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मटर में खरपतवार प्रबंधन (Weed Management in Pea)
मटर एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल है, जिसे पोषण और प्रोटीन के स्रोत के रूप में व्यापक रूप से उगाया जाता है। हालांकि, मटर की खेती में खरपतवार एक गंभीर समस्या हो सकती है, जो फसल की उपज और गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। खरपतवार मटर के पौधों के साथ पोषक तत्वों, पानी, और धूप के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, और कीट एवं रोगों के लिए एक माध्यम के रूप में भी कार्य कर सकते हैं। इस लेख में, हम मटर में खरपतवार के कारण होने वाले नुकसान और उनके प्रभावी प्रबंधन के तरीकों पर विस्तृत जानकारी देंगे।
मटर में खरपतवार के कारण होने वाले नुकसान (Damage caused by weeds in peas)
- पोषक तत्वों की प्रतिस्पर्धा: खरपतवार मिट्टी से पोषक तत्व खींच लेते हैं, जिससे मटर के पौधों को कम पोषण मिलता है, और वे कमजोर हो जाते हैं।
- पानी के लिए प्रतिस्पर्धा: खरपतवार अधिक पानी सोख लेते हैं, जिससे मटर के पौधों को पानी की कमी हो जाती है।
- धूप की प्रतिस्पर्धा: खरपतवार मटर के पौधों से ऊँचे हो सकते हैं, जिससे पौधों को पर्याप्त धूप नहीं मिलती, और उनकी वृद्धि धीमी हो जाती है।
- कीट और रोगों का प्रसार: खरपतवार कीटों और बीमारियों के लिए छुपने की जगह बनाते हैं, जिससे मटर की फसल में कीट और रोग फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
- उपज में कमी: खरपतवार के कारण मटर की उपज में कमी आती है, जिससे किसानों की आय प्रभावित होती है।
मटर में खरपतवार नियंत्रण के तरीके (Weed control methods in peas)
- फसल रोटेशन: मटर की फसल के साथ नियमित फसल रोटेशन अपनाने से खरपतवार के दबाव को कम किया जा सकता है। अलग-अलग फसलों की बुआई से खरपतवारों के जीवन चक्र को बाधित किया जाता है, जिससे उनका विकास सीमित होता है।
- इंटरक्रॉपिंग: मटर के साथ अन्य फसलों की मिलाकर बुआई करने से खरपतवार के लिए उपलब्ध जगह और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इससे खरपतवारों की वृद्धि और प्रतिस्पर्धा कम होती है।
- समय पर बुवाई: उचित समय पर मटर की बुआई करने से पौधों को जल्दी बढ़ने का अवसर मिलता है और खरपतवारों पर बढ़त प्राप्त की जा सकती है। इससे मटर के पौधे खरपतवारों से पहले स्थापित हो जाते हैं।
- हाथ से खरपतवार निकालना: छोटे खेतों में जब खरपतवारों की संख्या कम हो, तो हाथ से खरपतवार निकालना एक प्रभावी तरीका हो सकता है। यह तरीका विशेषकर छोटे क्षेत्र के लिए उपयुक्त है।
- कुदाल का उपयोग: मटर की फसल के बीच कुदाल का उपयोग करके खरपतवारों को निकालना एक सामान्य और प्रभावी तरीका है। इससे खरपतवारों की जड़ें उखड़ जाती हैं और उनकी वृद्धि रुक जाती है।
- मल्चिंग: मिट्टी की सतह पर कार्बनिक पदार्थ जैसे घास, पत्तियां या भूसा फैलाने से खरपतवारों के अंकुरण को रोका जा सकता है। मल्चिंग से मिट्टी की नमी भी संरक्षित रहती है, जो पौधों के लिए लाभकारी है।
- प्राकृतिक दुश्मनों का उपयोग: कुछ प्राकृतिक दुश्मन जैसे कीड़े, कवक, और बैक्टीरिया खरपतवारों को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं। हालांकि, यह विधि अभी भी प्रयोगात्मक चरण में है और व्यापक पैमाने पर उपयोग नहीं की जाती है।
- रासायनिक नियंत्रण: रासायनिक नियंत्रण में बुआई के 3 दिनों के भीतर प्रति एकड़ 400 ग्राम पेंडीमेथालिन 30% ईसी (दोस्त, धानुटोप) का छिड़काव करके खरपतवारों को पनपने से रोका जा सकता है।
- फ्लूक्लोरालिन 45% ई.सी. (Fluchloralin 45% EC) खरपतवारनाशी को 750 से 1000 मि.ली. प्रति एकड़ खेत में बुवाई से पहले खेत में नमी होने पर छिड़काव करें। इससे चौड़ी पत्ती वाले और घास कुल के सभी खरपतवारों को नष्ट किया जा सकता है।
आप मटर में खरपतवार नियंत्रण के लिए क्या जुगाड़ करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'खरपतवार जुगाड़' चैनल को अभी फॉलो करें। अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: खरपतवार नाशक कितने दिन तक काम करता है?
