तरबूज के कीट एवं उनका प्रबंधन (Watermelon Pests and Their Management)

तरबूज की फसल को कई प्रकार के कीटों से नुकसान होता है, जिससे पौधों का विकास प्रभावित होता है और पैदावार में गिरावट आती है। यह कीट पौधों की पत्तियों, तनों और फलों को नुकसान पहुंचाते हैं। उचित पहचान और प्रबंधन से इनकी रोकथाम संभव है। नीचे तरबूज में लगने वाले प्रमुख कीटों, उनके लक्षण और प्रबंधन के उपाय दिए गए हैं।
तरबूज में लगने वाले कुछ प्रमुख कीट (Some major insect affecting the Watermelon)
फल मक्खी (Fruit Fly):
- व्यस्क फल मक्खी फलों में छोटे-छोटे छेद करके उनमें अंडे देती हैं।
- अंडों से लार्वा निकलने के बाद ये फल के अंदर से गूदा खाते हैं।
- प्रभावित फल सड़ने लगते हैं और उनका आकार टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है।
- कई बार छेद से रस निकलता है और समय से पहले फल गिरने लगते हैं।
- ये कीट मुख्य रूप से छोटे एवं कोमल फलों पर हमला करते हैं।
प्रबंधन:
- फसल चक्र अपनाएं और बुरी तरह प्रभावित फलों और पौधों को नष्ट कर दें।
- गर्मी के मौसम में खेत की गहरी जुताई करें, जिससे मिट्टी में छिपे प्यूपा नष्ट हो सके।
- चिपचिपे जाल (लाइट ट्रैप) 4 से 6 प्रति एकड़ खेत में लगाएं।
- सायनट्रानिलिप्रोल 10.26% ओडी (बेनेविया) 300 मिलीलीटर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
- थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेड.सी. (सिजेंटा अलिका, देहात एंटोकिल) 50-80 मिली प्रति एकड़।
- फ्लुबेंडियामाइड 8.33% + डेल्टामेथ्रिन 5.56% w/w SC (बायर फेनोस क्विक) 100-125 मिलीलीटर प्रति एकड़।
लीफ माइनर (Leaf Miner):
- यह कीट पत्तियों के हरे भाग को खुरच कर खाते हैं।
- पत्तियों पर सफेद या भूरे रंग की घुमावदार सुरंगें दिखने लगती हैं।
- प्रभावित पत्तियां कमजोर होकर गिरने लगती है, जिससे पौधों का विकास रुक जाता है।
प्रबंधन:
- प्रभावित पत्तियों को पौधों से अलग करके नष्ट करें।
- इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एल. (बायर कॉन्फीडोर, धानुका मीडिया) 90-120 एम.एल. प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
- साइनट्रानिलिप्रोल 10.26% OD (बेनेविया) दवा को 360 एम.एल. प्रति एकड़ छिड़काव करें, यह चबाने और रस चूसने वाले कीटों को खत्म करता है।
- लैम्ब्डा साइहैलोथ्रिन 5% ई.सी. (लोकस्ले 5, हाई फील्ड लैम्ब्डा) – 80-120 एम.एल. प्रति एकड़ छिड़काव करें, यह तना छेदक, पत्ती लपेटक और रस चूसने वाले कीटों पर असरदार होता है।
- क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 8.8% + थायमेथोक्साम 17.5% SC (हाईफील्ड क्लोरा-टी.एम) – 200 एम.एल. प्रति एकड़ तरबूज की रोपाई के 8 से 10 दिन बाद छिड़काव करें। यह पौधों को शुरुआती कीटों के हमलों से बचाने में मदद करता है।
- फोरेट 10% सीजी (सुमेत 10 जी) – 5 किलो प्रति एकड़ तरबूज की फसल में इस्तेमाल करें।
माहू (Aphids)
- ये कीट पत्तियों का रस चूसते हैं जिससे पत्तियां सिकुड़ने लगती है।
- पौधे कमजोर हो जाते हैं और फूलों की संख्या कम हो जाती है।
- माहू कीट एक चिपचिपा पदार्थ (हनीड्यू) छोड़ते हैं जिससे काली फफूंद विकसित होती है।
प्रबंधन:
- चिपचिपे जाल (लाइट ट्रैप) 4 से 6 प्रति एकड़ खेत में लगाएं।
- प्रभावित पौधों को हटाएं और खेत में संतुलित नमी बनाए रखें।
- इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एल. (बायर कॉन्फीडोर, धानुका मीडिया) दवा को 90-120 मि.ली प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
- प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% ई सी (रॉकेट, कैटरकिल, प्रोफेन प्लस) 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी।
- डिनोटेफ्यूरान 20% एसजी (ओशीन, टोकन) 60 से 80 ग्राम प्रति एकड़ स्प्रे करें।
थ्रिप्स (Thrips):
- ये छोटे कीट होते हैं जो पत्तियों के निचले हिस्से पर रहते हैं।
