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17 May
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कार्बन फार्मिंग क्या है? और कैसे करते हैं (What is carbon farming?)


कार्बन फार्मिंग एक आधुनिक कृषि पद्धति है। जिसका मुख्य उद्देश्य वातावरण में उपलब्ध कार्बन को मिट्टी और वनस्पति में संग्रहीत करना है। इस पद्धति से ग्रीनहाउस गैसों को कम करना और जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित किया जाता है। कार्बन फार्मिंग न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि यह किसानों को भी आर्थिक लाभ प्रदान करती है। जिसमें किसान मिट्टी में कार्बन की मात्रा बढ़ाने के साथ-साथ, खेती द्वारा वायुमंडल में उत्सर्जित होने वाली हानिकारक गैसों तथा कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा को कम कर सकते हैं।

कैसे करें कार्बन खेती? (How to do carbon farming?)

कृषि में, कार्बन मिट्टी के स्वास्थ्य और उर्वरता के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है, क्योंकि यह मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों का एक प्रमुख घटक है। कार्बन खेती वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को निकाल कर उसे मिट्टी में सुरक्षित रूप से संग्रहित करती है। इस प्रक्रिया से न केवल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम होता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता और स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।

  • सीधी बुवाई (Direct Seeding) : सीधी बुवाई, पारंपरिक जुताई पद्धतियों के बजाय, सीधे मिट्टी में बीज बोने की प्रक्रिया है। इसमें जुताई की जरूरत नहीं होती, जिससे मिट्टी का क्षरण कम होता है और कार्बन का क्षरण भी घटता है। ऐसा करने से मिट्टी की संरचना में सुधार होने के साथ ही पानी की भी बचत होती है जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होता है।
  • FYM खाद का उपयोग (Use of Farm Yard Manure) : फार्म यार्ड मैन्योर (FYM) प्राकृतिक खाद है जो गाय के गोबर, सूखे पत्तों, और अन्य जैविक अवशेषों से बनाई जाती है। यह मिट्टी में कार्बन की मात्रा बढ़ाने में मदद करती है। इनके इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि होती है और पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं।
  • जैविक खाद का उपयोग (Use of Organic Manure) : जैविक खादों का उपयोग रसायनिक उर्वरकों के बजाय करना अधिक फायदेमंद है। जैविक खादें, जैसे वर्मी-कम्पोस्ट और ग्रीन मैन्योर, मिट्टी में कार्बन को स्थिर रूप में संग्रहीत करने में सहायक होती हैं। यह मिट्टी की संरचना में सुधार करते हैं जिससे लम्बे समय तक मिटटी में पोषक तत्व मौजूद रहते हैं।
  • फसल अवशेषों को न जलाएं (Do Not Burn Crop Residues) : फसल अवशेषों को जलाने से बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसें वायुमंडल में उत्सर्जित होती हैं। इसके बजाय, फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर ह्यूमस बनाने में उपयोग करें। ताकि मिट्टी की संरचना और उर्वरता में सुधार हो और वायु प्रदूषण में कम हो।
  • रासायनिक उर्वरक का उपयोग कम करें (Reduce Chemical Fertilizer Use) : रासायनिक उर्वरकों का अधिक उपयोग मिट्टी की संरचना को नुकसान पहुंचा सकता है और कार्बन उत्सर्जन बढ़ा सकता है। जैविक और प्राकृतिक उर्वरकों का उपयोग करना अधिक लाभदायक है। मिट्टी की संरचना में सुधार के साथ पर्यावरणीय नुकसान कम होता है।
  • एग्रोफॉरेस्ट्री (कृषि वानिकी) का प्रयोग (Use Agroforestry) : एग्रोफॉरेस्ट्री में खेती और वनस्पति का संयोजन होता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और कार्बन संग्रहन में मदद मिलती है। इसमें पेड़ और फसलों को एक साथ उगाया जाता है। जिससे मिट्टी में कार्बन का स्थिरकरण होता है और जैव विविधता में वृद्धि देखी जाती है।
  • अंतर-फसल लगाएं (Practice Intercropping) : अंतर-फसल लगाना यानी विभिन्न प्रकार की फसलों को एक ही खेत में उगाना, मिट्टी की संरचना में सुधार और कार्बन संग्रहन को बढ़ावा देने में सहायक होता है। जिससे मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि होती है। इसके अलावा पोषक तत्वों का संतुलन बना रहता है।
  • शून्य जुताई (Zero Tillage) का प्रयोग (Practice Zero Tillage) : शून्य जुताई में मिट्टी को बिना जुताई के छोड़ दिया जाता है, जिससे मिट्टी का प्राकृतिक ढांचा बना रहता है और कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है। इससे मिट्टी की संरचना और स्थिरता में सुधार होता है, जल संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन में कमी होती है।