A:
खरपतवार नाशक दवाओं का प्रभाव आमतौर पर 2-3 सप्ताह तक रहता है। हालांकि, यह अवधि उपयोग की गई दवा और खरपतवार के प्रकार पर निर्भर करती है। कुछ दवाएं लंबे समय तक प्रभावी रह सकती हैं, लेकिन इसका ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि समय-समय पर दवाओं का उपयोग और सही खुराक बनाए रखना आवश्यक होता है। इसके लिए अनुशंसित निर्देशों का पालन करना चाहिए।
Q: मटर में कितने दिन में पानी देना चाहिए?
A:
मटर की फसल में सामान्यतः 7-10 दिन के अंतराल पर पानी देना चाहिए। यह समय मिट्टी की नमी और मौसम की स्थिति पर निर्भर करता है। अत्यधिक जलभराव से बचने के लिए मिट्टी की सतह की निगरानी करें और पानी देने के दौरान उचित सिंचाई प्रबंधन अपनाएं। गर्म मौसम में अधिक बार पानी देने की आवश्यकता हो सकती है, जबकि ठंडे मौसम में कम बार पानी देना पर्याप्त हो सकता है।
Q: 1 एकड़ में कितना मटर बोया जाता है?
A:
1 एकड़ क्षेत्र में मटर की बुआई के लिए लगभग 25-30 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीज की मात्रा फसल की किस्म, मिट्टी की स्थिति, और फसल की आपेक्षिक घनत्व पर निर्भर करती है। उचित मात्रा में बीज का उपयोग फसल की सही वृद्धि और बेहतर उपज प्राप्त करने में सहायक होता है।
Q: खेत में खरपतवारों को बिना फसल को नुकसान पहुँचाये कैसे हटाया जा सकता है?
A:
खेत में खरपतवारों को फसल को नुकसान पहुंचाए बिना हटाने के लिए हाथों से निराई-गुड़ाई, गार्डनिंग टूल्स जैसे कि कुदाल और खरपतवार निकालने वाले उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, जैविक खरपतवार नाशकों का भी उपयोग किया जा सकता है, जो फसल को नुकसान पहुंचाए बिना खरपतवारों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इन विधियों से खरपतवारों की समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।
Q: खरपतवारों की समस्या को रोकने के लिए कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं?
A:
खरपतवारों की समस्या को रोकने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कि खेत की गहरी जुताई, जो खरपतवारों की जड़ों को नष्ट करती है और नए खरपतवारों की वृद्धि को रोकती है। मल्चिंग का उपयोग भी प्रभावी होता है, जो खरपतवारों के अंकुरण को रोकता है और मिट्टी की नमी बनाए रखता है। इसके अलावा, उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन और बुवाई के बाद समय पर रासायनिक खरपतवार नाशकों का छिड़काव खरपतवारों की समस्या को रोकने में सहायक होता है। इन उपायों को अपनाकर खेत में खरपतवारों की समस्या को कम किया जा सकता है और फसल की वृद्धि को बढ़ावा दिया जा सकता है।
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