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11 Feb
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मिर्च में खरपतवार प्रबंधन | Weeds Management in Chilli

मिर्च, भारतीय रसोईयों में एक महत्वपूर्ण और स्वादिष्ट सामग्री है। इसका तीखा स्वाद इसे एक अलग ही पहचान देता है। मिर्च का उपयोग विभिन्न भोजनों में खासतर सब्जियों, सूप, और चटनी में होता है। यह सब्जियों एवं अन्य व्यंजनों का ज़ायका बढ़ाने के साथ उसे आकर्षक रंग भी प्रदान करता है। लेकिन मिर्च की फसल में खरपतवारों की समस्या अक्सर किसानों की जेब पर भारी पड़ती है। खरपतवार एक समस्या है जो कृषि क्षेत्र को बड़े पैमाने पर प्रभावित करती है और इससे मिर्च जैसी महत्वपूर्ण फसल को भी नुकसान होता है। मिर्च की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण की सही जानकारी होना बहुत जरूरी है। इससे हम खतपतवारों से होने वाले नुकसान को आसानी से कम कर सकते हैं। आज के इस पोस्ट में हम खरपतवारों से होने वाले नुकसान, इन पर नियंत्रण के विभिन्न तरीके, खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आधुनिक कृषि यंत्र, जैसे जानकारियां प्राप्त करेंगे।

मिर्च की फसल में होने वाले कुछ प्रमुख खरपतवार | Some major weeds affecting Chilli crops

  • मिर्च की फसल में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के साथ संकरी पत्ती वाले खरपतवारों की समस्या भी होती है। जिनमें दूब घास, जंगली जई, मोथा घास, आदि शामिल हैं।

मिर्च की फसल में खरपतवारों की अधिकता से होने वाले नुकसान | Damage caused by weeds in Chilli

  • पोषक तत्वों की कमी: खरपतवार मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को ग्रहण कर लेते हैं, जिससे मिर्च के पौधों को सही मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिल पाता है।
  • फूलों और फलों की कमी: खरपतवार की अधिकता से मिर्च के पौधों में फूल और फलों की संख्या में कमी हो सकती है।
  • फलों का आकार: खेत में पनपने वाले खरपतवारों के कारण मिर्च के फलों का आकार छोटा रह सकता है। इसके साथ कई बार फलों के स्वाद पर भी बुरा असर हो सकता है।
  • रोग एवं कीटों का प्रकोप: खरपतवार मिर्च की फसल में रोग एवं कीटों के पनपने का कारण बन सकते हैं, जिससे मिर्च की उपज में कमी हो सकती है।
  • आर्थिक नुकसान: खरपतवार से होने वाले नुकसान के किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
  • लागत में वृद्धि: खरपतवार नाशक का उपयोग करने पर कृषि में होने वाली लागत में बढ़ोतरी होती है। इसके साथ कीट एवं रोगों पर नियंत्रण के लिए भी विभिन्न दवाओं का के प्रयोग से लागत बढ़ती है।

खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न कृषि यंत्र | Various agricultural machinery to control weeds

  • नर्सरी या छोटे क्षेत्रों में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आप खुरपी, कुदाल जैसे छोटे कृषि यंत्रों का सहारा ले सकते हैं। खुरपी एवं कुदाल को हाथों से चलाया जाता है। जिसके कारण इसमें समय एवं श्रम दोनों अधिक लगते हैं।
  • इन दिनों बाजार में कई तरह के छोटे एवं बड़े आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध हैं। जिनमें ड्राईलैंड पेग वीडर,व्हील हैंड हो, कोनो वीडर, पावर टिलर स्वीप टाईन, कल्टीवेटर, स्वचालित रोटरी पावर वीडर, आदि शामिल हैं। आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इनमे से किसी भी यंत्र का प्रयोग कर सकते हैं। इन कृषि यंत्रों के द्वारा धान, मक्का, गेहूं, फलों के बाग एवं सब्जी वाली फसलों में भी आसानी से खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है।

मिर्च की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के विभिन्न तरीके | Different methods of weed control in Chilli

निराई-गुड़ाई:

  • निराई-गुड़ाई एक आसान प्रक्रिया है, जिससे खरपतवारों को नियंत्रित करने में सुविधा होती है।
  • लेकिन बड़े क्षेत्रों में हाथों से निराई-गुड़ाई करना संभव नहीं हो पाता है। ऐसे में आप विभिन्न कृषि उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं।
  • बुआई के बाद, पहली निराई-गुड़ाई को 20 से 25 दिनों के बाद किया जा सकता है।
  • इसके बाद, आवश्यकता के अनुसार इस प्रक्रिया को दोहराया जा सकता है।
  • निराई-गुड़ाई करने से फसल को अच्छी तरह से पोषण मिलता है और खरपतवारों की समस्या से भी छुटकारा मिलता है।

