Sanju Kumari

धान की खेती करने वाले किसानों के लिए आई बड़ी खबर.. यूरोपियन यूनियन, खाड़ी देशों और अमेरिका में एक्सपोर्ट करने के लिए उनके मानकों के हिसाब से बासमती धान की खेती करनी होगी. ये देश केमिकल अवशेष मुक्त कृषि उत्पादों की मांग कर रहे हैं. चूंकि कृषि उत्पादों में सबसे अधिक करीब 32 हजार करोड़ रुपये का बासमती चावल एक्सपोर्ट हो रहा है, इसलिए सरकार इसे लेकर काफी संजीदा है. बता दें कि, कीटनाशकों के ज्यादा इस्तेमाल से निर्यात में कमी आ सकती है. इसलिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) और इससे जुड़े बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (BEDF) ने इसकी खेती करने वाले किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. एपिडा ने किसान भाईयों से अपील की है कि वह बासमती निर्यात को बढ़ाने के लिए रसायन अवशेष मुक्त बासमती धान का उत्पादन करें. यह कैसे संभव होगा इसके लिए सलाह दी गई है. BEDF के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. रितेश शर्मा का कहना है कि जब भी फसल में रोग लगे तो कृषि वैज्ञानिक से संपर्क करें. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर आप जरूरत से अधिक यूरिया नहीं डाल रहे हैं और पानी का प्रबंधन सही है तो बिना दवा के भी बासमती चावल पैदा हो सकता है. 👉इन बातों का रखें ध्यान -: - खाद एवं उर्वरकों का संतुलित प्रयोग मिट्टी की जांच के आधार पर ही करें. - पोटाश और जिंक का प्रयोग अवश्य करें. यूरिया का प्रयोग कम करें. - बारिश अधिक होने से खेतों में लगातार पानी भर जाता है. इससे गलन की समस्या आ सकती हैं इसलिए अपने खेतों से अतिरिक्त पानी निकाल दें. - सल्फर (80/90 प्रतिशत डब्लू डीजी) की 2 किलोग्राम मात्रा प्रति एकड़ प्रयोग करें. - धान की रोपाई के बाद 15 से 25 दिन के बीच एक से दो बार हल्का पाटा अवश्य चलना चाहिए. - पत्ती लपेटक कीट के लिए कोई भी रसायन प्रयोग न करें. - पेस्टीसाइड का प्रयोग वैज्ञानिकों की सलाह से सही समय एवं सही मात्रा में आवश्यक होने पर ही करें. - पानी की संतुलित मात्रा का प्रयोग करें. - खेत की मेड़ों को साफ रखें व दूब घास को बिल्कुल भी न पनपने दें. - खेतों से अवांछनीय पौधों को समय-समय पर अवश्य निकालते रहें. - निर्यात में समस्या वाले पेस्टीसाइडस-ट्राईसाईक्लाजोले, बुप्रोफेजिन, कार्बेन्डाजिम , प्रोपिकोनाजोल, एसीफेट, थायोफिनेट मिथाइल, ट्राइजोफॉस, थायोमेथाक्साम एवं कार्बोफ्यूरान के प्रयोग से बचें. 👉इस नंबर पर लें मदद -: बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन ने किसानों की सहूलियत के लिए एक हेल्पलाइन नंबर (8630641798) जारी किया है. उस पर फोटो भेजकर किसान बासमती धान में लगने वाले रोगों और कीड़ों की समस्या से निदान पा सकते हैं. रसायनों का प्रयोग राज्य विश्वविद्यालय व कृषि विभाग की सिफारिश के आधार पर ही करें. कृपया इस जानकारी को सभी किसान मित्रों से शेयर करें..
2 August 2021
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