सरसों में सफेद रतुआ का प्रबंधन (White rust management in mustard)

सफेद रतुआ, जिसे
सफेद जंग
भी कहा जाता है, सरसों की फसल में होने वाला एक प्रमुख रोग है, जो ठंडे और नमी वाले मौसम में तेजी से फैलता है। यह रोग आमतौर पर 15 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान और अधिक नमी के कारण होता है, जो पाले और कोहरे की उपस्थिति में अधिक सक्रिय हो जाता है। रोग के लक्षणों में पत्तियों की निचली सतह पर सफेद धब्बों का बनना शामिल है, जो बाद में फफोले बनकर फट जाते हैं। गंभीर संक्रमण की स्थिति में फूल समय से पहले झड़ जाते हैं और फल विकृत हो जाते हैं। पौधों का विकास रुक जाता है और पत्तियों का आकार छोटा हो जाता है।
इस रोग के प्रभावी नियंत्रण के लिए सिंपैक्ट
(एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% + डिफेनोकोनाज़ोल 11.4% SC)
का 350-400 मिली प्रति एकड़ छिड़काव करें। रिडोमिल गोल्ड
(मेटालेक्सिल-एम 4% + मैंकोज़ेब 64% WP)
का उपयोग प्रति एकड़ 1 किलोग्राम की दर से करें। बीज उपचार के लिए
मेटालेक्सिल 35% WS
का उपयोग करें, जिसमें 100 किलोग्राम बीज के लिए 600 ग्राम की मात्रा ली जाए। इन उपायों से सरसों की फसल को सफेद रतुआ से बचाया जा सकता है और उत्पादन में सुधार किया जा सकता है।
क्या आपकी
सरसों की फसल
में भी
सफेद रतुआ
रोग दिखाई दिया है? इसे नियंत्रित करने के लिए आप कौन-सी विधियां अपनाते हैं? हमें
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