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21 Apr
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नेनुआ में खरपतवार प्रबंधन (Weed Management in Sponge Gourd)

आज कल कम समय में अधिक मुनाफा देने वाली फसलों की खेती किसानों को ज्यादा आकर्षित करने लगी है ऐसे में ज्यादातर किसान मित्र सब्जियों की खेती के प्रति अपना रुझान दिखा रहें हैं। नेनुआ को तुरई, गिलकी, झिंगानी, स्पंज गॉर्ड, जैसे कई नामों से जाना जाता है और यह एक पौष्टिक सब्जी है। आयरन, विटामिन्स, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, पोटैशियम, फोलेट, आदि पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है। इसकी खेती किसानों को अच्छा मुनाफा दिलाती है।

नेनुआ की फसल को खरपतवारों से कैसे बचाएं ? (How to protect Sponge Gourd crops from weeds?)

  • पोषण की कमी : खरपतवार मिट्टी से पानी, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्वों को ग्रहण करते हैं, जिसके कारण नेनुआ के पौधों को इनकी कमी हो जाती है।
  • पानी की कमी : खरपतवार नेनुआ की फसल के लिए पानी की स्तर को कम कर सकते हैं, जिससे फसल की वृद्धि और उत्पादकता प्रभावित होती है।
  • प्रकाश की कमी : खरपतवार नेनुआ के पौधों को ढककर उन्हें सूर्य की रोशनी से वंचित करते हैं, जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है और पौधों की वृद्धि और विकास धीमा हो जाता है।
  • रोग और कीट : खरपतवार रोगों और कीटों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं, जिससे नेनुआ की फसल में रोगों और कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है।
  • उपज में कमी : खरपतवारों के कारण नेनुआ की फसल की उपज में कमी हो सकती है।
  • फलों की गुणवत्ता में कमी : खरपतवारों के कारण नेनुआ के फलों का आकार छोटा हो सकता है और उनकी गुणवत्ता भी कम हो सकती है।
  • लागत में वृद्धि : खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए किसानों को विभिन्न तरीकों का उपयोग करना पड़ता है, जिससे उनकी लागत बढ़ जाती है।

खरपतवार नियंत्रण के आसान तरीके | Easy methods of weed control

  • खरपतवार नियंत्रण की सबसे सरल विधि निराई-गुड़ाई है, समय पर निराई-गुड़ाई न होने पर भी उत्पादन कम हो सकता है। इस लिए खेत में कम से कम 2 से 3 बार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।
  • निंदाई – गुड़ाई से भूमि पोली बनी रहती है जिससे वायु के अच्छे संचार से जड़ों को पोषक तत्व और जल सही मात्रा में मिलता है।
  • 4-5 सेंटीमीटर से अधिक गहराई में निराई-गुड़ाई न करें इससे फसल की जड़ों को नुकसान पहुंच सकता है।
  • अंतर-फसल लगाएं
  • खेत में खरपतवार के नियंत्रण के लिए मल्चिंग अथवा 'पलवार' एक उन्नत विधि है।
  • खेत में लगे पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक कवर, पुआल या पत्तों आदि के द्वारा सही तरीके से ढकने को मल्चिंग कहते हैं।
  • इससे खरपतवार का अंकुरण या विकास नहीं हो पाता है। इस तकनीक से फसल को लंबे समय तक खरपतवारों से सुरक्षित रखा जा सकता है।

