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16 June
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मक्का में खरपतवार प्रबंधन | Weed Management for Maize

खरपतवार पोषक तत्वों एवं पानी का तेजी से अवशोषण करते हैं और फसल में 35% तक की उपज में कमी का करण बनते हैं। मक्का की फसल में गुली डंडा घास, कैनरी घास, जंगली जई, बथुआ, जंगली सेन्जी, स्वाइन घास, आदि की समस्या अधिक होती है। खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए कई तरह की रासायनिक दवाएं एवं अन्य विधि उपलब्ध है।

मक्के की फसल में खरपतवारों से होने वाले नुकसान | Damage from weeds in maize cultivation

  • पौधों के विकास में बाधा: मक्के की फसल में खरपतवारों की समस्या होने पर पौधों के विकास में बाधा आती है। पैधों की वृद्धि धीमी गति से होने के कारण मक्के के उत्पादन में भी कमी हो सकती है।
  • गुणवत्ता में कमी: खरपतवारों के कारण मक्के की गुणवत्ता में कमी हो सकती है। मक्के की मिठास (स्वाद) भी प्रभावित हो सकती है।
  • उपज में कमी: मक्के की फसल में खरपतवारों की अधिकता से फसल की पैदावार में करीब 35 प्रतिशत तक कमी हो सकती है। जिससे किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
  • रोग एवं कीटों प्रकोप: कई तरह के फफूंद एवं कीट खरपतवारों पर पहले पनपते हैं और मुख्य फसल को नष्ट करते हैं।
  • आर्थिक नुकसान: फसल की उपज और गुणवत्ता में कमी होने के कारण इसकी बिक्री उचित कीमत पर नहीं होती है। जिससे किसानों को आर्थिक हानि हो सकती है।
  • श्रम की आवश्यकता: खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई या दवाओं के छिड़काव में श्रम की आवश्यकता अधिक होती है।
  • लागत में वृद्धि: खरपतवार नाशक का उपयोग करने पर कृषि में होने वाली लागत में बढ़ोतरी होती है। इसके साथ कीट एवं रोगों पर नियंत्रण के लिए भी विभिन्न दवाओं का के प्रयोग से लागत बढ़ती है।

मक्के की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के विभिन्न तरीके | Various methods of weed control in maize

जुताई एवं निराई-गुड़ाई के द्वारा खरपतवारों पर नियंत्रण

  • बुवाई से पहले खेत में गहरी जुताई करें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार नष्ट हो जाएंगे।
  • खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई करें।

खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए मल्चिंग

  • मक्के की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए मल्चिंग एक बेहतर विकल्प है।
  • यह प्रक्रिया न केवल खरपतवार नियंत्रण में मदद करती है बल्कि मिट्टी के संरक्षण और मिट्टी में अधिक समय तक नमी बनाने के लिए भी कारगार है।

खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए रासायनिक विधि

  • फसल बुवाई के 1 दिन बाद एट्राज़िन 50% डब्ल्यूपी (देहात- एट्राफाॅर्स) की 400 ग्राम मात्रा का छिड़काव 150 से 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से करें।
  • फसल बुवाई के 40 दिन बाद टेम्बोट्रियोन 42% एससी (देहात- ट्रोनेक्स) की 114 मिलीग्राम मात्रा का छिड़काव प्रति एकड़ की दर से करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 300 मिलीलीटर टोप्रामेज़ोन 33.6% एससी (बीएएसएफ- टाइनजर) का प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 36 ग्राम हेलोसल्फ्यूरॉन मिथाइल 75% डब्ल्यूजी (धानुका सेम्परा) का प्रयोग करें।

दवाओं के छिड़काव के समय रखें इन बातों का ध्यान | Things to keep in mind while applying weedicides

  • खरपतवार नाशक दवाओं के छिड़काव के समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
  • एक ही शाकनासी को बार-बार प्रयोग करने से बचें। बार-बार एक ही दवा इस्तेमाल करने से खरपतवार इसके प्रति सहनशील/प्रतिरोधी हो सकते हैं।
  • एक फसल में एक बार ही रासायनिक खरपतवार नाशक का प्रयोग करें।
  • शाकनाशक दवाओं के पैकेट पर दिए गए निर्देशों को पढ़ें और उनका पालन करें।
  • खरपतवार नाशक दवा का प्रयोग करते समय, मिट्टी में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए, जिससे दवा सही तरह से फसल तक पहुंच सके।
  • खरपतवार नाशक दवा का सही मात्रा में छिड़काव करना चाहिए, जिससे फसल पर किसी तरह का बुरा प्रभाव ना हो।
  • खरपतवार नाशक दवा के साथ किसी भी तरह के कीटनाशक या फफूंदनाशक को मिलाना नहीं चाहिए। इससे खरपतवार नाशक दवा का असर कम हो सकता है।
  • शाकनाशक दवाओं में कई तरह के हानिकारक रसायन होते हैं। इसका अधिक प्रयोग खेत की मिट्टी एवं पर्यावरण के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

मक्का में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आप किस विधि का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें। खरपतवारों पर नियंत्रण की अधिक जानकारियों के लिए 'खरपतवार जुगाड़' चैनल को तुरंत फॉलो करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: मक्का में खरपतवार के लिए कौन सी दवा डालें?

A: शाकनाशी का चुनाव खेत में मौजूद खरपतवारों के प्रकार, मक्के की फसल के विकास के चरण और मिट्टी के प्रकार पर निर्भर करता है। मक्के में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आमतौर पर एट्राज़ीन, पेंडीमेथालिन जैसी खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग किया जाता है। हालांकि, खरपतवार नाशक के पैकेट पर दिए गए निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करना और मक्के की फसल को किसी भी नुकसान से बचने के लिए उचित मात्रा में और सही समय पर शाकनाशी का प्रयोग करना चाहिए। किसी भी शाकनाशी का उपयोग करने से पहले स्थानीय कृषि विशेषज्ञ से परामर्श करना भी उचित है।

Q: खरपतवारनाशी का छिड़काव करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

A: खरपतवारनाशी में कई तरह के हानिकारक रसायन मौजूद होते हैं, जो मनुष्यों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर डालते हैं। इसलिए खरपतवारनाशी का छिड़काव करते समय अपने चेहरे को किसी कपड़े से अच्छी तरह ढकें। हाथों में भी दस्ताने पहन कर छिड़काव करें। दवाओं के छिड़काव के बाद हाथों को अच्छी तरह साफ करें। शाकनाशक के खाली पैकेट पशुओं के हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए दवाओं के पैकेट को इधर-उधर न फेकें।

Q: चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार कौन कौन से हैं?

A: बथुआ, सेंजी, दूधी, हिरनखुरी, कंडाई, जंगली पालक, जंगली मटर, कृष्ण नील, आदि कुछ प्रमुख चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार हैं। भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में इनका प्रकोप होता है।

Q: निराई कैसे की जाती है?

A: खेत में पनपने वाले खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए निराई की जाती है। निराई के लिए खुरपी, कुदाल या हैरो का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में खरपतवारों को जड़ से उखाड़ कर या भूमि की ऊपरी सतह के पास से काट कर निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में समय एवं श्रम की आवश्यकता अधिक होती है। इसलिए बड़े खेतों की तुलना में छोटे खेतों में इस विधि का प्रयोग अधिक किया जाता है।

Q: खरपतवार नाशक का छिड़काव कब करना चाहिए?

A: खरपतवारों का छिड़काव सुबह या शाम के समय करना चाहिए। शाकनाशकों के छिड़काव के समय मिट्टी में उपयुक्त नमी होनी चाहिए।

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