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11 Apr
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फसलों में रस चूसक कीटों का प्रबंधन | Management of Sucking Pests in Crops

फसलों में कई तरह के रस चूसक कीटों  होता है। जिनमें थ्रिप्स, सफेद मक्खी, माहू, जैसिड, कीट शामिल हैं। इस तरह के कीट पत्तियों की निचली सतह पर अंडे देते हैं और पौधों के विभिन्न हिस्सों का रस चूस कर फसल को क्षति पहुंचाते हैं। ये कीट आकार में बहुत छोटे होते हैं और समूह में फसलों पर आक्रमण करते हैं। इन कीटों पर नियंत्रण नहीं किया गया तो 30 से 60 प्रतिशत तक फसल की उपज में कमी आ सकती है।

रस चूसक कीटों से होने वाले नुकसान | Damage caused by sucking pests

रस चूसक कीट पौधों की कोमल शाखाओं, फूल-कलियों, कोमल फलियों एवं पत्तियों का रस चूसते हैं।

इस कीट से प्रभावित पौधों की धीरे-धीरे पत्तियां पीली होने लगती हैं।

कई बार प्रभावित पत्तियां ऊपर या नीचे की तरफ मुड़ने लग जाती हैं।

रस चूसक कीटों के प्रकोप के कारण पौधों के विकास में बाधा आती है।

इन कीटों का प्रकोप बढ़ने पर पौधे मुरझा कर सूखने लगते हैं।

फसल की पैदावार में भारी कमी हो सकती है, जो किसानों के आर्थिक नुकसान का एक बड़ा कारण है।

रस चूसक कीटों पर नियंत्रण के विभिन्न तरीके | Various methods for controlling sucking pests

स्टिकी ट्रैप का प्रयोग

  • सफेद मक्खी, माहू, थ्रिप्स, जैसे उड़ने वाले रस चूसक कीटों पर नियंत्रण के लिए खेत में स्टिकी ट्रैप लगान लाभदायक साबित होता है।
  • इसके आकर्षक रंग के कारण आकर्षित हो कर इसकी तरफ आते हैं और चिपचिपे पदार्थ में चिपक जाते हैं।
  • प्रति एकड़ खेत में 4-6 स्टिकी ट्रैप का प्रयोग करें।
  • स्टिकी ट्रैप को फसल की ऊंचाई से 1 से 2 फीट ऊपर लगाएं।
  • कुछ दिनों के अंतराल पर खेत में लगे हुए स्टिकी ट्रैप का निरीक्षण करते रहें और कीटों से भरे हुए पुराने स्टिकी ट्रैप को बदलते रहें।

फेरोमेन ट्रैप का प्रयोग

  • कीटों पर नियंत्रण के लिए फेरोमेन ट्रैप का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके गंधपाश के नाम से भी जाना जाता है।
  • फेरोमेन ट्रैप में नर कीटों को आकर्षित करने के लिए अलग-अलग तरह के ल्योर का इस्तेमाल किया जाता है।
  • नर कीट इसमें लगे ल्योर के गंध की तरफ आकर्षित हो कर फंस जाते हैं।
  • इस तरह कीटों की संख्या में वृद्धि पर आसानी से रोक लगाया जा सकता है।

जैविक कीटनाशकों का प्रयोग

  • फसल को नुकसान पहुंचाने वाले रस चूसक कीटों पर नियंत्रण के लिए जैविक कीटनाशक एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
  • बहुत कम लागत में घर में आसानी से जैविक कीटनाशक तैयार किया जा सकता है।
  • इनके प्रयोग से खेत की मिट्टी, पौधों एवं हमारे स्वास्थ्य पर किसी तरह का हानिकारक प्रभाव भी नहीं होता है।
  • रस चूसक कीटों पर नियंत्रण के लिए 100 लीटर पानी में 2-3 लीटर गौमूत्र, नीम के पत्ते, अमरूद के पत्ते, पपीता के पत्ते, सफेद धतूरे के पत्ते, करंज, आदि से तैयार किया गया 'ब्रह्मास्त्र' मिलाकर फसलों पर छिड़काव करें।
  • जैविक कीटनाशक 'ब्रह्मास्त्र' के लाभ एवं तैयार करने की विधि की विस्तृत जानकारी यहां से प्राप्त करें।
  • 10 लीटर पानी में 200 मिलीलीटर दशपर्णी अर्क मिला कर फसलों पर छिड़काव करें। इसे देशी गाय के मूत्र, गाय के गोबर, नीम, अरंडी, कस्टर्ड, पपीता, नीचे, अदरक, लहसुन, हरी, मिर्च आदि पत्तियों के प्रयोग से तैयार किया जाता है। दशपर्णी अर्क को आप बाजार से खरीद सकते हैं।
  • रस चूसक कीटों के लिए दशपर्णी अर्क तैयार करने की विधि यहां से देखें।

