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27 Apr
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तरबूज: फलों के विकास के लिए महत्वपूर्ण कृषि कार्य (Watermelon: Important agricultural work for the development of fruits)


तरबूज सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी भरपूर फायदे वाला फल है है। तरबूज पानी, विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। इसमें 92% पानी होता है, जो गर्मियों में शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है। इसके अलावा, इसमें विटामिन A, C, B6, पोटेशियम, मैग्नीशियम और लाइकोपीन जैसे पोषक तत्व भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। तरबूज का सेवन करने से पाचन क्रिया, हृदय रोग, कैंसर, त्वचा और आँखों से सम्बंधित रोगों से निजात दिलाने में मदद करता हैं।

तरबूज में फलों के अच्छे विकास के लिए क्या करें? (What to do for good fruit growth in watermelon?)

  • पौधों के अच्छे विकास के लिए 15 लीटर पानी में 25 ग्राम 19:19:19 मिला कर प्रयोग करें।
  • फूल एवं फलों के अच्छे विकास के लिए 15 लीटर पानी में 25 ग्राम 13:00:45 मिला कर छिड़काव करें।
  • पौधों में फलों एवं फूलों की संख्या बढ़ने के लिए 15 लीटर पानी में 2 मिलीलीटर देहात फ्रूट प्लस का छिड़काव करें।
  • फसलों के उचित विकास के लिए उचित मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। पौधों में पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए 30 लीटर पानी में 10 ग्राम एजीवाइटल मिला कर छिड़काव करें।
  • इसके अलावा आप तरबूज की लताओं में देहात नैनो रेड का भी प्रयोग कर सकते हैं।

तरबूज की खेती में ध्यान रखने योग्य बातें (Things to keep in mind in watermelon cultivation)

खेत की तैयारी: तरबूज लगाने से पहले खेतों की गहरी जुताई करें और मिटटी को भुरभुरा बनाने के बाद खेत में पाटा चला कर खेत को समतल कर लें। ध्यान रखें खेत में कीट और खरपतवार न हो और अगर दिखाई देते हैं तो खेत को जुताई के बाद कुछ दिन सीधे धूप लगने दें।  इससे कीट और खरपतवार से सुरक्षा मिलेगी।

बीज एवं किस्मों का चयन: रोपण के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों और उन्नत किस्मों का ही चुनाव करें।  तरबूज की उन्नत किस्मों में - DHS -8015, DHS - 8085, शुगर बेबी, अर्का मानिक एवं अर्का ज्योति ये मुख्य हैं इसके अतिरिक्त काफी किस्मों हैं जो क्षेत्रों और समय के अनुसार वर्गीकृत की गयी हैं।  सही किस्मों का चुनाव फलों के उत्पादन के लिए सबसे प्रमुख है।

बुवाई का तरीका : अगर आप नदी किनारे वाले क्षेत्र  से हैं तो यहाँ तरबूज की बुवाई के लिए सबसे पहले 1.15 मीटर की दूरी पर एक गड्ढा तैयार करें, इन गड्ढों की चौड़ाई 60 सेंटीमीटर एवं गहराई 60 सेंटीमीटर ही रखें। उसके बाद गड्ढों में मिट्टी, बालू और गोबर की खाद को बराबर मात्रा में मिला डालें। प्रति गड्ढे में 3-4 बीजों की बुवाई करें। और अगर आप पहाड़ी क्षेत्र से हैं तो यहाँ तरबूज की बुवाई के लिए ऊंची उठी हुई क्यारियाँ बनायें उसकी ऊंचाई 2.50 मीटर होनी चाहिए।  इनके दोनों तरफ ही बीजों की बुवाई कर सकते हैं।  बीजों को 3 से 4 सेंटीमीटर की गहराई में ही बोएं। मैदानी क्षेत्रों में बुवाई के लिए मेड़ें तैयार करते हैं अगर उथला गड्ढा विधि से बुवाई करते हैं तो 1.5 से 2.5 मीटर की दूरी पर 60 सेंटीमीटर चौड़े एवं 45 सेंटीमीटर गहरा गड्ढा तैयार करें। फिर गड्ढों को 7 से 8 दिन के लिए खुला छोड़ दें। उसके बाद इन गड्ढो में मिट्टी, बालू एवं गोबर की खाद को बराबर मात्रा में भरें। अब बीजों को 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई पर बुवाई करें।

