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27 May
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कपास में खरपतवार प्रबंधन (weed management in cotton)


कपास की खेती नकदी फसलों में एक मुख्य फसल है जिससे किसानों को अच्छा लाभ होता है। इसे 'सफेद सोना' भी कहते हैं।  इसकी खेती सिंचित एवं असिंचित दोनों क्षेत्रों में की जा सकती है। खरपतवार प्रबंधन कपास के पौधों और खरपतवारों के बीच संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे कपास की उपज और गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। भारत में कपास की खेती में उपयोग की जाने वाली कुछ सामान्य खरपतवार प्रबंधन प्रथाएं इस पोस्ट के माध्यम से आपको बताएंगे हैं।

कपास में खरपतवारों से होने वाले नुकसान एवं नियंत्रण (Damage and control caused by weeds in tomato)

खरपतवारों से होने वाले नुकसान :

  • पोषक तत्वों और पानी की प्रतिस्पर्धा: खरपतवार कपास के पौधों के साथ पोषक तत्वों और पानी के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे कपास के पौधों को पर्याप्त पोषक तत्व और पानी नहीं मिल पाते। इससे उनकी वृद्धि और उपज प्रभावित होती है, जिसके परिणामस्वरूप छोटे फल और कम पैदावार हो सकती है।
  • सूर्य के प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा: खरपतवार कपास के पौधों के साथ सूर्य के प्रकाश के लिए भी प्रतिस्पर्धा करते हैं। इससे कपास के पौधे पर्याप्त प्रकाश नहीं प्राप्त कर पाते, जिससे उनका भोजन (फोटोसिंथेसिस) अच्छे से नहीं बन पाता और पौधे कमजोर हो जाते हैं।
  • कीटों और बीमारियों का मेजबान: खरपतवार कीटों और बीमारियों के लिए मेजबान के रूप में काम करते हैं, जो कपास के पौधों पर हमला कर सकते हैं। इससे कपास की फसल में कीट और रोग के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
  • फसल की गुणवत्ता में कमी: खरपतवार पौधों को छायांकित करके कपास की फसल की गुणवत्ता को कम कर सकते हैं। इससे कपास के फल अच्छे से परिपक्व नहीं होते और उनमें एक प्रकार की गंध उत्पन्न हो सकती है। इसके कारण कपास के फलों का आकार और बाहरी सौंदर्य भी खराब दिखाई पड़ता है।

खरपतवार नियंत्रण के तरीके:

    • निराई: यह खरपतवार नियंत्रण का सबसे पुराना और प्रभावी तरीका है। इसमें हाथ से या कुदाली से नियमित रूप से निराई करें, विशेष रूप से रोपाई के बाद शुरुआती चरणों में। मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए निराई के बाद हल्की सिंचाई करना चाहिए।
    • मल्चिंग: मिट्टी को ढकने के लिए कार्बनिक पदार्थों जैसे सूखी घास, भूसा, चूरा, या पुआल का उपयोग करें या फिर प्लास्टिक मल्चिंग शीट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसा करने से मिट्टी की नमी बरकरार रहेगी, और मिट्टी के तापमान को भी नियंत्रित करने और खरपतवारों के विकास को कम करने में मदद मिलती है।
    • कवर क्रॉप: कपास के पौधों के बीच फलियां या अनाज वाली फसलों को कवर फसलें के तौर पर उगाएं। कवर फसलें मिट्टी के पोषण को बेहतर बनाने, खरपतवारों को दबाने और मिट्टी के क्षरण को रोकने में मदद करती हैं।
    • जुताई: गहरी जुताई करें। कटाई के बाद, किसान खरपतवारों को हटाने और अगली फसल के लिए मिट्टी तैयार करने के लिए जुताई करें।
    • बीज का चुनाव: उन्नत और प्रतिरक्षात्मक बीज का चयन करें, जो खरपतवारों के खिलाफ प्रतिरक्षा देते हों।
    • प्राकृतिक नियंत्रण: नेमाटोड, कीटाणु, और अन्य फफूंद जनित रोगों के लिए प्राकृतिक नियंत्रण उपायों का उपयोग करें। उदाहरण के लिए, नीम का तेल, नीम की खल, नीम का छालक छान का प्रयोग करें।

  • रासायनिक नियंत्रण:

  1. यूपीएल स्वीप पावर खरपतवारनाशी (Glufosinate Ammonium 13.5% w/w SL), इसका उपयोग कपास की बुवाई से पहले 1 लीटर प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर अच्छी तरह से खेत में छिड़काव करें।
  2. BASF स्टॉम्प एक्स्ट्रा खरपतवार नाशक (Pendimethalin 38.7% CS) दवा का उपयोग कपास की बुवाई से पहले 600 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में अच्छी तरह से घोल कर छिड़काव करें।
  3. अदामा पैरानेक्स खरपतवारनाशी (Paraquat Dichlride 24% SL) का उपयोग कपास की बुवाई से पहले 500 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में अच्छी तरह से घोल बनाकर छिड़काव करें।

खरपतवार नाशक का उपयोग करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • फसल को नुकसान न पहुंचे और खरपतवार पूरी तरह से नियंत्रित हों, उतनी ही मात्रा में खरपतवार नाशक का उपयोग करें।
  • खरपतवार नाशक का उपयोग सही समय पर करें, शाम का समय छिड़काव के लिए ज्यादा प्रभावी माना जाता है।
  • एक्सपायरी हुई खरपतवार नाशक का उपयोग न करें।
  • फ्लैट फेन नोजल या अच्छे छिड़काव वाले पंप का उपयोग करें।
  • छिड़काव से पहले या बाद में बारिश होने पर जमीन में पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
  • तेज हवा या बारिश की संभावना न होने पर ही छिड़काव करें।
  • छिड़काव करते समय पीछे पीछे जाएं ताकि किसी भी भूमिगत फसल को नुकसान न हो।
  • आसपास की फसलों को नुकसान न पहुंचे।
  • फसल को खतरे से बचाने के लिए हुड का उपयोग करें।
  • परिस्थिति के अनुसार सिफारिश के अनुसार खरपतवार नाशक का उपयोग करें और बार-बार उपयोग से बचें।
  • खरपतवार नाशक छिड़काव वाली जमीन में वर्मी कंपोस्ट और गोबर खाद का उपयोग करें।
  • दवा के साथ चिपको का उपयोग करें ताकि दवा आसानी से पूरे पौधे तक पहुंचे और जल्दी असर दिखाए।

आप कपास की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए क्या जुगाड़ करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'खरपतवार जुगाड़' चैनल को अभी फॉलो करें। अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: कपास में खरपतवार नाशक के प्रभाव की अवधि कितनी होती है?

A: कपास की फसल में खरपतवार नाशक के छिड़काव के बाद इसका प्रभाव 25 से 30 दिनों तक रहता है।

Q: कपास की अच्छी पैदावार के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?

A: कपास की फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए खरपतवार को नियंत्रित करना बहुत महत्वपूर्ण है।

Q: कपास में खरपतवार नाशक का उपयोग कब करना चाहिए?

A: कपास की फसल में खरपतवार नाशक का उपयोग बुवाई के बाद 30 दिनों के अंदर करना चाहिए, जब खरपतवार 2 से 3 पत्ती की अवस्था में हों।

Q: कपास में खरपतवार का प्रबंधन कैसे किया जा सकता है?

A: कपास की फसल में खरपतवार के प्रबंधन के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं: नियमित रूप से निराई-गुड़ाई करें। अगर खरपतवार की समस्या अधिक हो तो टॉप बेस्ट खरपतवार नाशक का उपयोग करें।

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