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10 Apr
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टमाटर की खेती: उन्नत किस्म, रोग एवं कीट प्रबंधन | Tomato cultivation: Improved Varieties, Disease and Pest Management.


टमाटर की खेती मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार और पश्चिम बंगाल राज्यों में मुख्य रूप से की जाती जाती है। इन राज्यों के किसान कम समय में टमाटर का ज्यादा उत्पादन निकालकर प्रति एकड़ अनुसार ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं।

कैसे करें टमाटर की उन्नत खेती? | How to do advanced tomato cultivation? | tamatar ki kheti kaise karen?

जलवायु: टमाटर की फसल पाला सहन नहीं कर सकती है। इसकी खेती हेतु आदर्श तापमान 18 से 27 डिग्री से.ग्रे. है। 21-24 डिग्री से.ग्रे तापक्रम पर टमाटर मे लाल रंग सबसे अच्छा विकसित होता है। इन्ही सब कारणो से सर्दियों में फल मीठे और गहरे लाल रंग के होते है। तापमान 38 डिग्री से.ग्रे. से अधिक होने पर अपरिपक्व फल एवं फूल गिर जाते है।

भूमि: जैविक पदार्थों से भरपूर काली दोमट मिट्टी, रेतीली दोमट मिट्टी और लाल दोमट मिट्टी टमाटर की खेती के लिए सबसे उत्तम मानी गयी हैं और इन मिट्टी का पीएच 7-8.5 होना चाहिए जिससे आप अच्छा उत्पादन ले सकते हैं।

टमाटर की बुवाई का समय :

  1. खरीफ– जून - जुलाई के बीच करना चाहियें।
  2. रबी– नवंबर - दिसंबर के बीच करना चाहियें।
  3. जायद या गर्मी– फ़रवरी - अप्रैल के बीच करना चाहियें।

टमाटर की किस्में:

  1. देशी किस्म - पूसा रूबी, पूसा - 120, पूसा शीतल, पूसा गौरव , अर्का सौरभ , अर्का विकास, सोनाली
  2. संकर किस्म - पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड -2, पूसा हाइब्रिड -4, अविनाश-2, रश्मि तथा निजी क्षेत्र से शक्तिमान, रेड गोल्ड, 501, 2535 उत्सव, अविनाश, चमत्कार, यू.एस. 440 आदि।

बीज की मात्रा: टमाटर की खेती के लिए प्रति एकड़ अनुसार टमाटर की बीज दर 60 ग्राम/एकड़ होती हैं।

बीज उपचार- बुवाई से पहले कीटनाशक/फफूंदनाशक से बीजोपचार करें ताकि अंकुरण के पहले फफून्द जनित बीमारी या मृदा जनित कीटों को रोका जा सके।

नर्सरी कैसे तैयार करें ?

1 एकड़ टमाटर की फसल तैयार करने के लिए, नर्सरी में: लंबाई 3 से 6 मीटर, चौड़ाई 0.6 से 0.7 मीटर और ऊंचाई 0.1 से 0.15 मीटर। इसके बाद उन क्यारियों में गोबर और खाद को अच्छी तरह मिला दें। इसके अलावा, मिट्टी को उचित मात्रा में कार्बोफ्यूरान से उपचारित करें। ऐसा करने से पौधों को रोगग्रस्त होने से बचाया जा सकता है। बीजों को उपचारित मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें और उसके बाद तैयार क्यारियों में सही समय पर सिंचाई कर दें। 19:19:19 जल में घुलनशील खाद 5ग्राम/लीटर पानी में मिला कर नर्सरी में छिड़काव करें। लगभग 25 से 30 दिनों में टमाटर के पौधे रोपण के लिए तैयार हो जाते हैं। पौधों को खेत में लगाने से पहले मिट्टी में पर्याप्त नमी रखें ताकि पौधें खराब होने की संभावना कम हो जाए। पौधों को खेत में रोपने से पहले उन्हें कार्बेन्डाजिम या ट्राइकोडर्मा के घोल से 20 से 25 मिनट तक उपचारित करना चाहिए ।

