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2 July
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धान: नर्सरी के समय खरपतवार पर करें ऐसे नियंत्रण | Paddy: Weed Control in Nursery

धान के पौधों की रोपाई से पहले नर्सरी तैयार की जाती है। नर्सरी तैयार करते समय कई सावधानियों एवं समस्याओं का सामना करना पड़ता है। नर्सरी तैयार करते समय किसान के सामने खरपतवार की समस्या आती है। धान की नर्सरी में खरपतवारों की समस्या होने से किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। खरपतवारों की समस्या लगभग सभी क्षेत्रों में होती है और इन पर नियंत्रण नहीं करने से पौधे कमजोर हो जाते हैं। धान की नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण करने के कई तरीके हैं। जिनमें यांत्रिक विधि एवं रासायनिक विधि भी शामिल है। धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।

धान की नर्सरी में खरपतवारों से होने वाले नुकसान | Impact of Weeds in Paddy Nursery

  • अंकुरण में समस्या: धान की नर्सरी में खरपतवारों की अधिकता होने से बीज को अंकुरित होने में समस्या होती है। कई बार बीज के अंकुरण में अधिक समय होता है। नर्सरी में खरपतवारों की समस्या बढ़ने पर कई बार बीज अंकुरित नहीं हो पाते हैं।
  • कमजोर पौधे: खरपतवार मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को ग्रहण करने लगते हैं जिससे नर्सरी में पौधों को उचित मात्रा में पोषण नहीं मिलता है और पौधे कमजोर हो जाते हैं।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी: नर्सरी में खरपतवारों की समस्या होने से धान के पौधे कमजोर हो जाते हैं और उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिससे पौधों में कई तरह के रोगों और कीटों के प्रकोप का खतरा बढ़ जाता है।
  • आर्थिक नुकसान: धान की नर्सरी में सकरी पत्ती एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के कारण बीज अंकुरित होने में एवं पौधों के विकास में बाधा आती है। जिससे कई बार किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

धान की नर्सरी में खरपतवारों पर नियंत्रण के विभिन्न तरीके | Various methods of controlling weeds in paddy nursery

  • जुताई: नर्सरी में पहले से मौजूद खरपतवारों को नष्ट करने के लिए धान की बुवाई करने से पहले नर्सरी में अच्छी तरह जुताई करें। खरपतवारों की समस्या अधिक है तो जुताई के बाद कुछ दिनों तक खुला रहने दें। इससे खरपतवारों के जड़ सूख कर नष्ट हो जाएंगे।
  • निराई-गुड़ाई: धान की नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई करें। आप हाथों से या खुरपी, कुदाल जैसे छोटे कृषि यंत्रों के द्वारा निराई-गुड़ाई कर सकते हैं। लेकिन इस तरह निराई-गुड़ाई करने में श्रम एवं समय की आवश्यकता अधिक होती है। इसलिए बड़े नर्सरी के लिए यह अधिक कारगर नहीं होता है। यदि नर्सरी बड़े क्षेत्र में है तो निराई-गुड़ाई के लिए बड़े कृषि यंत्रों का प्रयोग करें। बीज की बुवाई के 10 से 15 दिनों बाद यदि नर्सरी में खरपतवार नजर आयें तो खुरपी से निराई-गुड़ाई करें।
  • दूरी का ध्यान: धान की नर्सरी में सभी क्यारियों के बीच एवं पौधों से पौधों के बीच की दूरी कम रखें। इससे खरपतवारों को पनपने के लिए कम जगह मिलेगा और खरपतवारों की समस्या भी कम होगी।
  • कृषि यंत्रों की सफाई: बुवाई के समय प्रयोग में लाए जाने वाले यंत्रों की अच्छे से सफाई करें। कई बार खरपतवारों के बीज इस्तेमाल किए जा रहे कृषि यंत्रों में लग कर नर्सरी में आ जाते हैं।
  • रासायनिक विधि: यदि नर्सरी में खरपतवारों की समस्या अधिक है तो आप कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं। धान की नर्सरी में घास की दवा का प्रयोग से पहले उचित समय एवं सही मात्रा का विशेष ध्यान रखें।