मल्चिंग:

  • खेत में खरपतवार के नियंत्रण के लिए मल्चिंग का प्रयोग करना एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
  • मिर्च के पौधों के चारों तरफ की मिट्टी को प्लास्टिक की शीट से ढकें।
  • प्लास्टिक शीट के अलावा आप पुआल या सूखी पत्तियों के द्वारा भी मिट्टी को ढक सकते हैं।
  • मल्चिंग के कई अन्य लाभ भी होते हैं। इससे खरपतवार का विकास नहीं हो पाता है।
  • इस तकनीक से फसल को लंबे समय तक खरपतवारों से मुक्त रखा जा सकता है।

रासायनिक नियंत्रण:

  • खरपतवारों को पनपने से रोकने के लिए बुवाई के 3 दिनों के अंदर प्रति एकड़ खेत में 400 ग्राम पेंडीमेथालिन 30% ईसी (धानुका- धानुटोप, यूपीएल- दोस्त) का छिड़काव करें।
  • चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए बुआई के बाद और बीज अंकुरित होने से पहले प्रति एकड़ खेत में 500-800 मिलीलीटर पैराक्वाट डाइक्लोराइड 24% एसएल (देहात- चौपऑफ) का छिड़काव कर सकते हैं।

दवाओं के छिड़काव के समय रखें इन बातों का ध्यान | Consider these factors when applying Herbicide

  • खरपतवार नाशक दवाओं के छिड़काव के समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
  • खरपतवार नाशक दवा का प्रयोग करते समय, मिट्टी में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए, जिससे दवा सही रूप से फसल तक पहुंच सके।
  • छिड़काव करते समय, खरपतवार नाशक दवा का सही मात्रा में छिड़काव करना चाहिए, जिससे फसल पर किसी तरह का बुरा प्रभाव ना हो।
  • खरपतवार नाशक दवा के साथ किसी भी तरह के कीटनाशक या फफूंदनाशक को मिलाना नहीं चाहिए। इससे खरपतवार नाशक दवा का असर कम हो सकता है।

मिर्च की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आप किस विधि का प्रयोग करते हैं? खरपतवार प्रबंधन में सहायता प्राप्त करने के लिए आप टोल-फ्री नंबर 1800-1036-110 पर संपर्क कर सकते हैं और अपनी समस्या का समाधान पा सकते हैं। आप कमेंट के द्वारा भी कृषि संबंधी समस्याओं के समाधान प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें। जिससे विभिन्न किसान अपने अनुभवों को साझा कर सकें और एक दूसरे को सहायता कर सकें। 'खरपतवार जुगाड़' चैनल को फॉलो करके और इससे जुड़कर, वे नए और अधिक प्रभावी खरपतवार प्रबंधन तकनीकों का सीधा लाभ उठा सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question

Q1: खरपतवार की सबसे बेस्ट दवाई कौन सी है?

A1: खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए बाजार में कई तरह की दवाएं उपलब्ध हैं। विभिन्न फसलों में अलग-अलग दवाओं का प्रयोग किया जाता है। इसके साथ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार एवं सकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए भी अलग दवाएं होती हैं। इसलिए हमेशा अपनी फसलों के अनुसार ही दवाओं का प्रयोग करें।

Q2: पौधों को मारे बिना खरपतवार से कैसे छुटकारा पाएं?

A2: हाथों से खरपतवार उखाड़ कर, गार्डनिंग टूल्स का प्रयोग करके या जैविक एवं रासायनिक दवाओं का प्रयोग कर के पौधों को बिना क्षति पहुंचाए खरपतवारों का खात्मा किया जा सकता है।

Q3: खरपतवार को कैसे रोके?

A3: खेत में खरपतवारों को पनपने से रोकने के लिए फसल को लगाने से पहले गहरी जुताई करें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार नष्ट हो जाएंगे। बुवाई के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन करें। बुवाई से पहले बीज को अच्छे से साफ करें। इस बात को सुनिश्चित करें की फसलों के बीज के साथ खरपतवारों के बीज न हों। खेत में मल्चिंग करना भी इस समस्या से निजात दिलाता है। इसके साथ ही बुवाई के बाद 2 दिनों के अंदर रासायनिक खरपतवार नाशक का प्रयोग कर के भी हम इस समस्या से बच सकते हैं।

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