खरपतवारनाशक का उपयोग करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • सही मात्रा में खरपतवार नाशक का उपयोग करना बहुत ही महत्वपूर्ण है, इससे फसल को हानि नहीं पहुचती है और खरपतवारों  का पूर्ण रूप से नियंत्रण हो सकता है।
  • खरपतवार नाशक का सही समय पर उपयोग करना आवश्यक है, इससे उसकी प्रभावशीलता बढ़ती है। और शाम के वाट दवा का छिड़काव ज्यादा प्रभावी माना गया है।
  • एक्सपायरी हुई खरपतवार नाशी का उपयोग न करें, खरीदते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
  • खरपतवारनाशक को छिड़काव करते समय फ्लैट फेन नोजल या अच्छे छिड़काव वाले पंप से ही खरपतवारनाशी का छिड़काव करें ताकि दवा आसानी से पूरे पौधे तक पहुचें। जिससे उसका प्रभाव पूरी तरह से फसल पर होता है।
  • खरपतवारनाशक को छिड़काव करने से पहले, या अगर छिड़काव के बाद बारिश होती है, तो ध्यान दें कि जमीन में पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
  • खरपतवारनाशक को छिड़काव करने के लिए अनुपातिक शर्तें की जांच करें, जैसे कि तेज हवा या बारिश की संभावना।
  • छिड़काव का ध्यान: छिड़काव करते समय, पीछे पीछे जाना चाहिए ताकि किसी भी भूमिगत फसल को नुकसान न हो।
  • खरपतवारनाशक को छिड़काव करते समय, ध्यान रखें कि फसल के आसपास कोई और फसल न हो, ताकि उस फसल को हानि न पहुचे।
  • हुड का इस्तेमाल करना फसल को खतरे से बचाने में मदद कर सकता है, खासकर जब छिड़काव किसी अन्य फसल के आसपास किया जा रहा हो।
  • खरपतवार नियंत्रण के लिए परिस्थिती के अनुसार, सिफारिश के अनुसार, खरपतवारनाशक का उपयोग करें, और बार-बार उपयोग से बचें।
  • खरपतवार नाशक का छिड़काव की जाने वाली जमीन में वर्मीकंपोस्ट, गोबरखाद का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त दवा के साथ चिपको का उपयोग करें जिससे दवा आसानी से पुरे पौधे तक पहुचे और जल्दी असर दिखाए।
  • ये सभी बातें खरपतवारनाशक के सही उपयोग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन्हें ध्यान में रखते हुए किसान अपनी फसल को खरपतवारों से बचा सकता है।

आप खरपतवारों को खेतों से भगानें के लिए क्या जुगाड़ करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'खरपतवार जुगाड़' चैनल को अभी फॉलो करें। अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: नेनुआ कौन से महीने में लगाई जाती है?

A: ग्रीष्मकालीन फसल की बुवाई फरवरी-मार्च में की जाती है। वहीं वर्षाकालीन फसल की बुवाई जून-जुलाई महीने में की जाती है।

Q: नेनुआ कितने प्रकार के होते हैं?

A: नेनुआ के मुख्यतः दो प्रकार हैं। चिकनी सतह वाली एवं उभरी सतह वाली।

Q: नेनुआ की कौन सी किस्म बुवाई करें?

A: नेनुआ की उन्नत एवं अच्छी पैदावार के लिए 'देहात डीएचएस 2401' या  'देहात डीएचएस 2402' किस्म की बुवाई कर सकते हैं।

Q: खरपतवार जैव नियंत्रण क्या है?

A: खरपतवारों को बायोएजेंट जैसे कीड़े, रोगज़नक़ आदि और अन्य जानवरों का उपयोग खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। कीट और रोगजनक खरपतवारों पर आक्रमण करते हैं और वे या तो खरपतवारों की वृद्धि कम कर देते हैं या उन्हें नष्ट कर देते हैं।

Q: खरपतवार को कैसे रोके?

A: खेत में खरपतवारों को पनपने से रोकने के लिए फसल को लगाने से पहले गहरी जुताई करें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार नष्ट हो जाएंगे। बुवाई के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन करें। बुवाई से पहले बीज को अच्छे से साफ करें। इस बात को सुनिश्चित करें की फसलों के बीज के साथ खरपतवारों के बीज न हों। खेत में मल्चिंग करना भी इस समस्या से निजात दिलाता है। इसके साथ ही बुवाई के बाद 2 दिनों के अंदर रासायनिक खरपतवार नाशक का प्रयोग कर के भी हम इस समस्या से बच सकते हैं।

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