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मूंग: सफेद मक्खी, थ्रिप्स और फली छेदक कीट कीटों पर नियंत्रण | Moong: Control of Whitefly, Thrips and Pod Borer
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मूंग की फसल में इन दिनों सफेद मक्खी, थ्रिप्स और फली छेदक कीट की समस्या बढ़ने लगी है। इन कीटों के कारण मूंग की उपज में 30-40 प्रतिशत तक कमी हो सकती है। कई बार कीटों पर नियंत्रण करना काफी कठिन हो जाता है। अगर आप भी कर रहे हैं मूंग की खेती और इन कीटों से हैं परेशान तो नियंत्रण के लिए उचित दवाओं की जानकारी इस पोस्ट से प्राप्त कर सकते हैं।
मूंग की फसल में सफेद मक्खी, थ्रिप्स और फली छेदक कीटों से होने वाले नुकसान एवं नियंत्रण | Damage and control caused by whitefly, thrips and pod borer insects in moong crop
सफेद मक्खी से होने वाले नुकसान: ये कीट पौधों की कोमल पत्तियों का रस चूस कर पौधों को कमजोर कर देते हैं। पौधों में फलियां आने के बाद ये कीट फलों का भी रस चूसने लगते हैं। इसके साथ ही सफेद मक्खियां वायरस जनित रोगों को भी एक पौधे से दूसरे पौधों में पहुंचाने का काम भी करती हैं। जिससे कम समय में फसल को भारी नुकसान होता है।
सफेद मक्खी पर नियंत्रण के तरीके
- इस कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 4-6 फेरोमोन ट्रैप लगाएं। नर कीट आकर्षित हो कर इसमें फंस जाएंगे। इस तरह कीटों की वृद्धि पर रोग लगाई जा सकती है।
- इन कीटों पर नियंत्रण के नीचे दी गई दवाओं में से किसी एक का प्रयोग करें।
- इस कीट पर नियंत्रण के लिए 200 लीटर पानी में 100 ग्राम थियामेथोक्सम 25%डब्ल्यू.जी (देहात एसियर) का छिड़काव करें।
- थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेड सी (देहात एंटोकिल) का 80 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- 1200 लीटर पानी में 300 ग्राम ऐसफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% एसपी (यूपीएल लांसर गोल्ड) मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
थ्रिप्स से होने वाले नुकसान: यह कीट पत्तियों एवं फूलों का रस चूस कर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। प्रभावित पौधों की पत्तियां ऊपर की तरफ मुड़ने लगती हैं। प्रभावित पौधों में फलियों की संख्या कम हो जाती है। पौधों के विकास में बाधा आती है।
थ्रिप्स पर नियंत्रण के तरीके
- इस कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 4-6 स्टिकी ट्रैप लगाएं।
- इन कीटों पर नियंत्रण के नीचे दी गई दवाओं में से किसी एक का प्रयोग करें।
- क्लोपाइरीफोस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% ईसी (देहात सी-स्क्वायर) का 300 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- इस कीट पर नियंत्रण के लिए 200 लीटर पानी में 100 ग्राम थियामेथोक्सम 25%डब्ल्यू.जी (देहात एसियर) का छिड़काव करें।
- प्रति एकड़ खेत में 200 लीटर पानी में 80 ग्राम एसिटामिप्रिड 20% एसपी (टाटा रैलिस माणिक) का प्रयोग करें।
फली छेदक कीट से होने वाले नुकसान: मूंग की फसल में इस कीट के कारण भारी नुकसान होता है। यह कीट फलियों में छेद करके अंदर के दानों को खाते हैं।
फली छेदक कीट पर नियंत्रण के तरीके
- इस कीट पर नियंत्रण के लिए नीचे दी गई दवाओं में से किसी एक का प्रयोग करें।
- थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेड सी (देहात एंटोकिल) का 80 मिलीलीटर दवा को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- क्लोपाइरीफोस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% ईसी (देहात सी-स्क्वायर ) का 300 मिलीलीटर दवा को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस जी (देहात इल्लीगो) का 100 ग्राम दवा को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- 200 लीटर पानी में 120 मिलीलीटर डेल्टामेथ्रिन 2.8% ईसी (बायर डेसीस 2.8) मिला कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- 200 लीटर पानी में 80 मिलीलीटर क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% w/w एससी (एफएमसी कोराजन) मिला कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- 200 लीटर पानी में 300 मिलीलीटर नोवलूरॉन 5.25% + इंडोक्साकार्ब 4.5% w/w एससी (अडामा प्लेथोरा) मिला कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
मूंग की फसल में कीटों पर नियंत्रण के लिए आप किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के द्वारा बताएं। कृषि संबंधी जानकारियों के लिए देहात के टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर सम्पर्क करके विशेषज्ञों से परामर्श भी कर सकते हैं। इसके अलावा, 'किसान डॉक्टर' चैनल को फॉलो करके आप फसलों के सही देखभाल और सुरक्षा के लिए और भी अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं शेयर करके आप इस जानकारी को अन्य किसानों तक पहुंचा सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)
Q: मूंग में कौन कौन से कीट लगते हैं?
A: मूंग की फसल में कई तरह के कीटों का प्रकोप होता है। जिनमें सफेद मक्खी, हरा फुदका कीट, माहू, थ्रिप्स, फली छेदक कीट, ब्लिस्टर बीटल जैसे कीट शामिल हैं।
Q: मूंग के पत्ते पीले क्यों होते हैं ?
A: मूंग के पत्ते पीले होने के कई कारण हो सकते हैं। अक्सर रोग एवं कीटों के प्रकोप के कारण फसल में यह समस्या देखी गई है। मोजैक वायरस रोग या रस चूसक कीटों के कारण कई बार पत्तियां पीली होने लगती हैं। इसके अलावा पोषक तत्वों की कमी होने पर भी मूंग की पत्तियां पीली हो सकती हैं।
Q: मूंग की फसल में पीलापन कैसे दूर करें?
A: मूंग की फसल में पीलापन दूर करने के लिए सबसे पहले उसके कारण की जानकारी होनी चाहिए। यदि रोग एवं कीटों के प्रकोप के कारण फसल में पीलेपन की समस्या हो रही है तो उचित दवाओं का प्रयोग करें। यदि पत्तियों के पीले होने का कारण पोषक तत्वों की कमी है तो उचित मात्रा में पोषक तत्वों का प्रयोग करें।
Q: मूंग की अच्छी पैदावार के लिए क्या करें?
A: मूंग की अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्मों का चयन करें, सही मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें, खरपतवारों के साथ रोग एवं कीटों पर नियंत्रण रखें। समय पर फसल में सिंचाई करें। खेत तैयार करते समय 'देहात स्टार्टर' का 04 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
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