कार्बन खेती करने के लाभ (Benefits of carbon farming) :

  • मिट्टी के कटाव को कम करना : कार्बन खेती की पद्धतियाँ जैसे शून्य जुताई और अंतर-फसल लगाना, मिट्टी की संरचना को स्थिर बनाकर कटाव को कम करती हैं। इससे मिट्टी का स्वास्थ्य बेहतर होता है और फसल उत्पादन में वृद्धि होती है।
  • पोषक तत्वों के अपवाह को रोकना : जैविक खादों और ह्यूमस के उपयोग से मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बना रहता है, जिससे पोषक तत्वों का अपवाह रोका जा सकता है। यह पौधों को बेहतर पोषण प्रदान करता है और उनकी वृद्धि को बढ़ावा देता है।
  • पानी की बचत : कार्बन खेती में इस्तेमाल की जाने वाली विधियाँ, जैसे एग्रोफॉरेस्ट्री और शून्य जुताई, मिट्टी की जलधारण क्षमता को बढ़ाती हैं। इससे सिंचाई की आवश्यकता कम होती है और जल संसाधनों की बचत होती है।
  • मिट्टी में कार्बन की मात्रा को बढ़ाना : कार्बन खेती से मिट्टी में जैविक कार्बन की मात्रा बढ़ती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता और स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह पौधों को बेहतर पोषण प्रदान करता है और उनकी वृद्धि को बढ़ावा देता है।
  • हर एकड़ से अतिरिक्त कमाई : कार्बन खेती से किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त हो सकती है। कार्बन क्रेडिट्स के माध्यम से किसान अपनी भूमि से अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं।

क्या आप कार्बन खेती करना चाहते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: कार्बन क्या है ?

A: कार्बन एक रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक C और परमाणु संख्या 6 है। कार्बन पृथ्वी पर जीवन के लिए एक आवश्यक तत्व है, क्योंकि यह प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और न्यूक्लिक एसिड जैसे कार्बनिक अणुओं का एक प्रमुख घटक है। कृषि में, कार्बन मिट्टी के स्वास्थ्य और उर्वरता के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है, क्योंकि यह मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों का एक प्रमुख घटक है।

Q: कार्बन खेती से लाभ क्या है ?

A: कार्बन खेती के लाभों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, जैव विविधता में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन के लिए कृषि प्रणालियों की लचीलापन बढ़ाना और संभावित रूप से फसल की पैदावार बढ़ाना शामिल है। कार्बन खेती के तरीके कार्बन क्रेडिट और अन्य पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के माध्यम से किसानों के लिए अतिरिक्त आय धाराएं भी प्रदान कर सकते हैं।

Q: कार्बन खेती का मुख्य उद्देश्य क्या है?

A: कार्बन खेती का मुख्य उद्देश्य विभिन्न कृषि पद्धतियों के माध्यम से मिट्टी और वनस्पति में कार्बन का अनुक्रमण करना और वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को कम करके जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करना है।

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