सिंचाई: उचित फल विकास के लिए तरबूज को नियमित और पर्याप्त सिंचाई की आवश्यकता होती है। फसल को अपने विकास चक्र के दौरान पानी की लगातार आपूर्ति की आवश्यकता होती है, खासकर फलने के चरण के दौरान।

निषेचन: तरबूज फल के विकास के लिए उचित निषेचन आवश्यक है। उच्च गुणवत्ता वाले फल पैदा करने के लिए फसल को नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम सहित पोषक तत्वों की संतुलित आपूर्ति की आवश्यकता होती है।

कीट और रोग प्रबंधन: तरबूज विभिन्न कीटों और रोगों के लिए अतिसंवेदनशील होता है जो फलों के विकास को प्रभावित कर सकते हैं। कीटनाशकों और कवकनाशी के उपयोग सहित उचित कीट और रोग प्रबंधन प्रथाएं, फसल की रक्षा और स्वस्थ फल विकास सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं।

परागण: तरबूज को फल विकास के लिए परागण की आवश्यकता होती है। मधुमक्खियां और अन्य परागणक तरबूज के फूलों को परागित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप फलों का निर्माण होता है।

तापमान नियंत्रण: तरबूज को उचित फल विकास के लिए गर्म तापमान और उच्च आर्द्रता के स्तर की आवश्यकता होती है। फसल अत्यधिक तापमान और आर्द्रता के स्तर के प्रति संवेदनशील होती है, जो फलों की गुणवत्ता और उपज को प्रभावित कर सकती है।

क्या आप तरबूज की खेती करना चाहते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'बागवानी फसलें' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs )

Q: तरबूज के फल का आकार कैसे बढ़ाएं?

A: फलों एवं फूलों की संख्या में बढ़वार पाने के लिए  पानी में घुलनशील उर्वरक 12:61:0 @ 75 ग्राम एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रोकिसान दवा को 15 ग्राम प्रति पंप छिड़काव करें। इसके 15 दिन बाद पानी में घुलनशील उर्वरक 00:52:34 75 ग्राम एवं प्रोकिसान सूक्ष्म पोषक तत्व 15 ग्राम प्रति पंप में मिलाकर छिड़काव करें। इससे तरबूज में अच्छे और बड़े फल मिलेंगें।

Q: तरबूज कितने दिन में फल देता है?

A: तरबूज के पौधों से फल तैयार होने में रोपण से लगभग 70-90 दिन लगते हैं। हालांकि, जल्दी पकने वाली कुछ किस्में 60 दिनों में भी फल देने लगती हैं।  वहीँ  देर से पकने वाली किस्मों को 100 या उससे ज्यादा समय लग सकता है। वैसे तो तरबूज के फल बनने में लगने वाला समय विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है जैसे तरबूज के किस्मों की विविधता, बढ़ती परिस्थितियां और जलवायु।

Q: तरबूज कौन से महीने में लगाया जाता है?

A: तरबूज की बुआई का सीजन दिसंबर से जनवरी में शुरू होती है, और मार्च में इसकी हार्वेस्टिंग होती है। वहीं कुछ क्षेत्रों में तरबूज की बुवाई मध्य फरवरी में करते हैं और अगर पहाड़ी क्षेत्रों ,की बात करें तो यहाँ पर मार्च से अप्रैल तक इसकी बुवाई कर सकते हैं। इनकी सबसे ज्यादा डिमांड गर्मी में होती हैं।

Q: 1 एकड़ में तरबूज का उत्पादन कितना होता है?

A: प्रति एकड़ तरबूज का उत्पादन 25 - 30 टन होता है।

Q: तरबूज के पौधे को उगने में कितने दिन लगते हैं?

A: बुवाई के लगभग 4 से 7 दिन में तरबूज के पौधे अंकुरित हो जाते हैं।

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