- पत्तियों में छोटे-छोटे सफेद या चांदी जैसे धब्बे दिखाई देते हैं।
- अधिक प्रकोप होने पर पत्तियां पीली पड़कर सूखने लगती हैं।
प्रबंधन:
- चिपचिपे जाल (लाइट ट्रैप) 4 से 6 प्रति एकड़ खेत में लगाएं।
- प्रभावित पौधों को अलग करें और उचित नमी बनाए रखें।
- थियामेथोक्साम 25% डब्ल्यू.जी. (देहात एसीयर, धानुका-अरेवा) कीटनाशक को प्रति एकड़ खेत में 40 से 80 ग्राम छिड़काव करें।
- इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एल. (बायर कॉन्फीडोर, धानुका मीडिया) दवा को 90-120 मि.ली प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
सफेद मक्खी (Whitefly)
- यह कीट पत्तियों का रस चूसते हैं, जिससे पत्तियां पीली पड़ जाती हैं।
- सफेद मक्खी हनीड्यू छोड़ती है जिससे पत्तियों पर काली फफूंद लग जाती है।
- अधिक संक्रमण होने पर पौधे कमजोर हो जाते हैं।
प्रबंधन:
- चिपचिपे जाल (लाइट ट्रैप) 4 से 6 प्रति एकड़ खेत में लगाएं।
- खेत में संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें और जैविक विधियों से नियंत्रण करें।
- स्पिरोमेसिफेन 22.9% एससी (बायर ओबेरॉन, ओज़िल) 160 मिली प्रति एकड़ तरबूज में छिड़काव करें।
- डायफेन्थियूरोन 50% WP (धानुका पेजर, सिंजेन्टा-पेगासस) – 300 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें।
- फ्लोनिकैमिड 50% डब्लू जी (यूपीएल उलाल) 60 ग्राम प्रति एकड़ तरबूज में छिड़काव करें।
आपके तरबूज की फसल में कौन-कौन से कीटों का प्रकोप सबसे ज्यादा होता है? हमें कमेंट में बताएं! फसल की सही देखभाल और सुरक्षा की पूरी जानकारी के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को फॉलो करें। इस पोस्ट को लाइक और शेयर करें ताकि यह जानकारी अन्य किसानों तक भी पहुंचे और वे भी अपनी फसल को सुरक्षित रख सकें!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: फल मक्खी पर नियंत्रण का उपाय क्या है?
A: फल मक्खियों पर नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रैप, फल मक्खी ट्रैप, स्टिकी ट्रैप, खेत की गहरी जुताई, रासायनिक दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है। इससे फल मक्खियों पर आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है। फल मक्खियों से छुटकारा पाने में लगने वाले समय में संक्रमण की गंभीरता और उपयोग किए जा रहे नियंत्रण उपायों के आधार पर परिवर्तन हो सकता है। सामान्य तौर पर इसने निजात पाने में 4-5 दिनों से लेकर कुछ सप्ताह का समय लग सकता है।
Q: तरबूज के फल का आकार कैसे बढ़ाएं?
A: तरबूज के फलों का आकार बढ़ाने के लिए पौधों की उचित देखभाल करें। कई बार पर्याप्त मात्रा में सिंचाई एवं सूरज की रोशनी नहीं मिलने के कारण भी पौधों एवं फलों का उचित विकास नहीं हो पाता है। फलों के उचित विकास के लिए सही मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करना भी आवश्यक है।
Q: तरबूज के फलों में किन कीटों का प्रकोप होता है?
A: तरबूज के फलों में कई तरह के कीटों का प्रकोप होता है। जिनमें फल मक्खी, सफेद मक्खी, थ्रिप्स, एफिड्स जैसे रस चूसक कीट, माइट, आदि का प्रकोप अधिक होता है। इसके अलावा तरबूज की बेलों में जड़ गलन रोग, जीवाणु फल धब्बा रोग, चूर्णिल आसिता, आदि रोगों का प्रकोप भी अधिक होता है।
Q: तरबूज में कौन कौन से रोग लगते हैं?
A: तरबूज की फसल में कई तरह के रोग होते हैं। जिमनें चूर्णिल आसिता रोग, मृदुरोमिल आसिता रोग, बड नेक्रोसिस, लीफ कर्ल वायरस, जड़ गलन रोग, झुलसा रोग, मोजैक वायरस रोग आदि प्रमुख हैं।
Q: तरबूज फल सड़ने का क्या कारण है?
A: तरबूज के फलों के सड़ने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार फफूंद जनित रोगों के प्रकोप के कारण फलों पर घब्बे उभरने लगते हैं और फल सड़ने लगते हैं। इसके अलावा फल मक्खी जैसे कीटों का प्रकोप भी तरबूज के फलों में सड़न का मुख्य कारण है।
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