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24 May
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जीरो टिलेज खेती के फायदे एवं प्रक्रिया | Zero Tillage Farming: Benefits and Process

जीरो टिलेज विधि को शून्य जुताई विधि के नाम से भी जाना जाता है। कृषि की पारम्परिक विधि के विपरीत इस विधि में खेत की जुताई किए बिना बीज की बुवाई की जा सकती है। कई बार फसल की कटाई में देर होने से अगली फसल की बुवाई समय पर नहीं हो पाती है। इससे फसल की उपज प्रभावित हो सकती है। ऐसे में जीरो टिलेज विधि से खेती करना एक बेहतर विकल्प है। यह विधि मिट्टी के कटाव को कम करने, मिट्टी की नमी के संरक्षण और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करती है। भारत में, जीरो टिलेज विधि का उपयोग आमतौर पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों के द्वारा किया जा रहा है। आज इस पोस्ट के माध्यम से हम जीरो टिलेज विधि की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

जीरो टिलेज विधि से खेती करने के क्या फायदे हैं? | Benefits of Zero Tillage Farming

  • मृदा संरक्षण: शून्य जुताई विधि मिट्टी के कटाव को कम करने और मिट्टी की नमी के संरक्षण में मदद करती है।
  • लागत प्रभावी: पारंपरिक विधि से खेती करने में खेत की जुताई में अधिक लागत होती है। वहीं जीरो टिलेज विधि में खेत की जुताई नहीं होने के कारण यह विधि खेती की लागत को कम करती है।
  • समय की बचत: जुताई नहीं होने के कारण इसमें लगने वाले समय की बचत होती है। इसके साथ मानव श्रम की भी बचत होती है।
  • फसल की पैदावार में वृद्धि: लम्बे समय तक इस विधि से खेती करने पर मिट्टी की उर्वरक क्षमता धीरे-धीरे बढ़ने लगती है। जिसके फसलों की उपज में भी वृद्धि होती है।
  • बेहतर मृदा स्वास्थ्य: शून्य जुताई विधि मिट्टी के कार्बनिक पदार्थों को बढ़ाकर मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करती है। जिससे मिट्टी की उर्वरता और इसका स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।
  • कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: इस विधि में जीवाश्म ईंधन से चलने वाले जुताई उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। इस तरह यह विधि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में सहायक है।
  • जल संरक्षण: यह विधि मिट्टी के वाष्पीकरण को कम करती है और मिट्टी की नमी बनाए रखने में सुधार करती है। इस तरह जीरो टिलेज विधि पानी के संरक्षण में मददगार साबित होती है।

जीरो टिलेज विधि से खेती करने से होने वाले नुकसान | Disadvantages of Zero Tillage Farming

  • खरपतवार प्रबंधन: खेत में गहरी जुताई करने से मिट्टी में पहले से मौजूद खरपतवार नष्ट हो सकते हैं। वहीं शून्य जुताई विधि में जुताई नहीं होने के कारण खरपतवारों की संख्या में वृद्धि हो सकती है, जिसे खरपतवार नाशक के उपयोग के बिना प्रबंधित करना मुश्किल हो सकता है।
  • मृदा संघनन: शून्य जुताई विधि के निरंतर उपयोग से मिट्टी संघनन हो सकती है, ये जड़ों के विकास को सीमित कर सकता है।
  • रोग और कीट प्रबंधन: शून्य जुताई विधि से कीटों और बीमारियों में वृद्धि हो सकती है, क्योंकि मिट्टी की सतह पर छोड़े गए फसल अवशेष उनके विकास के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं।
  • रसायनों पर निर्भरता: शून्य जुताई विधि में अक्सर खरपतवार नाशक और कीटनाशकों जैसे रासायनिक उत्पादों के उपयोग की आवश्यकता होती है। इससे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • उपज परिवर्तनशीलता: शून्य जुताई विधि से फसल अवशेषों और मिट्टी की नमी के असमान वितरण के कारण उपज परिवर्तनशीलता हो सकती है।

जीरो टिलेज विधि से किन फसलों की खेती की जा सकती है? | Crops that can be Cultivated by Zero Tillage Farming

  • जीरो टिलेज विधि का उपयोग अनाज, दालों, तिलहन और सब्जियों सहित फसलों की एक विस्तृत श्रृंखला की खेती के लिए किया जा सकता है।
  • भारत में, कुछ फसलें जो आमतौर पर जीरो टिलेज विधि का उपयोग करके उगाई जाती हैं, उनमें गेहूं, चावल, मक्का, सोयाबीन, चना, अरहर और कपास शामिल हैं।
  • किसी विशेष फसल के लिए जीरो टिलेज की उपयुक्तता मिट्टी के प्रकार, जलवायु और फसल प्रबंधन प्रथाओं जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है।
  • भारत में इस विधि से गेहूं की खेती सबसे ज्यादा की जा रही है।

जीरो टिलेज विधि के लिए आधुनिक कृषि यंत्र | Modern Machinery for Zero Tillage Farming

  • जीरो टिल सीड ड्रिल: यह एक ऐसी मशीन है जिसका उपयोग बिना किसी पूर्व जुताई के सीधे मिट्टी में बीज बोने के लिए किया जा सकता है। यह मिट्टी के कटाव को कम करने और मिट्टी की नमी के संरक्षण में मदद करता है।
  • हैप्पी सीडर मशीन: हैप्पी सीडर रोटर एवं जीरो टिलेज ड्रिल का मिश्रण है। इस आधुनिक यंत्र में जीरो टिलेज मशीन लगी है जिससे खेत की बिना जुताई किए ही गेहूं की बुवाई की जा सकती है। इसे ट्रैक्टर के साथ चलाया जाता है।

क्या आपने कभी जीरो टिलेज विधि के द्वारा फसलों की खेती की है? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। कृषि क्षेत्र से जुड़ी अन्य रोचक एवं ज्ञानवर्षाक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: बिना जुताई की खेती कैसे की जाती है?

A: बिना जुताई की खेती को जीरो टिलेज विधि के रूप में जाना जाता है। इस विधि में, मिट्टी की जुताई किए बिना बीन की बुवाई सीधे पिछले वर्ष के फसल अवशेषों में लगाया जाता है। यह मिट्टी के कटाव को कम करने, नमी के संरक्षण और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है।

Q: में जीरो टिलेज के क्या फायदे हैं?

A: जीरो टिलेज विधि के कई फायदे होते हैं। यह मिट्टी के कटाव को कम करने, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करने और मिट्टी में नमी की मात्रा को बनाए रखने में सहायक है। इसके साथ ही इस विधि में समय, श्रम, ईंधन एवं लागत की भी बचत होती है। यह मिट्टी की संरचना और उर्वरता में सुधार करते हुए फसल की पैदावार में वृद्धि लाने में सहायक है। यह ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को भी कम करता है।

Q: जीरो टिलेज सीड ड्रिल क्या है?

A: जीरो टिलेज सीड ड्रिल एक प्रकार का कृषि उपकरण है जिसका उपयोग बिना पूर्व जुताई या जुताई के सीधे मिट्टी में बीज बोने के लिए किया जाता है। इसके द्वारा खेत की जुताई किए बिना बीज की बुवाई सटीक गहराई एवं उचित दूरी पर की जा सकती है। इस यंत्र से बुवाई करने पर मिट्टी के कटाव को कम किया जा सकता है।

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