रासायनिक विधि से खरपतवार नियंत्रण | chemical method of controlling weeds

  • फसल की बुवाई से पहले प्रति एकड़ खेत में 80 ग्राम पाइराजोसल्फ्यूरॉन इथाइल 10% डब्लूपी (देहात लीमेंट्रिया, यूपीएल साथी) का प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 400-600 मिलीलीटर प्रीटिलाक्लोर 50% ई.सी. (देहात गेज़) का प्रयोग करें।

दवाओं के छिड़काव के समय रखें इन बातों का ध्यान | Things to keep in mind while applying weedicides

धान की नर्सरी में घास की दवा का छिड़काव करने के समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

  • धान की नर्सरी में एक ही खरपतवार नाशक दवा का बार-बार प्रयोग न करें। बार-बार एक ही दवा इस्तेमाल करने से खरपतवार इसके प्रति सहनशील/प्रतिरोधी हो सकते हैं।
  • एक फसल में एक बार ही रासायनिक खरपतवार नाशक का प्रयोग करें।
  • खरपतवार नाशक दवाओं के पैकेट पर दिए गए निर्देशों को पढ़ें और उनका पालन करें।
  • खरपतवार नाशक दवा का प्रयोग करते समय, मिट्टी में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए, जिससे दवा सही रूप से फसल तक पहुंच सके।
  • छिड़काव करते समय, खरपतवार नाशक दवा का सही मात्रा में छिड़काव करना चाहिए, जिससे फसल पर किसी तरह का बुरा प्रभाव ना हो।
  • खरपतवार नाशक दवा के साथ किसी भी तरह के कीटनाशक या फफूंदनाशक को मिलाना नहीं चाहिए। इससे खरपतवार नाशक दवा का प्रभाव कम हो सकता है।
  • खरपतवार नाशक दवाओं में कई तरह के हानिकारक रसायन होते हैं। आवश्यकता से अधिक इसका प्रयोग करना खेत की मिट्टी एवं पर्यावरण के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
  • हानिकारक रसायनों के कुप्रभाव से बचने के लिए दवाओं के छिड़काव के समय मूंह-नाक को अच्छी तरह मास्क, चश्मे, गमछे आदि से ढकें।
  • दवाओं के संपर्क में आने पर सबसे पहले उसे अच्छी तरह पानी से साफ करें और आवश्यकता होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।

धान की नर्सरी में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आप किस विधि का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। खरपतवारों पर नियंत्रण की अधिक जानकारी के लिए 'खरपतवार जुगाड़' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: धान की नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें?

A: धान की नर्सरी में खरपतवारों की समस्या से निजात पाना किसानों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण कार्य है। नर्सरी अगर छोटी है तो आप हाथों से ही खरपतवारों को उंखाड़ कर नष्ट कर सकते हैं। लेकिन नर्सरी अगर छोटी नहीं है तो आप रासायनिक नियंत्रण के लिए (देहात लिमेंट्रिया) का प्रयोग कर सकते हैं।

Q: धान में कौन सी खरपतवार सबसे ज्यादा होती है?

A: भारत में धान के खेतों में पाए जाने वाले अन्य आम खरपतवारों में साइपरस रोटंडस (नटग्रास), स्किर्पस जंकोइड्स (रश), और मोनोकोरिया वेजिनालिस (एरोलीफ सेज) शामिल हैं। ये तेजी से बढ़ने वाले खरपतवार हैं जो पोषक तत्वों, पानी और धूप के लिए धान के पौधों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं, जो पौधों के कमजोर होने का एक मुख्य कारण है।

Q: धान में खरपतवार के लिए कौन सी दवा डालें?

A: धान में खरपतवार प्रबंधन के लिए रासायनिक दवाओं के प्रयोग के समय कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। बेहतर परिणाम के लिए खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग खरपतवारों के प्रकार, फसल की अवस्था, खेत में नमी की मात्रा, आदि के अनुसार करना चाहिए। धान की नर्सरी में घास की दवा का इस्तेमाल करने के पहले पैकेट पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और पालन भी करें।

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