रासायनिक कीटनाशक दवाओं का प्रयोग

  • रस चूसक कीटों पर नियंत्रण के लिए आप नीचे दी गई दवाओं में से किसी भी एक दवा का प्रयोग कर सकते हैं।
  • रस चूसक कीटों पर नियंत्रण के लिए 200 लीटर पानी में 100 ग्राम थियामेथोक्सम 25%डब्ल्यू.जी (देहात एसियर) का छिड़काव करें।
  • थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेड सी (देहात एंटोकिल) का 80 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 264 मिलीलीटर डाइमेथोएट 30% ईसी (टाटा रैलिस टैफगोर, क्रॉप ग्रोथ क्रोगोर, एफएमसी रोगोर) का प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 500 ग्राम बुप्रोफेज़िन 15% + एसीफेट 35% डब्लूपी (कोरोमंडल, पिराना, अडामा टापुज़) का प्रयोग करें।
  • 1200 लीटर पानी में 300 ग्राम ऐसफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% एसपी (यूपीएल लांसर गोल्ड) मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

कीटनाशक दवाओं के प्रयोग के समयरखें इन बातों का ध्यान | Keep these things in mind while using insecticides

  • उचित मात्रा: कीटनाशक दवाओं के समय उसकी मात्रा का विशेष ध्यान रखें। अत्यधिक मात्रा में दवाओं का प्रयोग फसलों को भी क्षति पहुंचा सकता है।
  • निर्देशों का पालन: कीटनाशक दवाओं के पैकेट पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और उनका पालन करें। दवाओं के इस्तेमाल के बाद पैकेट को इधर-उधर न फेकें, यह पशुओं के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • सुरक्षा सावधानियां: दवाओं के प्रयोग के समय दस्ताने, मास्क और चश्में पहनें। कवकनाशक दवाओं को बच्चों और पशुओं की पहुंच से दूर रखें। दवाओं के संपर्क में आने पर प्रभावित हिस्से को तुरंत पानी से साफ करें और नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: रस चूसक कीटों को कैसे नियंत्रित करें?

A: कीटों पर नियंत्रण के लिए बाजार में कई तरह की रासायनिक दवाएं उपलब्ध हैं। कीटों पर नियंत्रण के लिए यह एक आसान तरीका है। इसके अलावा जैविक कीटनाशक, विभिन्न रंगों के स्टिकी ट्रैप और फेरोमेन ट्रैप का प्रयोग भी रस चूसक कीटों पर नियंत्रण में लाभदायक साबित होता है।

Q: कीटनाशक का असर कितने दिन तक रहता है?

A: कीटनाशकों का असर उसमें मौजूद रसायनों, खेत की मिट्टी, मिट्टी में नमी की मात्रा, फसलों के प्रकार, जलवायु, जैसी कई बातों पर निर्भर करता है। सामान्यतः कीटनाशक दवाओं का असर 15 दिनों से लेकर 35 दिनों तक रह सकता है।

Q: कीटनाशक का छिड़काव कितने बजे करें?

A: बेहतर परिणाम के लिए कीटनाशक दवाओं का छिड़काव सुबह या शाम से समय करना चाहिए। दोपहर के समय मधुमखियां के प्रभावित होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए दोपहर के समय कीटनाशक दवाओं के छिड़काव से बचें। इसके साथ ही वर्षा के समय भी दवाओं का छिड़काव न करें।

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