टमाटर की फसल में उर्वरक/खाद का प्रबंधन: टमाटर को अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, इसके लिए खेती से दो से तीन सप्ताह पहले खेत में प्रति एकड़ 10 से 15 गाड़ी गोबर की खाद डालकर अच्छी तरह मिट्टी में मिला दें। टमाटर की वृद्धि के लिए गोबर की खाद के अलावा रासायनिक उर्वरक भी आवश्यक हैं। खेत की आखिरी जुताई के बाद स्टार्टर 4 किलोग्राम, 31किलो यूरिया, 53 किलो डीएपी, 34 किलो एमओपी प्रति एकड़ छिड़काव करें। पांच सप्ताह बाद पौधों की सिंचाई के समय 25 किलोग्राम यूरिया डालें। एक माह बाद खेत में 10 किलोग्राम नाइट्रोजन डालकर दोबारा सिंचाई करें।

सिंचाई: खेत में पौधे लगाने के साथ ही सिंचाई करें। जब तक पौधे अंकुरित न हो जाये तब तक खेत में नमी बनी रहनी चाहिए | यदि फसल गर्मी के मौसम की है, तो उसे हफ्ते में 3 से 4 दिन के बीच पानी दें और अगर फसल सर्दियों के मौसम की है तो हफ्ते में एक बार पानी देना चाहिए| फूल आने की अवस्था में पानी की मात्रा को सामान्य रखे ताकि फूल ख़राब न हो और जब फल बनने लगे तब पानी की मात्रा को बढ़ा दें।

खरपतवार नियंत्रण-

  1. आवश्यकतानुसार फसलो की निराई-गुड़ाई करें। फूल और फल बनने की अवस्था मे निंदाई-गुडाई नही करनी चाहिए।
  2. रासायनिक दवा का उपयोग कृषि विशेसज्ञ की सलाह ले कर ही करें|

प्रमुख कीट एवं रोग-

प्रमुख कीट - टमाटर की फसल में कीटों की समस्या ज्यादातर रहती ही है लेकिन मुख्य रूप से हरा तैला, सफेद मक्खी, फल छेदक कीट एंव तम्बाकू की इल्ली का आक्रमण सबसे ज्यादा होता है।

प्रमुख रोग - टमाटर में फफूंद जनित और बैक्ट्रीरिया दोनों द्वारा उत्पन्न रोग होते हैं उसमें आर्द्र गलन या डैम्पिंग आफ, झुलसा या ब्लाइट, फल सड़न प्रमुख हैं।

एकीकृत कीट एवं रोग नियंत्रण

  1. गर्मीयो मे खेत की गहरी जुताई करे।
  2. पौधशाला की क्यारियाँ मिटटी से ऊची रखें एवं स्टेरीलाइज़ेशन कर लें।
  3. क्यारियों को मार्च अप्रेल में मल्चिंग शीट से ढके।
  4. गोबर की खाद में ट्राइकोडर्मा मिलाकर क्यारी मे मिट्टी मे अच्छी तरह से मिला देना चाहिए।
  5. पौध रोपण के समय पौध की जडो को फफूंदनाशक के घोल मे 10 मिनट तक डुबो कर रखे।
  6. पौध रोपण के 15-20 दिन के अंतराल पर चेपा, सफेद मक्खी एवं थ्रिप्स,  फल भेदक इल्ली एवं तम्बाकू की इल्ली, मकड़ी के लिए 2 से 3 छिडकाव कीटनाशक का करें।

फलों की तुड़ाई: जब फलों का रंग हल्का लाल होना शुरू हो उस अवस्था मे फलों की तुडाई करें तथा फलो की ग्रेडिंग कर कीट व रोग ग्रस्त फलो, और छोटे आकार के फलो को छाटकर अलग करें। ग्रेडिंग किये फलों को कैरेट में भरकर अपने निकटतम सब्जी मण्डी या जिस मण्डी मे अच्छा टमाटर का भाव हो वहा ले जाकर बेचें।

आप टमाटर की खेती कब करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: टमाटर का पौधा कितने दिन में फल देता है?

A: टमाटर की रोपाई के 50 से 55 दिन बाद टमाटर फल देना शुरू कर देता हैं।

Q: टमाटर के पौधे क्यों मर जाते हैं?

A: टमाटर की पौधों में विल्ट रोग या पोषक तत्वों की कमी के कारण पौधें मर जाते हैं जिससे उत्पादन कम होता हैं।

Q: टमाटर सड़ने का कारण क्या है?

A: ब्लॉसम और रॉट (tomato fruit rot disease) टमाटर में होने वाला एक फल सड़न रोग है, जो सही से पानी न मिलने या कैल्शियम की कमी के कारण होता है।

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