की निगरानी और कीटनाशकों का उचित उपयोग करना आवश्यक है।

कटाई: तम्बाकू की पत्तियों की कटाई तब की जाती है जब पत्तियां पूरी तरह से विकसित हो जाती हैं और उनमें आवश्यक निकोटिन की मात्रा होती है। आमतौर पर, यह प्रक्रिया 90 से 120 दिन बाद की जाती है, और यह समय मुख्यतः फसल की किस्म और खेती की अवधि पर निर्भर करता है।

उपज: तम्बाकू की उपज मिट्टी की गुणवत्ता, जलवायु, फसल प्रबंधन और किस्म पर निर्भर करता है। औसतन, प्रति एकड़ तम्बाकू की फसल का उत्पादन 4-6 क्विंटल तक हो सकता है, जिसे उचित प्रबंधन से बढ़ाया जा सकता है।

क्या आप तम्बाकू की खेती करना चाहते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: तंबाकू की खेती सबसे अधिक कहाँ होती है?

A: तंबाकू की खेती भारत में मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और बिहार में की जाती है। देश के लगभग 85% तंबाकू का उत्पादन इन राज्यों से होता है।

Q: तंबाकू कब बोया जाता है?

A: तंबाकू की बुवाई रबी और खरीफ दोनों मौसम में की जा सकती है। रबी के लिए अक्टूबर से नवंबर और खरीफ के लिए जून से जुलाई का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।

Q: तंबाकू के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी होती है?

A: तंबाकू की खेती के लिए दोमट और रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, जिसका पीएच मान 5.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए। जल निकासी की अच्छी व्यवस्था वाली मिट्टी तंबाकू के पौधों के लिए आदर्श होती है।

Q: तंबाकू की उपज कितनी होती है?

A: तंबाकू की उपज मिट्टी की गुणवत्ता, जलवायु और फसल प्रबंधन पर निर्भर करती है। औसतन, प्रति एकड़ 4-6 क्विंटल तंबाकू का उत्पादन होता है।

Q: तंबाकू की कटाई का सही समय कब होता है?

A: तंबाकू की पत्तियों की कटाई तब की जाती है जब पत्तियां पूरी तरह से विकसित हो जाती हैं और उनमें आवश्यक निकोटिन की मात्रा होती है। यह समय आमतौर पर 90-120 दिन बाद आता है, जो फसल की किस्म और खेती की अवधि पर निर्भर करता है।

37 Likes
Like
Comment
Share
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